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नोटबंदी पर सियासी दलों को क्यों चाहिए समय

अमित शाह, देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जब बोलते हैं, जो बोलते हैं, जी-जान से बोलते हैं। पिछले दिनों लखनऊ  में आयोजित ‘हिन्दुस्तान शिखर समागम’ में उन्होंने...

नोटबंदी पर सियासी दलों को क्यों चाहिए समय
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 28 Nov 2016 12:51 AM
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अमित शाह, देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जब बोलते हैं, जो बोलते हैं, जी-जान से बोलते हैं। पिछले दिनों लखनऊ  में आयोजित ‘हिन्दुस्तान शिखर समागम’ में उन्होंने हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ नोटबंदी, महिला सशक्तिकरण, उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था और विकास के सवाल पर बेबाकी से अपनी राय रखी। पेश है बातचीत के खास अंश :-

- आप महिला सशक्तिकरण की बातें कह रहे हैं, जबकि आपने गुजरात की अपनी महिला मुख्यमंत्री को हटा दिया?
मैं जब महिला सशक्तिकरण की बात कहता हूं, तो महिला को समान अधिकार देने की बात कहता हूं। समाज में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए कि किसी भी महिला को कोई टेलीफोन पर अपनी शादी तोड़ने की बात सुना दे। किसी भी महिला को बच्ची पैदा हो जाए, तो उसे तलाक-तलाक-तलाक कहकर शादी तोड़ने का एलान कर दे। इस तरह की व्यवस्था नहीं हो सकती। हमारे संविधान के तहत हर वर्ग और हर समाज की महिला को समान अधिकार प्राप्त है। उन्हें पुरुषों की तरह ही समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए। मेरा तो यूपी की मातृ शक्ति से अनुरोध है कि यह चुनाव महिला के सम्मान का चुनाव होना चाहिए।

- आपकी राजनीति के आदर्श चाणक्य हैं? आपके कमरे में चाणक्य की बहुत अच्छी फोटो लगी है? क्या आप चाणक्य के सिद्धांतों में यकीन करते हैं?
मैं ही नहीं, काफी लोग यकीन करते हैं। मैं तो करता ही हूं।

- जहां भी आप चुनाव लड़ते हैं, वहां दूसरी पार्टियां टूटने लगती हैं? क्या यह चाणक्य का असर है?
मैं कोई ‘डिफेंसिव’ जवाब नहीं दूंगा। किसी दूसरे की पार्टी को संभालने का मेरा दायित्व नहीं है। सबको अपनी-अपनी पार्टियां संभालनी चाहिए। मुझ पर मेरी पार्टी की जिम्मेदारी है।

- यूपी में हम लोग यकीन करें कि आने वाले समय में कुछ और पार्टियां कमजोर होंगी?
मेरा बस चले, तो उत्तर प्रदेश में मेरी पार्टी सबसे मजबूत हो। मेरी पार्टी ने इसीलिए मुझे अध्यक्ष बनाया है।

- आपने जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला है, उत्तर प्रदेश में तरह-तरह की बातें होती रहती हैं? कभी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर बात होती है। जैसे ट्वीट के जरिये अभी सवाल मिला है कि यूपी में भाजपा का चेहरा कौन होगा, राजनाथ सिंह या योगी आदित्यनाथ?
अभी पार्टी ने तय नहीं किया है कि हम यूपी में चेहरे के साथ चुनाव में जाएंगे या नहीं। इसलिए अभी कोई नाम बताने का कोई सवाल ही नहीं है। मेरी पार्टी कैडर बेस्ड पार्टी है। हमारे यहां जन्म लेने से कोई नेता पैदा नहीं होता। किसी के यहां महज पैदा होने से कोई नेता नहीं बन जाता। कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पसीना बहाना पड़ता है। कपड़ों पर कम से कम टन भर धूल लगानी पड़ती है। धूल फांकनी पड़ती है। तब जाकर नेता बनता है। पर मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि भाजपा के संगठन पर उत्तर प्रदेश की जनता भरोसा करे। हमने कई राज्यों में बिना चेहरे के चुनाव लड़ा है। आज उन प्रदेशों को हमने अग्रणी बनाया है। राजस्थान, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी हमने नेता नहीं दिया था। उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जहां अपार संभावनाएं हैं। अकूत पानी पड़ा है। फर्टाइल लैंड है। यहां मेहनतकश युवा हैं, तेज दिमाग वाले युवा हैं। व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएं, तो उत्तर प्रदेश पांच वर्षों के अंदर देश का सबसे समृद्ध प्रदेश बन सकता है, और हम इसे बनाकर दिखाएंगे।

- अखिलेश यादव ने कहा है कि समस्याओं से ध्यान बंटाने के लिए अचानक एक अफवाह नमक की फैली। उनका आशय था कि नोट हटाने का जो फैसला आपकी सरकार ने लिया, उसके बाद से जनसमस्याएं पैदा हुईं। एटीएम पर लाइनें लगीं और उसके बाद से ऐसा हो रहा है?
अखिलेश जी ने, मुझे मालूम नहीं क्या सोचकर ऐसा कहा? नमक की लाइन लगने से एटीएम की लाइनें नहीं कम हो जातीं? एटीएम की लाइनें उतनी ही रहतीं। दो लाइनें होती हैं, तो अव्यवस्था कम नहीं होती है। मगर अफवाहें न नमक की फैलनी चाहिए और न एटीएम की। जो भी प्रामाणिक कर दाता हैं, किसी को कोई तकलीफ नहीं होने वाली है। सब बेखौफ होकर अपने 500 और 1000 के नोट बैंक में जमाकर सकते हैं। सभी के नोटों को बदला जा सके , मोदी सरकार ने इसकी पर्याप्त व्यवस्था की है। थोड़े धैर्य की जरूरत है, तीन-चार दिन में व्यवस्थाएं ठीक हो जाएंगी।

- आपको नहीं लगता कि जिस तरह से फैसला लिया गया है, एक तो विपक्ष इस पर खुलकर बोल नहीं पा रहा है? सबको  लग रहा है कि जो एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए थे, जिस तरह से लोगों के दुख-दर्द का ख्याल रखना चाहिए था - यह आरोप सबने लगाया है कि वैसा नहीं हुआ?
कैसे कह रहे हैं कि विपक्ष दल नहीं बोल रहे, वे तो खुलकर बोल रहे हैं। कह रहे हैं कि नोट बंद ही नहीं करने चाहिए थे। कोई कहता है कि नोटबंदी का फैसला दो दिन लंबा खींचना चाहिए, एक सप्ताह टालना चाहिए। क्यों भाई, दो दिन में क्या करना है आपको? एक सप्ताह में ऐसा क्या करने जा रहे हैं आप? देश को बता दीजिए, फिर मोदी जी सोचेंगे।
दूसरी बात, अगर यह फैसला गोपनीय नहीं होता, तो देश को फायदा नहीं मिलता। एक ही फैसले से काले धन की बहुत बड़ी मात्रा में कटौती हुई है। एक ही फैसले से नकली नोटों का कारोबार शून्य हो गया है। आतंकी संगठनों की कमर टूट गई है। ड्रग कारोबारी पस्त पड़ गए हैं। हवाला का कारोबार ठप हो गया है। जाली नोट का धंधा खत्म हो गया है। देश हित में इससे बड़ा कोई फैसला नहीं हो सकता। जनता की दिक्कतों के प्रति मेरी पूरी संवेदना है। इसे दूर करने का हर प्रयास हो रहा है। बीमारी से जान चली जाए, उससे बेहतर है कि थोड़ा-सा दर्द सहकर ऑपरेशन कर उस हिस्से को निकाल बाहर कर दिया जाए। कुछ दिनों की तकलीफ से इस देश के अर्थतंत्र और राजनीति को साफ करने का प्रयास किया है। हमने बहुत पवित्र मन से काला धन निकलवाने का प्रयास किया है। मैं समझता हूं कि देश की जनता इसे समझेगी और इसका समर्थन करेगी। समर्थन मिल भी रहा है। जो लोग ये अफवाहें उड़ा रहे हैं कि छोटे व्यापारी का क्या होगा, गरीब का क्या होगा, किसान का क्या होगा, दरअसल उनकी चिंता किसी और चीज को लेकर है। मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ढाई लाख रुपये तक किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। इनकम टैक्स की कोई इंक्वायरी नहीं होगी।
 
- नोट से चंदा देने के खिलाफ राजनीतिक दलों ने बात कही, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि भाजपा को पहले से नोटबंदी की जानकारी थी ?
भाजपा हमेशा ठीक समय पर अपने अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग और आयकर विभाग में जमा करती है। इसके लिए कभी एक्सटेंशन नहीं मांगा। दस साल के अकाउंट निकालकर देख लें। एवरेज से ज्यादा पैसा गया है क्या?

- एक तर्क है कि केंद्र व राज्य में एक पार्टी की सरकार से बहुत लाभ होता है। लेकिन बहुत सी सरकारों ने अच्छा करके दिखाया है?
हां, बहुत सी सरकारों ने करके दिखाया है, लेकिन इस सरकार ने नहीं दिखाया है। इसलिए यहां भाजपा सरकार होनी चाहिए। अब यूपी के विकास के लिए जरूरी हो गया है कि केंद्र और राज्य में एक पार्टी की सरकार हो।

- अति पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने में भाजपा का काफी जोर है। आपको नहीं लगता कि इससे भाजपा के परंपरागत सवर्ण वोट बैंक में सेंध लग सकती है?
विकास की जरूरत पिछड़ों को भी है और अगड़ों को भी। सबको है। भाजपा विकास की राजनीति करती है। हमने परफॉरमेंस की पॉलिटिक्स शुरू की है। सबको पॉलिटिक्स ऑफ परफॉरमेंस करनी चाहिए।

- क्या भाजपा कोई ऐसी व्यवस्था बनाना चाहेगी कि सभी भाजपा सरकारें मोदी जी की ‘मन की बात’ की तरह महीने, डेढ़ महीने पर अपना रिपोर्ट कार्ड सामने रखें?
भाजपा की आज से नहीं, मैं अध्यक्ष नहीं बना था उससे पहले से ही, जहां भी उसकी सरकार है, एक साल समाप्त होने पर उस साल का रिपोर्ट-कार्ड को जनता के सामने रखते हैं। जनसंपर्क अभियान चलाते हैं। केंद्र में भी भाजपा ने दो साल में क्या किया, लोगों के सामने रख रहे हैं।

- एक मुद्दा राम मंदिर भी है। चुनाव आते ही चर्चा शुरू हो जाती है। इस बार भी सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि 31 दिसंबर तक राम मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा?
वह सुब्रमण्यम स्वामी का निजी बयान है, उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। भाजपा का स्टैंड साफ है। या तो सर्वसम्मति से या फिर न्यायालय के आदेश पर राम मंदिर बन सकता है। भाजपा अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कृत संकल्प है।

- विरोधी कहते हैं कि आपने तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम महिलाओं का मन जीतने के लिए उठाया है। इसमें कितनी सच्चाई है?
अगर करें भी तो इसमें क्या बुराई है? आखिर क्यों नहीं करना चाहिए? अगर हम उनके अधिकारों की बात करेंगे, तो उन्हें अच्छा ही लगेगा।

- साथ-साथ ही एक असुरक्षा का बोध भी पैदा हो रहा है उत्तर प्रदेश में। इसे दखलंदाजी माना जा रहा है?
तीन तलाक का मामला अब राष्ट्रीय बहस बन चुका है और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। सरकार ने अपना पक्ष न्यायालय में रख दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने कह दिया है कि महिलाओं के अधिकारों के हनन का हक किसी को नहीं है।

- इसे एक बहस के रूप में बढ़ाना चाहेंगे या चुनावी मुद्दा भी बनाएंगे?
बहस होगी, तो जाहिर है कि तीन तलाक चुनावी मुद्दा बनेगा। अगर पार्टियां चाहती हैं कि यह चुनावी मुद्दा न बने, तो सभी इसका समर्थन कर दें, यह मुद्दा चुनाव से बाहर हो जाएगा। मैंने इसके लिए अपील भी की है।

यूपी की प्राथमिकताएं
पहली बात, सरकार जनता के लिए होनी चाहिए, परिवार के लिए नहीं। सरकार जनता के लिए चलेगी, तो प्राथमिकता स्वयं तय कर लेगी। जनता भी अपनी प्राथमिकता बता देगी। यहां तो पता ही नहीं चलता कि यूपी में सरकार कौन चला रहा है चाचा, भतीजा या पिता जी? भाजपा की सरकार बनी, तो सूबे में इंफ्रास्ट्रक्चर, युवाओं, बेरोजगारी और खासतौर से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सख्ती से काम होगा। कानून-व्यवस्था सुधरते ही यहां पर निवेश आएगा, रोजगार मिलेगा।

मूल्यवृद्धि के सवाल पर
हमारी सरकार ने इस दिशा में बहुत सारे कदम उठाए हैं। पहले साल में दालों के दाम कंट्रोल में नहीं रहे। हमने पहली बार दलहन का समर्थन मूल्य बढ़ाया है। इसी दौर में उत्पादन 37 फीसदी तक बढ़ा है। हमारी प्राथमिकता खाने-पीने की चीजों को सस्ता करने की है। 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट को बंद करने के बाद अब कई चीजें तेजी से सस्ती होंगी। जनता  को मकान भी बहुत कम दाम में मिल सकेंगे। जल्द ही इसका असर दिखने लगेगा।


 

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