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भयानक सच

भोपाल गैस कांड मानव इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदियों में से एक है। इस कांड की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी और काफी बहस-मुबाहिसे हुए। अदालतों ने इस पर फैसला भी सुनाया और सरकारों ने दलीलें...

भयानक सच
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 May 2016 09:23 PM
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भोपाल गैस कांड मानव इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदियों में से एक है। इस कांड की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी और काफी बहस-मुबाहिसे हुए। अदालतों ने इस पर फैसला भी सुनाया और सरकारों ने दलीलें रखीं। लेकिन इन सबके बीच इस सच्चाई से हर कोई वाकिफ है कि इस कांड के पीड़ितों के लिए ‘न्याय का संघर्ष’ कहीं न कहीं अधूरा रह गया है। इस उपन्यास में भोपाल गैस कांड की विस्तार से पड़ताल की गई है, जिसकी पूरी सच्चाई अब भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। उपन्यास में भोपाल के डॉक्टर हीरेश चंद्र (जिन्होंने गैस पीड़ित 200 से अधिक लोगों के शवों का पोस्टमार्टम किया था) का निष्कर्ष भयावह है कि यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन किसी भावी जैविक युद्ध की तैयारी में कोई खतरनाक रासायनिक प्रयोग कर रही थी।
महाभियोग, अंजली देशपांडे, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, मूल्य- 250 रुपये।


यथार्थ का अतियथार्थ
‘वसु का कुटुम’ समकालीन यथार्थ के अतियथार्थ को उजागर करने वाली कहानी है। महानगर के एक इलाके में एक पुराने घर को तोड़ कर उसकी जगह चारमंजिला मकान खड़ा करने की चतुर-चालाक आर्थिकी से प्रेरित कुछ लोगों से शुरू होकर यह कहानी अनेक दिलचस्प किरदारों को सामने लाती है और हमारे समय का ऐसा आख्यान पेश करती है, जहां कोई भी सीधी-सादी मालूम पड़ने वाली चीज भी सीधी-सादी नहीं है, उसकी अनेक परतें हैं, अनगिनत जटिलताएं हैं और इन सबके पीछे ताकत का खेल है। दरअसल यह परिवेश ऐसा है, जिसकी रग-रग में भ्रष्टाचार है, इनसानियत का कहीं निशान नहीं दिखता। ऐसे में शासन-सरकार के बड़े-बड़े वादे निरे जुमले लगते हैं और एक साधारण-सी अव्यवस्था भी दूर नहीं हो पाती। कहानी का एक किरदार आखिर में सवाल उठाता है, यह समझिए कि पूरी कहानी हम कह तो गए, मगर सभी जानते हैं कि सब कुछ रहेगा वही का वही। कहना न होगा कि यह गहरी निराशा ही हमारे समय की सबसे बड़ी सच्चाई है।
वसु का कुटुम, मृदुला गर्ग, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, मूल्य- 125 रुपये।


ग्रामीण विकास
कभी यह कथन बार-बार उद्धृत किया जाता था कि भारत गांवों का देश है। आज भले ही यह कथन उतना न दुहराया जाता हो, पर आज भी सच्चाई यही है कि भारत का अधिकतर हिस्सा अब भी ग्रामीण है। गांवों में आजादी के बाद से अनेक बदलाव हुए हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं और साधनों का सवाल उनके संदर्भ में प्रासंगिक बना हुआ है। उनको विकसित करने की चुनौती है। ग्रामीण विकास के संदर्भ में कृषि एक अपरिहार्य विषय है, जिसको ध्यान में रखते हुए पुस्तक में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका और संभावनाओं की चर्चा की गई है। यह ग्रामीण विकास को लेकर सरकार की नीतियों और योजनाओं का आकलन भी पेश करती है। वर्तमान में ग्रामीण प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, जिसे समझे बिना ग्रामीण विकास की नीतियों और उसकी संभावनाओं का ठीक से आकलन करना कठिन है। यह पुस्तक इसमें मददगार हो सकती है।
ग्रामीण विकास, कटार सिंह, सेज पब्लिकेशंस प्रा.लि., नई दिल्ली, मूल्य- 395 रुपये।

आभासी बनाम वास्तविक
‘द लास्ट सीन रोमांटिक’ युवा लेखक अर्जुन दत्त का पहला उपन्यास है। इस उपन्यास में उन्होंने तकनीक-प्रधान युग की जटिलताओं का चित्र खींचा है, जिसमें तकनीक व सेवाएं हमारे जीवन को आसान और सुविधाजनक बनाने का दावा करती हैं, तो दूसरी ओर वही तकनीक व सेवाएं हमें नए बंधनों के जरिये सीमित भी करती हैं। उपन्यास का मुख्य पात्र कुछ ऐसा ही अनुभव करता है। वह इंटरनेट की मौजूदा आभासी दुनिया में विचरणे वाला व्यक्ति है, लेकिन यह चीज उसे असल दुनिया के लोगों से दूर करती जाती है। लेखक का स्वर निराशावादी नहीं है, बल्कि वह दिखलाता है कि आभासी दुनिया से आक्रांत व्यक्ति भी अंतत: खुद को बचाने के लिए ‘वास्तविक’ की तलाश करने के लिए प्रेरित होता है। इस तलाश में प्रेम की भूमिका महत्वपूर्ण बन जाती है।

द लास्ट सीन रोमांटिक, अर्जुन दत्त, फ्रॉग बुक्स, मुंबई, मूल्य- 245 रुपये।    

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