फोटो गैलरी

Hindi Newsऔर सच अभी बाकी है

और सच अभी बाकी है

आईपीएल फिक्सिंग की जांच की गाज न केवल दो टीम मालिकों पर गिरी, बल्कि उनकी टीमों पर दो वर्षों की पाबंदी भी लग गई। लेकिन सफाई यहीं खत्म नहीं होती। जस्टिस लोढ़ा पैनल को यह जांचना चाहिए कि क्या विंदु दारा...

और सच अभी बाकी है
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Jul 2015 11:00 PM
ऐप पर पढ़ें

आईपीएल फिक्सिंग की जांच की गाज न केवल दो टीम मालिकों पर गिरी, बल्कि उनकी टीमों पर दो वर्षों की पाबंदी भी लग गई। लेकिन सफाई यहीं खत्म नहीं होती। जस्टिस लोढ़ा पैनल को यह जांचना चाहिए कि क्या विंदु दारा सिंह के मामले में आईसीसी की चेतावनी नजरअंदाज की गई थी?

भारतीय क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को नुकसान पहुंचाने वाले इस सबसे बड़े स्कैंडल से जुड़े जो नए ब्यौरे सामने आ रहे हैं, वे बीसीसीआई के कुछ बड़े अधिकारियों, आईपीएल के सीओओ सुंदर रमन और भारतीय एंटी करप्शन यूनिट के सदस्यों के लिए ज्यादा परेशानी पैदा कर सकते हैं।
 
क्रिकेट के अधिकारी वर्ग में मौजूद सूत्र अब यह बता रहे हैं कि विश्व कप 2011 के समय से ही अभिनेता विंदु दारा सिंह को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल की एंटी करप्शन (एसीयू) यूनिट ने संदिग्धों की सूची में डाल रखा था।

दरअसल एसीयू समय-समय पर ऐसे संदिग्ध लोगों की सूची जारी करती है, जो उसके मुताबिक क्रिकेट में किसी तरह की अनियमितता को बढ़ावा, जैसे खिलाड़ियों या अधिकारियों को प्रलोभन, देने का काम कर रहे हैं या अपने साझेदारों के पक्ष में हालात बना रहे हैं। इसमें विभिन्न क्रिकेट बोड्र्स की एंटी करप्शन यूनिट भी शामिल होती हैं। इस सूची को क्रिकेट खेलने वाले देशों के बोर्ड को सौंपा जाता है। सूत्रों के अनुसार, विंदु उन दो दर्जन नामों में शामिल थे, जो एसीयू ने साल 2011 में भारतीय क्रिकेट बोर्ड को भेजे थे और साथ ही चेताया था कि इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए और ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, ताकि वे किसी अधिकारी या किसी खिलाड़ी से मेल-जोल तो दूर, संपर्क भी न साध सकें। 

पहले से ही ‘संदिग्ध’
अगर सूत्रों की बात सही है तो यह बात भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की कलई खोल देती है। कहने का मतलब यह कि जब साल 2013 में चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन के साथ विंदु दारा सिंह आईपीएल में सट्टेबाजी कर रहे थे, उस समय वह पहले से ही ‘संदिग्ध’ थे और ऐसे में एसीयू की भारतीय शाखा को इस बारे में जानकारी होनी चाहिए थी। जस्टिस मुकुल मुद्गल पैनल ने अपनी रिपोर्ट में आईपीएल के सीओओ सुंदर रमन के आचरण पर गहरा संदेह जाहिर किया है। सुंदर रमन की यह प्रतिक्रिया संदेह पैदा करती है कि ‘हमें बताया गया था कि आईपीएल में कुछ लोग सट्टेबाजी कर रहे हैं, लेकिन मामला कार्रवाई के लायक नहीं था।’ मुद्गल पैनल ने भारतीय एसीयू के तब के प्रमुख रवि सवानी और उसके सदस्य वाईपी सिंह से भी पूछताछ की। पैनल ने इनके जवाब भी संतोषजनक नहीं पाए थे। तीनों में से किसी ने भी साफ-साफ कुछ नहीं कहा। ऐसे में कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं मिलता, जो इन तीनों और उन बोर्ड अधिकारियों को कठघरे में ला सके, जिन तक यह जानकारी साझा हुई थी। अगर ये खुलासे सही हैं तो इसका सीधा-सा मतलब है कि आईसीसी की एसीयू के भारतीय समकक्ष के पास वह ई-मेल या चिट्ठी थी, जिसमें साल 2011 से ही विंदु ‘संदिग्ध’ की सूची में शामिल थे। यानी मुंबई पुलिस ने जब विंदु और मयप्पन के खिलाफ सट्टेबाजी के मामले उजागर किए, उससे दो साल पहले से ही यह जानकारी थी। एक सवाल यह भी उठता है कि क्यों भारतीय एसीयू ने क्रिकेट बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों और खिलाड़ियों के साथ सूचना साझा नहीं की? यह ऐसी बात है, जिस पर यकीन करना मुश्किल है। क्या यह जानकारी बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को नहीं दी गई थी? अगर सच में नहीं दी गई थी तो क्यों?

गहराता असर
यह भी पचाना मुश्किल है कि सुंदर रमन को विंदु की संदिग्ध छवि की कोई जानकारी नहीं थी और यह बात श्रीनिवासन तक भी नहीं पहुंचाई गई थी, जो कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की अध्यक्षता कर रहे थे और ऐसे में उन्हें मालूम होना चाहिए था। मौजूदा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के एक अहम सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘तब यह जानकारी निश्चित तौर पर हम लोगों को नहीं दी गई थी।’ उन्होंने आगे बताया कि ‘अगर यह बात सही है और हम लोगों से साझा की जाती तो यह स्कैंडल होता ही नहीं, क्योंकि विंदु को खिलाड़ियों और अधिकारियों के पास कहीं से भी आने से प्रतिबंधित कर दिया जाता।’

अब जस्टिस लोढ़ा पैनल की जिम्मेदारी है कि वह इसमें दूध का दूध और पानी का पानी करे। पैनल इस पूरे मामले में रमन की भूमिका की जांच कर रहा है। पैनल के पास न्यायिक शक्तियां हैं। वह इस मामले से जुड़े लोगों को सम्मन भेज सकता है। अगर ई-मेल या चिट्ठियों का अस्तित्व है तो वह आईसीसी से तमाम ई-मेल या चिट्ठियां हासिल करे। फिर इसकी पुष्टि भारतीय एसीयू से करवाए। अगर जानकारी छिपाई गई तो यह मामला साफ तौर पर कानून की अवहेलना है और सजा के लायक है। अगर यह साबित होता है कि आईसीसी की संदिग्ध सूची वाकई है, तब हम एक और झंझावात की तरफ बढ़ रहे हैं, जिसमें कई और स्तंभ धराशायी हो सकते हैं।

विवादों में घिरा रहा है आईपीएल
- 16 मई को दिल्ली पुलिस ने राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों (अजीत चंदीला, एस श्रीसंत और अंकित चव्हाण) को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। इस मामले में राजस्थान रॉयल्स के पूर्व खिलाड़ी अमित सिंह को बतौर बुकी हिरासत में लिया गया। इसके बाद बीसीसीआई ने तीनों के क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगाया।
- 20 मई को राजस्थान रॉयल्स ने तीनों के साथ कांट्रेक्ट समाप्त किया।
- 21 मई को अभिनेता विंदू दारा सिंह गिरफ्तार। पुलिस ने हवाला ऑपरेटर अल्पेश पटेल के घर से 1.28 करोड़ जब्त किए।
- 24 मई को चेन्नई सुपरकिंग्स के कर्ताधर्ता माने जाने वाले और बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को मुंबई क्राइम ब्रांच ने हिरासत में लिया। 1 जून को आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने स्पॉट फिक्सिंग केस के बाद इस्तीफा दिया।
- 2 जून को एन श्रीनिवासन अपने पद से हटे, उनकी जगह जगमोहन डालमिया ने ली।  5 जून को राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा से दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की। 
- अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें हाईकोर्ट के पूर्व जज मुकुल मुद्गल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन नागेश्वर राव और असम क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य निलय दत्ता थे। कमेटी के अध्यक्ष मुकुल मुद्गल थे।

क्रिकेट में फिक्सिंग
1995 फरवरी माह में आस्ट्रेलिया के खिलाड़ी शेन वार्न और मार्क वॉ पर जुर्माना लगाया गया। दोनों ने माना कि उन्होंने 1994 में ऑस्ट्रेलिया के श्रीलंका दौरे के दौरान पिच और मौसम संबंधी सूचनाएं बुकीज  को दी थीं।

2000 मई महीने में पूर्व पाकिस्तानी कप्तान सलीम मलिक को न्यायिक जांच के बाद जीवनभर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। ऑस्ट्रेलिया के तीन खिलाड़ियों ने उन पर यह आरोप लगाया था कि 1994 में श्रीलंका टूर के दौरान उन्हें मलिक ने पैसे लेकर खराब परफार्मेंस की ऑफर दी थी।

अक्तूबर में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिये को जीवनभर के लिए क्रिकेट गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया गया। उन पर मार्च महीने में दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे के दौरान मैच फिक्सिंग के आरोप साबित हुए थे। इसी मामले में दक्षिण अफ्रीका के ओपनिंग बैट्समैन हर्शल गिब्स और तेज गेंदबाद हेनरी विलियम्स को छह माह के लिए प्रतिबंधित किया गया था।

2004 अगस्त में केन्या के ऑल राउंडर मौरिस औडुंबे को केन्या की क्रिकेट एसोसिएशन ने पांच साल के लिए बैन कर दिया। उन पर सटोरियों से पैसे लेने के आरोप साबित हुए थे।

नवंबर में न्यूजीलैंड के कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग ने कहा कि 1999 के विश्व कप के दौरान भारत के एक सटोरिये ने उन्हें दो लाख पाउंड देने की पेशकश की थी। 2008 मई में वेस्ट इंडीज के बल्लेबाज मार्लन सेम्यूल्स को आईसीसी ने 2007 में वेस्ट इंडीज के भारत दौरे के दौरान सटोरिये से सूचनाओं का आदान-प्रदान करने का आरोपी पाया। उन पर दो साल तक क्रिकेट खेलने से रोक लगाई।

2009 लॉर्ड्स में इंग्लैंड को पराजित करने के बाद ऑस्ट्रेलिया के एक खिलाड़ी ने कहा था कि मैच से पहले कुछ बुकीज ने उससे बात करने की कोशिश की थी। इसके बाद आस्ट्रेलिया टीम मैनेजमेंट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की एंटी-करप्शन यूनिट के समक्ष उठाया था।

पाकिस्तान में फिक्सिंग
2010 अगस्त में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को लेकर दुनिया भर में बवाल मच गया। उस समय बुकी मजहर मजीद ने एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कहा कि लॉर्ड्स में पाकिस्तान-इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टेस्ट मैच के दौरान उसने पाकिस्तानी गेंदबाजों को नो बॉल डालने के लिए पैसे दिए थे। आरोप लगा कि सलमान बट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ को सबसे ज्यादा पैसे दिए गए। इसके बाद आईसीसी ने सितंबर में तीनों पर प्रतिबंध लगा दिया। 

 

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें