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चिरंजीवी तिथि अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया का क्या महत्व है? इस व्रत का क्या फल मिलता है? -अनामिका सिन्हा, लखनऊ, उत्तर प्रदेश वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ...

चिरंजीवी तिथि अक्षय तृतीया
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Apr 2015 11:26 PM
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अक्षय तृतीया का क्या महत्व है? इस व्रत का क्या फल मिलता है?
-अनामिका सिन्हा, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। गणेश जी ने महर्षि व्यास के साथ इसी दिन से महाभारत लिखना शुरू किया था। इस दिन को सोने का आभूषण खरीदने के लिए सबसे पवित्र माना जाता है, पर उधार लेकर नहीं। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, अर्थात जिसे कोई मुहूर्त नहीं मिल रहा है, उसे इस दिन कार्य कर लेना चाहिए। इसे चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से गरीबी का नाश होता है। लक्ष्मी जी व्रती को अपने सभी रूपों में आकर पूरा आशीर्वाद प्रदान करती हैं। अक्षय तृतीया उस दिन विशेष फल प्रदान करने वाली बन जाती है, जिस दिन सोमवार या रोहिणी नक्षत्र हो।
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग का समापन हुआ था और त्रेता युग का आरंभ, इसीलिए इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है। माना जाता है कि महाभारत की लड़ाई भी इसी दिन खत्म हुई थी। युधिष्ठिर के इस पर्व के विषय में पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था- ‘अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी में किया गया स्नान, जप-तप, यज्ञ, दान करने का पुण्य अक्षय होता है।’
 
इस दिन पंखा, चीनी, घी, नमक, चावल, सब्जी, फल, वस्त्र, स्वर्ण और इमली आदि वस्तुओं को दान में दिया जाता है। इस दिन होने वाले विवाह को बहुत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस अबूझ मुहूर्त के दिन बिना लग्न और मुहूर्त के होने वाला विवाह अक्षय अर्थात बहुत लम्बा चलता है। नई कार, संपत्ति आदि  खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। गृह प्रवेश करने के लिए भी आज का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।


 

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