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जिम में सेहत के 7 साथी

हो सकता है कि आप सालों से जिम कर रहे हों, पर संभव है कि अभी तक आप जिम की इन खूबियों से अनजान हों। विशेषज्ञों से बात कर बता रही हैं श्वेता तनेजा अगर आप सोचते हैं कि आप डंब-बेल, ट्रेडमिल, एक्सरसाइज...

जिम में सेहत के 7 साथी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 28 Jan 2016 10:01 PM
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हो सकता है कि आप सालों से जिम कर रहे हों, पर संभव है कि अभी तक आप जिम की इन खूबियों से अनजान हों। विशेषज्ञों से बात कर बता रही हैं श्वेता तनेजा

अगर आप सोचते हैं कि आप डंब-बेल, ट्रेडमिल, एक्सरसाइज बाइक, स्टेपर, अपर बॉडी और काइनेसिस स्टेशन आदि जिम की सभी तकनीकों में पारंगत हो चुके हैं तो एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है। नए अध्ययन बताते हैं कि जिम केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाने तक सीमित नहीं है, इसके कई तरह के अन्य लाभ भी हैं। यहां तक कि ट्रेडमिल पर दौड़ना हृदय गति और स्टेमिना बढ़ाने के साथ-साथ याददाश्त में भी सुधार करता है।

अप्रैल 2014 में न्यूरोलॉजी जर्नल में छपे एक अध्ययन के अनुसार कार्डियोवस्कुलर फिटनेस यानी हृदयतंत्र का सेहतमंद होना सोचने समझने की क्षमता में भी सुधार करता है। इस अध्ययन में 18 से 30 वर्ष की उम्र के 2747 उम्मीदवारों को शामिल किया गया था। अध्ययन में उस उम्र से जिम करने वाले युवाओं में 43 से 55 की उम्र में पहुंचने पर बेहतर याद्दाश्त देखने को मिली।

मुंबई स्थित स्पोट्र्स न्यूट्रिशनिस्ट दीपशिखा अग्रवाल के अनुसार, ‘सप्ताह में चार दिन जिम करना तन और मन पर अच्छा असर डालता है। नियमित व्यायाम से मस्तिष्क तक रक्त का संचार दुरुस्त होता है। तंत्रिका कोशिकाएं सक्रिय होती हैं, जिससे मस्तिष्क में नए न्यूरॉन बनते हैं।’ दीपशिखा कहती हैं कि जिम करना इतना प्रभावी है कि इससे उम्र के साथ होने वाले एल्जाइमर्स रोग की आशंका को काफी कम किया जा सकता है।

सर्टिफाइड फिटनेस कोच रणदीप मोइत्रा कहते हैं, ‘जिम में व्यायाम करते समय केवल नए उपकरणों व ट्रेडमिल्स पर फोकस न करें। रस्सी, मेडिसिन बॉल, स्लेड्स, हैवी कैग्स, टायर्स, बॉक्सेस, क्लब्स, और बेल्स जैसे छोटे उपकरणों से भी व्यायाम करें। ये आपको मजबूत, लचीला और सेहतमंद रखने के साथ चोट से मुक्त रखेंगे।


ट्रेडमिल बनाएं रोचक
टोटल फिटनेस के लेखक और फिटनेस एक्सपर्ट लीना मोगरे कहती हैं, ‘अधिकतर लोग ट्रेडमिल को एक गति पर सेट करते हैं और दौड़ते चले जाते हैं। ऐसे लोग जो ट्रेडमिल पर एक ही गति पर दौड़ते रहते हैं, उन्हें अलग-अलग गति पर दौड़ते हुए अपने चलने व दौड़ने को रोचक और प्रभावी बनाना चाहिए। लगातार 45 मिनट जागिंग करने की जगह 10 मिनट वार्मअप, अगले 20 मिनट में दो मिनट जॉग और एक मिनट तेज गति से चलना चाहिए। इस तरह वर्कआउट करने पर 500 से 600 कैलोरी की खपत कर सकेंगे।

रोवर
गोल्ड जिम में ऑपरेशन, मार्केटिंग व सेल्स की वाइस प्रेसिडेंट श्रद्धा सेठ कहती हैं, ‘रोवर एक बेहतरीन कार्डियो मशीन है, जो कि पिछले कुछ सालों से फैशन में नहीं है। रोइंग वर्कआउट चुनौतीपूर्ण है, जिससे पूरे शरीर का व्यायाम होता है। इसमें एक साथ दोनों हाथ और पैर की मूवमेंट्स होती हैं। दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और सभी प्रमुख मांसपेशियों के शामिल होने से कैलोरी की खपत तेजी से होती है।’ बेंगलुरु स्थित फिटनेस एक्सपर्ट वनिता अशोक कहती हैं, ‘रोइंग में बाजू, पैर, छाती, कंधे, पीठ, पेट का निचला हिस्सा और कूल्हे आदि खास मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है। इससे जांघ व कूल्हे की मांसपेशियां टोन होती हैं। बाजू के ऊपरी हिस्से व पीठ की मांसपेशियों की शेप सही रहती है। व्यायाम चूंकि एक क्रमबद्ध तरीके से होता है, इसलिए 10 मिनट के अभ्यास से ही शरीर वसा और कैलोरी की खपत शुरू कर देता है।’अशोक शुरुआत में 10 मिनट रोइंग वर्कआउट करने की सलाह देते हैं।

पुश-अप्स नहीं डंब-बेल्स  
कंधों को सुगठित बनाना चाहते हैं? पुश-अप्स की तुलना में डंब-बेल्स प्रभावी होंगे। अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज नामक नॉनप्रॉफिट फिटनेस एजुकेशन ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार, आदर्श वर्कआउट में डंब-बेल्स भी शामिल होंगे। खासकर सामने की ओर के कंधों के व्यायाम के लिए ये काफी प्रभावी हैं। यूं भी पुश अप्स व पुल-अप्स जैसे बॉडी वेट एक्सरसाइज आसान नहीं होतें, जबकि डंब-बेल्स में हल्के वजन के अभ्यास से ही मांसपेशियां आकार लेने लगती हैं।

रेजिस्टेंस बैंड
मांसपेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं? दीपशिखा अग्रवाल कहती हैं, ‘रेजिस्टेंस बैंड के साथ वेट ट्रेनिंग करें। आमतौर पर जिम जाने वाले अधिकतर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। रेजिस्टेंस बैंड सुविधाजनक है। उसका रख-रखाव आसान है और इससे पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। कार्डियो वर्कआउट से पहले 15 से 18 सेट अलग-अलग तरह के रेजिस्टेंस बैंड के साथ व्यायाम करना चाहिए। इसके साथ वेट्स करना इसे और प्रभावी बना देता है।

बोसू बॉल
मुंबई के सेलिब्रिटी ट्रेनर विनोद चन्ना कहते हैं, ‘अक्सर जिम में लोग छोटे गैजेट्स की उपेक्षा करते हैं। वॉल एसाइड्स, स्विस बॉल, मेडिसिन बॉल, लैडर, बोसू बॉल, बैटल रोप आदि  से व्यायाम करना संतुलन, गति और चुस्ती तीनों को बढ़ाता है। इससे मजबूती भी बढ़ती है और लचीलापन भी।’ चन्ना कहते हैं, ‘वे अपने क्लाइंट्स को बोसू बॉल की सलाह अवश्य देते हैं। आधी गोलाकार यह बॉल स्क्वेट्स, पुश-अप्स के लिए आदर्श है। यह शरीर के ऊपरी भाग की मांसपेशियों की सक्रियता बढ़ाती है। आप जब इस तरह की एक्सरसाइज जमीन पर करते हैं, तो केवल एक मांसपेशी पर काम कर रहे होते हैं, पर बोसू बॉल से सभी महत्वपूर्ण मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और संतुलन में भी सुधार होता है। इससे चोटिल होने की आशंका कम होती है। वेट ट्र्रेंनग के साथ इसे करना अच्छा रहता है।’

पसीना निकलेगा तो बैक्टीरिया रहेंगे दूर
जिम करना केवल शरीर को टोन नहीं करता, ये बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर को मजबूती भी देता है। प्रोर्सींडग्स ऑफ द नेचुरल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, मानव शरीर से निकलने वाले पसीने में बैक्टीरिया को नष्ट करने वाले प्रोटीन की उपस्थिति होती है। पसीना रोगाणुओं से लड़ता है, शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और रोम छिद्रों की सफाई होती है।

फॉम रोलर है स्ट्रेच से बेहतर
पिंडलियों और टखने की फिटनेस की बात आती है तो स्ट्रेच से बेहतर फॉम रोलर साबित हो सकता है। यहां तक कि हाथ से मालिश करना भी प्रभावी होता है। फरवरी 2014 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ स्पोट्र्स फिजिकल थेरेपी में छपे अध्ययन के अनुसार, स्टेटिक स्ट्र्रेंचग से आशय है एक स्थिति को एक मिनट तक होल्ड रखना। रोलर में एक साथ कई मूवमेंट्स का व्यायाम हो जाता है। डायनेमिक स्ट्र्रेंचग के साथ फॉम रोलर को शामिल करना लचीलापन बढ़ाता है और साथ ही शरीर के उन हिस्सों का व्यायाम भी होता है, जो आमतौर पर रह जाते हैं।
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