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दोपहर में झपकी लेना कितना है सही?

बचपन में दोपहर की झपकी लेना दिनचर्या में शामिल होता है। लेकिन बड़े होने पर अकसर दोपहर की नींद नहीं मिल पाती। कई शोध हैं, जिनके अनुसार दोपहर में ली गई छोटी सी झपकी तन व मन दोनों को रिचार्ज कर देती...

दोपहर में झपकी लेना कितना है सही?
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 06 Oct 2016 10:38 PM
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बचपन में दोपहर की झपकी लेना दिनचर्या में शामिल होता है। लेकिन बड़े होने पर अकसर दोपहर की नींद नहीं मिल पाती। कई शोध हैं, जिनके अनुसार दोपहर में ली गई छोटी सी झपकी तन व मन दोनों को रिचार्ज कर देती है।

झपकी यानी नैप, अमूमन दोपहर में 15 से 90 मिनट के समय के लिए ली जाने वाली नींद को कहते हैं। साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में स्लीप मेडिसिन की डाइरेक्टर मनवीर भाटिया कहती हैं, ‘दोपहर में ली गई एक छोटी सी झपकी, रात में ढंग से नींद नहीं आने वाले नुकसान को कम कर देती है। जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड्रोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक छोटी झपकी पिछली रात केवल दो घंटे सो पाने वालों के इम्यून सिस्टम में आयी गड़बड़ी और बढ़े हुए तनाव को कम करने में मदद करती है। 

समय का रखें ध्यान 
दोपहर में किसी समय ली गई छोटी नींद को ही ‘पावर नैप’ भी कहा जाता है। अमेरिका के नेशनल स्लीप फाउंडेशन ने झपकी को तीन भागों में बांटा है: योजनाबद्ध झपकी, वो नींद जो आप लेते है, भले ही नींद न आ रही हो। दूसरी आपातकालीन झपकी, बहुत अधिक थकावट के कारण ली जाने वाली नींद। तीसरी आदतन झपकी, जो आप हररोज एक निश्चित समय पर आदतवश   लेते हैं। 

मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में स्लीप कन्सल्टेंट सुरेश वी रंग के अनुसार, ‘दोपहर के भोजन के बाद 20 से 30 मिनट की झपकी लेना अच्छा रहता है। इससे आपकी रात की नींद पर भी कोई असर नहीं पड़ता।’ कई शोध भी हुए, जो बताते हैं कि इससे अधिक की नींद लेना कुछ लोगों पर बुरा असर भी डाल सकता है। इसके अनुसार, उठने के बाद कुछ देर तक सोचने और काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इएनटी स्पेशलिस्ट और हेड एंड नेक सर्जन राहुल मोदी के अनुसार, ‘ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि 30 मिनट की नींद के बाद व्यक्ति गहरी नींद में चला जाता है। इससे कम की झपकी आपको तरोताजा करती है और एक्टिव रखती है।’ हालांकि कुछ प्रोफेसर यह भी मानते हैं कि एक घंटे की नींद बेहतर होती है, इससे दिमाग की गैर जरूरी बातें हट जाती हंै और दिमाग में नई सूचनाओं के लिए जगह बनती है। 

कार्यस्थल पर झपकी
अगर ऑफिस में व्यवस्था है तो बेड की जगह काउच पर झपकी लें। इससे आप तुरंत जग जाएंगे। डॉ. मनवीर भाटिया के अनुसार सबसे बेहतर तरीका है कि ऐसी जगह चुनें जो शांत व आरामदायक हो। अगर संभव नहीं है तो कुछ देर के लिए डेस्क पर सिर रखें और आराम करें। छोटी सी झपकी लेने में कतई बुराई नहीं है। जहां हर समय ऊंघते रहना यह दिखाता है कि व्यक्ति की काम में रुचि नहीं है, वहीं किसी मीटिंग या दोपहर के खाने के बाद छोटी सी झपकी लेना तरोताजा कर देता है और नए विचार भी देता है। यह अच्छी चीज है, पर तभी जब ऑफिस में इसकी अनुमति हो। 

झपकी के लाभ 
पिछले साल यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस में छपे शोध के अनुसार दोपहर में कुछ देर सोना रक्तचाप के स्तर को कम करता है। दोपहर में कुछ देर झपकी लेने वालों की तुलना में झपकी नहीं लेने वालों को दवा की जरूरत अधिक होती है। साथ ही यह दोपहर की झपकी जल्दी धैर्य खोने वाले लोगों के लिए बेहतर होती है। यह झुंझलाहट को कम करती है। पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेज जर्नल के अनुसार, ‘बहुत लंबे समय तक जगे रहने पर लोगों को नकारात्मक भावों को काबू करने में समस्या होती है। 

दूसरा पहलू भी है
दोपहर में सोना कितना फायदेमंद है, यह कुछ कारणों पर निर्भर करता है। अगर बिना किसी वजह से दोपहर में अचानक ही सोने की इच्छा करने लगी है तो चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं। ऐसा रात में नींद की कमी व अनिद्रा आदि के कारण हो सकता है। डॉ. मोदी के अनुसार रात में 7 से 8 घंटे की  नींद के बाद भी अगर दोपहर में सोने का मन करता है तो ध्यान देने की जरूरत है। यह हर समय रहने वाली सुस्ती व थकावट हो सकती है, जिसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह करें। खासकर जिन लोगों को रात्रि में नींद नहीं आती, उन्हें दोपहर में सोने से बचना चाहिए। भले ही दोपहर की झपकी तन व मन को रिचार्ज करती है, पर यह रात की नींद की जगह नहीं ले सकती। 

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