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क्या होता है, जब नहीं खाते खाना

भागदौड़ के बीच जो चीज सबसे पहले छूटती है, वो है खाना। पर लंबे समय तक ऐसा करना रोगों से लड़ने की हमारी क्षमता को कमजोर कर देता है। मांसपेशियों में कमी के कारण वजन तो कम होता हुआ दिखाई देता है, पर शरीर...

क्या होता है, जब नहीं खाते खाना
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 14 Oct 2016 12:27 AM
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भागदौड़ के बीच जो चीज सबसे पहले छूटती है, वो है खाना। पर लंबे समय तक ऐसा करना रोगों से लड़ने की हमारी क्षमता को कमजोर कर देता है। मांसपेशियों में कमी के कारण वजन तो कम होता हुआ दिखाई देता है, पर शरीर में जमा वसा में कमी नहीं आती। कई बार दिन ही कुछ ऐसा बीतता है कि आप घंटों तक कुछ खा नहीं पाते। कभी नाश्ते के समय सोते रह जाते हैं तो कभी दोपहर में खाने के समय काम कर रहे होते हैं। और फिर उसके बाद कुछ ऐसे ही तला-भुना खा लेते हैं, जिससे रात का भोजन भी ढंग से नहीं हो पाता। लेकिन यह जान लेना जरूरी है कि शरीर पर क्या असर होता है, जब हम लंबे समय तक भोजन नहीं करते...
शुरुआती छह घंटे में कुछ न खाना

सुबह का नाश्ता छोड़ने पर शरीर में ऊर्जा को स्टोर करने वाले ग्लाइकोजन ग्लूकोज में टूटने लगते हैं। ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं ऊर्जा पाने के लिए ईंधन के तौर पर करती हैं। उसमें से 25 प्रतिशत ऊर्जा का इस्तेमाल अकेले दिमाग कर लेता है और बची ऊर्जा मांसपेशीय ऊतक और लाल रक्त कोशिकाओं के काम आती है। छह घंटे के बाद ग्लाइकोजन के स्तर में तेजी से कमी आती है और ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है। इससे भूख लगती है और हम थकावट महसूस करते हैं। इसके बाद शरीर उस स्थिति में आ जाता है, जिसे हम किटोसिस कहते हैं, जहां भूखा होने या शरीर व्रत वाली स्थिति में आ जाता है।

हालांकि यह भी सच है कि एक समय का भोजन छोड़ने पर शरीर कैसी प्रतिक्रिया देगा, यह आपकी उम्र, सेहत व डाइट पर भी निर्भर करता है। पर देर तक भोजन न करने पर अमूमन सबके साथ कम या अधिक ऐसा ही होता है।

किटोसिस का असर
देर तक भूखा रहने के बाद खून में ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है। शरीर ऊर्जा के लिए वसा का इस्तेमाल करने लगता है। जिन लोगों का वजन अधिक होता है, उन्हें वसा आसानी से मिल जाती है। यह वसा फैटी एसिड में टूटती है। इनमें से अधिकतर फैटी एसिड लंबी कड़ी वाले होते हैं, जिन्हेें मस्तिष्क इस्तेमाल नहीं कर पाता। इस तरह खून में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है और फैटी एसिड की संरचना लंबी कड़ियों में होने के कारण वे ब्लड ब्रेन बैरियर को पार नहीं कर पाती। अब दिमाग, ऊर्जा ग्रहण करने के लिए अपना तरीका बदलता है और किटोसिस का इस्तेमाल करने लगता है। इनकी संरचना छोटी होने के कारण ये ब्लड ब्रेन बैरियर को पार कर लेती हैं, पर यह लंबे समय तक संभव नहीं हो पाता, क्योंकि दिमाग कीटोंस से 75 प्रतिशत तक ही ऊर्जा ले पाता है। शेष ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है, जो देर तक भूखा रहने के कारण शरीर में नहीं होता। यह वह स्तर है, जहां दिमागी प्रक्रियाओं पर असर पड़ने लगता है।
   
72 घंटे बाद मूड और ऊर्जा के स्तर में तो कमी आती ही है, शरीर भीतर के प्रोटीन को तोड़ने लगता है।  ये प्रोटीन, एमिनो एसिड जारी करते हैं, जो ग्लूकोज में बदल जाते हैं। यह मस्तिष्क के लिए अच्छी बात है, पर शरीर के लिए नहीं। इस रूप में वसा में कमी नहीं आती, केवल मांसपेशियों का भार घट रहा होता है। यह सोच कि भोजन छोड़ने से वजन कम होता है, सच होने के बावजूद अधूरी है। यह कमी मांसपेशियों के भार में आने वाली कमी के कारण होती है।

महिलाओं का भोजन छोड़ना उनके माहवारी चक्र पर भी असर डालता है। हड्डियों के घनत्व में कमी आती है। अगर कई सप्ताह से ढंग से भोजन नहीं कर रहे हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से गिरती है। अमेरिका में हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से पीएचडी करने वाले लेह ई कैहिल ने इसी संबंध में अपना अध्ययन किया है। उनके अनुसार, ऐसी महिलाएं जो सुबह नाश्ता नहीं करतीं, उनमें टाइप टू डायबिटीज होने की आशंका 20% तक बढ़ जाती है। वे एक ईमेल इंटरव्यू में कहते हैं, ‘रात में सोते समय हम वैसे ही व्रत कर रहे होते हैं। अगर उस व्रत को सुबह नहीं खोलते तो उसका शरीर पर असर पड़ता है। लंबे समय के बाद इंसुलिन ग्रहण करने की क्षमता घटती है और इससे टाइप टू डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है।

कड़े परिश्रम के व्यायाम करने वालों में भी तनावकारी हार्मोन कोर्टिसोल में बढ़ोतरी होने लगती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। व्यायाम के बाद कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करना इम्यून सिस्टम को सही रखता है। अगर आप व्यायाम के बाद भोजन करने से बचते हैं तो सिरदर्द, थकावट, भूख और संक्रमण की गिरफ्त में आने की आशंका बढ़ जाती है।

 

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