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वसा जो नजर नहीं आती

अगर आप यह सोच कर खुश हैं कि आपकी तोंद नहीं है या फिर बॉडी मास इंडेक्स सामान्य है तो एक बार फिर सोचने की जरूरत है। एक नए अध्ययन के अनुसार 76 प्रतिशत लोग ज्यादा वसा के शिकार हैं। इस अदृश्य वसा से सबको...

वसा जो नजर नहीं आती
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 12 Jan 2017 10:51 PM
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अगर आप यह सोच कर खुश हैं कि आपकी तोंद नहीं है या फिर बॉडी मास इंडेक्स सामान्य है तो एक बार फिर सोचने की जरूरत है। एक नए अध्ययन के अनुसार 76 प्रतिशत लोग ज्यादा वसा के शिकार हैं। इस अदृश्य वसा से सबको सावधान रहना जरूरी है। बता रही हैं रिद्धिमा कौल

आपका वजन सामान्य है, बावजूद इसके आप  ज्यादा वसा (ओवरफैट) के शिकार हो सकते हैं यानी ऐसी स्थिति, जिसमें शरीर में विसरल फैट का स्तर सामान्य से अधिक होता है। विसरल फैट लिवर, पाचक ग्रंथि (पेन्क्रियाज) और आंतों के आसपास जमा हो जाता है। इस वजह से खासकर उन लोगों में जो देखने में फिट हैं, पर इस बात से अनजान हैं, मधुमेह, हृदय रोग व जीवनशैली से जुड़ी अन्य परेशानियां होने की आशंका बढ़ जाती है। हाल में आए एक नए अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में 5.5 अरब (76 %) लोग ज्यादा वसा के शिकार हैं। यह संख्या कम वसा (अंडरफैट, 9-10%) श्रेणी में आने वाले लोगों से बहुत ज्यादा है।

यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ जर्नल में छपा है। इसके तहत ज्यादा वसा से सेहत पर होने वाले नुकसान पर जोर दिया गया है। मौजूदा आंकड़ों पर नए सिरे से दृष्टि डालते हुए शोधकों का कहना है कि ज्यादा वजन व मोटापे की श्रेणी में आने वालों के अलावा ज्यादा वसा की श्रेणी में वे लोग भी आते हैं, जिनका वजन सामान्य है। पुरुषों में 25 % से अधिक वसा और महिलाओं में 32% से अधिक वसा को ‘ज्यादा वसा’ की श्रेणी में रखा गया है।

कैसे काम करती है वसा
हमारा शरीर लीन बॉडी मास और फैट से बना है। लीन बॉडी मास में मांसपेशियां, अंग, हड्डियां व तरल तत्व आते हैं। वसा आमतौर पर त्वचा के नीचे और अंगों के आसपास एकत्र होती है।

वसा दो तरह की होती है-सबक्युटेनियस और विसरल। सबक्युटेनियस फैट बाहरी तरफ होता है। इस मायने में विसरल फैट, जो कि अंगों जैसे लिवर, पेन्क्रियाज और किडनी के आसपास जमा होता है, अधिक चिंता का विषय है। नई दिल्ली स्थित गंगा राम हॉस्पिटल के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अतुल गोगिया के अनुसार, ‘यह स्थिति भारतीयों के लिए ज्यादा खतरनाक है। हमारे शरीर में वसा का फैलाव पेट के आसपास होता है, जिससे भोजन के पच कर ऊर्जा में बदलने की गति धीमी हो जाती है।’ गुड़गांव स्थित मेदांता, द मेडसिटी के एंडोक्रनोलॉजी एंड डायबिटीज डिविजन के चेयरमैन डॉ. अंबरीश मित्तल के अनुसार,  ‘विसरल वसा का ज्यादा होना हार्मोन के असंतुलन का संकेत करता है। इससे प्रभावित लोगों में ओइस्ट्रोजन, कोर्टिसोल और इंसुलिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। एक समय के बाद इससे मधुमेह और अन्य रोगों की आशंका बढ़ जाती है।

कैसे करें काबू
आप क्या खाते हैं, कब खाते हैं, कैसे खाते हैं और साथ में शारीरिक रूप से कितने सक्रिय रहते हैं, इसका शरीर पर गहरा असर पड़ता है। न्यूट्रिशनिस्ट ईशी खोसला के अनुसार, ‘ज्यादा वसा की समस्या उनमें ज्यादा होती  है, जो एल्कोहल का सेवन अधिक करते हैं। डिब्बाबंद जूस व गैस वाले पेय पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड अधिक लेने वाले भी ज्यादा वसा से जूझते दिखाई देते हैं। खान-पान संबंधी अनियमितता और कम व्यायाम करना हार्मोनल असंतुलन की समस्या पैदा करता है। साथ ही इससे पेट के आसपास वसा जमा होने की आशंका भी बढ़ जाती है। सामान्य  बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) वाले एक मरीज के बारे में ईशी खोसला बताती हैं कि उनमें हानिकारक वसा का स्तर काफी अधिक था। उनके अनुसार, ‘शरीर में से हानिकारक वसा के स्तर को कम करने का कोई आसान रास्ता नहीं है। स्वस्थ खान-पान और व्यायाम को जीवनचर्या का हिस्सा बनाया जाना जरूरी है। मैं लोगों को दिनभर में एक समय का भोजन केवल फल व सब्जियों से करने की सलाह देती हूं। अनाज से पूरा पेट नहीं भरना चाहिए। उन्हें कम मात्रा में लेते हुए फल व सब्जियां ज्यादा खाना फायदेमंद रहता है। आदर्श स्थितियों की बात करें तो सूर्यास्त तक या 7 बजे से पहले अनाज खाएं, इससे भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। मेटाबॉलिज्म स्वस्थ रहता है। खाना बिना जल्दबाजी के चबा-चबा कर खाना चाहिए।’

कुछ लोग खाते समय कैलरी की मात्रा का बहुत ध्यान रखते हैं, पर वे इस बात को नहीं जानते कि जितना जरूरी यह है कितनी कैलरी ली जा रही है, उतना ही यह भी कि कैलरी का स्रोत क्या है। न्यूट्रिशनिस्ट नेहा अरोड़ा कहती हैं, ‘हो सकता है कि आप दिनभर में 1200 कैलरी ले रहे हों, पर संभव है कि भोजन में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स कम हों और कार्बोहाइड्रेट और हानिकारक वसा की मात्रा अधिक। अपने खान-पान के प्रति खुद जागरूक रहना जरूरी है।’

 

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