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फीडबैक सही दशा से मिलेगी दिशा

हम अपनी कामकाजी जिंदगी का एक-तिहाई हिस्सा ऑफिस में गुजारते हैं। अपने काम के प्रति सदैव सकारात्मक रहते हैं, काफी मेहनत करते हैं, सारा काम समय से पूरा करते हैं। इसके बावजूद हमें यह पता नहीं चल पाता कि...

फीडबैक सही दशा से मिलेगी दिशा
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 17 Nov 2015 07:56 PM
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हम अपनी कामकाजी जिंदगी का एक-तिहाई हिस्सा ऑफिस में गुजारते हैं। अपने काम के प्रति सदैव सकारात्मक रहते हैं, काफी मेहनत करते हैं, सारा काम समय से पूरा करते हैं। इसके बावजूद हमें यह पता नहीं चल पाता कि हमारी परफॉर्मेंस कैसी है और बॉस हमारे काम से किस हद तक संतुष्ट हैं। कई बार तो यह भी आभास नहीं हो पाता कि ऑफिस में हमारी भूमिका किस स्तर की है। इन सब का असर हमारे प्रदर्शन पर पड़ता है तथा उत्पादन प्रभावित होता है। देखा जाए तो यह सारा खेल 'फीडबैक' की कमी का है। बिना फीडबैक के काम शुरू करने का मतलब है बिना किसी मैप या संकेत चिह्न के यात्रा शुरू करना। आपके पास भले ही काम की अच्छी समझ हो, लेकिन काम को ट्रैक पर रखने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। यदि कर्मचारियों के पास थोड़ा सा भी फीडबैक हो तो वे काम को ट्रैक पर ला सकते हैं।

फीडबैक फैमिन
अकसर देखा गया है कि कर्मचारी पूरे जोश के साथ अपना काम करते हैं, लेकिन फीडबैक के अभाव में निरंतर एक तरह की गलतियां दोहराते रहते हैं। बॉस व कर्मचारियों के बीच सुझाव और फैसले में समानता न होकर विरोधाभास नजर आता है। इस स्थिति को फीडबैक फैमिन कहा जाता है। यह फीडबैक फैमिन किसी भी कंपनी के लिए खतरनाक होता है। इससे कंपनी का कामकाज तो प्रभावित होता ही है, कर्मचारियों की कार्यशैली में भी कोई सुधार नहीं हो पाता, चाहे कंपनी किसी भी स्तर की हो।

मिलती है भरपूर ताकत
आपको ऐसे कई लोग मिलेंगे, जो सफलता के शिखर पर हैं। निश्चित तौर पर उन्होंने भी कठिन परिस्थितियों एवं चुनौतियों का सामना किया होगा, दूसरों से अपने कार्यों के बारे में फीडबैक लिया होगा। सही मायने में फीडबैक हमें दिशा दिखाता है कि यदि हम सही रास्ते पर न हों तो खुद को पटरी पर लाएं।

सफलता और असफलता का अंतर
फीडबैक एक आसान व पावरफुल मैनेजमेंट टूल है। यह कर्मचारियों की संतुष्टि व उत्पादन बढ़ाने का काम करता है। इसके जरिए सफलता व असफलता का अंतर जाना जा सकता है। यदि किसी को समय रहते उसके प्रदर्शन में कमी का पता चल जाए तो सुधार के अवसर व संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसीलिए काबिल कर्मचारी अपने वरिष्ठों की बात गहराई से सुनता है।

सुनने को भी तैयार रहें
दूसरों के मुख से अपने प्रदर्शन की निंदा सुनना आसान नहीं होता, जबकि सच्चाई यह है कि फीडबैक मिले बिना आप अपने बारे में दूसरों की राय नहीं जान पाते। हमें अपनी सेवा या उत्पाद की गुणवत्ता का अनुमान नहीं हो पाता। फीडबैक लेने के साथ शिकायत सुनने का धैर्य भी रखें। इसे सकारात्मक पहल के रूप में लें। हम चाह कर भी फीडबैक की उपेक्षा नहीं कर सकते। छात्र भी तो परीक्षा परिणाम के रूप में फीडबैक ही पाते हैं।

कई हो सकते हैं स्रोत
फीडबैक कई स्रोतों मसलन मैनेजर, सुपरवाइजर, मेजरमेंट सिस्टम, क्वालिटी कंट्रोल टीम, मित्र समूह, कस्टमर से मिल सकता है। इसमें जरूरी यह नहीं है कि फीडबैक किस स्रोत से मिल रहा है, देखने वाली बात यह है कि यह फीडबैक कितना विश्वसनीय है और इस पर काम कर कंपनी को किस हद तक तरक्की की राह पर ले जाया जा सकता है।

संदेश सकारात्मक हो
फीडबैक के बारे में यह आम धारणा है कि यह नेगेटिव ही होगा, इसलिए इसे सकारात्मक तरीके से दिया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों को यह लगे कि यह उनके और कंपनी के हित की बात है। कई बार कर्मचारियों की ओर से बेहतर प्रदर्शन नहीं हो पा रहा है और बॉस को नेगेटिव फीडबैक देना है तो फिर उन्हें कहानी बदलनी पड़ेगी। उन्हें कर्मचारियों को हतोत्साहित न करते हुए अपना संदेश और जरूरत उन तक पहुंचानी होते हैं। यह काम बहुत ही सावधानीपूर्वक करना का है।

जरूरतों को भी समझें
यदि आप टीम लीडर या मैनेजर हैं और आपको कर्मचारियों को फीडबैक देना है तो इसके लिए आपको कई तरह की तैयारी भी करनी होगी। आपको कर्मचारियों की जरूरतों को भी सुनना पड़ेगा और उन्हें यह भरोसा दिलाना होगा कि आप उनके आइडियाज और जरूरतें सुनने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। अपने स्तर की कमियां होने पर कर्मचारियों से तर्क-कुतर्क न कर उसे स्वीकार कर लेना सही एप्रोच साबित होगा।

फीडबैक के फायदे
किसी भी वर्कप्लेस पर फीडबैक के ढेरों फायदे हैं

आपसी समझ: वर्कप्लेस पर फीडबैक मिलने से कर्मचारियों के बीच एक आपसी समझ विकसित होती है कि अच्छी परफॉर्मेंस के लिए क्या जरूरी है। कर्मचारी उस हिसाब से अपना काम आगे बढ़ाते हैं।

विशिष्टता: फीडबैक तब सटीक काम करता है, जब वह किसी खास लक्ष्य से सम्बद्ध हो। कर्मचारी फिर उसी के हिसाब से अपने काम में गति अथवा बदलाव लाते हैं। इससे काम की गति 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

समयबद्धता: कर्मचारियों को यदि उनके काम का फीडबैक मिले तो वे पूरी कोशिश करते हैं कि किस तरह से उनका काम नियत समय तक पूरा हो। यदि काम में कुछ बदलाव भी हो तो उससे काम प्रभावित नहीं होता।

आत्म-सुधार: फीडबैक से सिर्फ कर्मचारी एवं कंपनी की परफॉर्मेंस में ही सुधार नहीं होता, बल्कि इससे खुद में भी सुधार होता है। आप उसी दिशा में कदम बढ़ाते हैं, जो कंपनी को फीडबैक फैमिन से बाहर निकालती है।

बेहतर तरीका: फीडबैक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे काम करने का बेहतर तरीका मिलता है। कर्मचारी फोकस्ड होकर काम करते हैं। बस वह सकारात्मक दृष्टिकोण आपको भी अपनाना चाहिए।

समस्या-सुधार: कंपनी की मूलभूत समस्याएं क्या हैं तथा इनसे कैसे जल्दी निजात मिल सकती है, यह फीडबैक से पता चल जाता है। इसके बाद सभी लोग मिल-जुल कर नए आइडियाज सामने लाते हैं और हल निकालने की कोशिश करते हैं।


फीडबैक के लिए  उठाएं ये 3 कदम
तैयार रहें

कुछ समय निकाल कर सोचें कि कैसा फीडबैक चाहते हैं-
- क्या यह लिखित होगा, मौखिक या फिर ऑनलाइन
- फीडबैक कौन देगा
- यह कब दिया जाएगा
- अगर आपको इन बातों का पता नहीं तो अपने रिपोर्टिंग मैनेजर से पूछें।



इसे समझें
फीडबैक मिल जाने के बाद -

- सोचें कि यह आपके कार्य में कैसे लागू होता है।
- दिये गये फीडबैक में किन-किन कारकों को शामिल किया गया।
- क्या आप लिखित फीडबैक को ठीक से पढ़ सकते भी हैं या नहीं
- क्या आपको फीडबैक पूरी तरह से समझ आया। अगर नहीं तो अपने रिपोर्टिंग मैनेजर से संपर्क करें।

प्रयोग करें
अब इस पर विचार करना जरूरी है कि फीडबैक के अनुसार आपको कहां सुधार की जरूरत है और कहां आप पहले से  बेहतर हुए -
- भविष्य के लिए योजना बनायें 
- अन्य मापदंडों के अनुसार कार्य करने के लिए तैयारी करें
- जो योजनाएं आपने बनाई हैं, उनके बारे में स्पष्ट रहें।

कुछ शोध
- यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड स्कूल ऑफ साइकोलॉजी के मुख्य शोधकर्ता डॉ. स्टीफेनी टॉबिन ने फेसबुक पर मिलने वाले फीडबैक पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि फेसबुक पर जो यूजर्स जल्द फीडबैक नहीं पाते, उनका आत्मसम्मान घटता है और वे निराश हो जाते हैं। उनकी सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ह्यूमन रिलेशन्स के शोधकर्ता टिमोथी डी. गोल्डेन व एलन फ्रोमैन ने 1100 कॉरपोरेट इम्प्लाइज पर किए शोध के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि जिस कंपनी के कर्मचारी ऑफिस से दूर रह कर काम करते हैं और उन्हें समय से फीडबैक नहीं मिलता, उनकी काम के प्रति दिलचस्पी धीरे-धीरे कम होती जाती है और इसका असर प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है।

- 14 प्रतिशत समय बर्बाद करते हैं मैनेजर अपने कर्मचारियों की गलतियां सुधारने में
- 90 प्रतिशत कर्मचारी अपने वर्कप्लेस कल्चर को कोसते हुए काम कर रहे होते हैं
- 64 फीसदी कर्मियों को नहीं लगता कि मौजूदा कंपनी में कार्य करने का माहौल बढ़िया है।
- 49 प्रतिशत कर्मचारी अपने सुपरवाइजर से खुश नजर नहीं आए
- 66 फीसदी कर्मचारियों को लगता है कि उनकी कंपनी में विकास के अवसर सीमित हैं।
- 04 में से 1 से अधिक कर्मचारियों के पास कार्य करने के लिए जरूरी टूल्स नहीं हैं।
- 21  प्रतिशत कर्मचारियों को ही सिर्फ लगता है कि कंपनी में वे भी महत्वपूर्ण हैं।
- 44 प्रतिशत कर्मचारियों ने पाया कि उनके समकक्ष साथियों से उन्हें सम्मान मिलता है।

स्त्रोत-coronetpublications.net
प्रस्तुति: संजीव चन्द

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