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अकाल मृत्यु भय से मुक्ति

वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए, जिससे पुण्य-लाभ हो? -विश्वेश्वर राम, मधुबनी, बिहार 4 मई को सुबह 9 बज कर 11 मिनट तक ही पूर्णिमा है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति...

अकाल मृत्यु भय से मुक्ति
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Apr 2015 09:20 PM
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वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए, जिससे पुण्य-लाभ हो?
-विश्वेश्वर राम, मधुबनी, बिहार
4 मई को सुबह 9 बज कर 11 मिनट तक ही पूर्णिमा है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति व महापरिनिर्वाण हुआ था। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा गरीब सुदामा जब द्वारिका मिलने गए तो कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक व्रत करने को कहा। सुदामा ने व्रत किया और गरीबी से मुक्त हुए। इसी दिन धर्मराज की पूजा करने का भी विधान है। प्रसन्नतापूर्वक यह व्रत करने वालों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। इस दिन श्रीमद्भागवत, महाभारत और पुराण पढ़ना, उनका दान करना और बुजुर्गों की सेवा करना आदि बेहद शुभ माना जाता है। हर माह की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित है। शास्त्रों में पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थलों, खासकर गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। गंगा स्नान न कर सकें तो नहाने के जल में गंगा जल डाल कर अवश्य स्नान करें।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि आज के दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं और उनके ठीक सामने चंद्रमा भी तुला राशि में मौजूद होकर राजयोग की रचना कर रहे होते हैं। बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में हैं तो शुक्र मिथुन और बुध वृष में रह कर राशि परिवर्तन भी कर रहे हैं। शनि की साढ़े साती से पीड़ित राशियों- तुला, वृश्चिक, धनु- के जातकों और शनि की ढैया वाली राशियों- मेष, सिंह- के जातकों को इस पूर्णिमा में स्नान-दान कर पुण्य अर्जित करना चाहिए। कुछ जन्म लग्नों- मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन लग्न वालों के लिए यह पूर्णिमा स्नान बहुत लाभकारी होगा। मीन राशि वालों को स्नान करते समय सावधान रहना चाहिए। संभव हो तो वैशाख पूर्णिमा पर काले तिल से स्नान, हवन करें। यदि इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव, सत्यनारायण जी का व्रत किया जाए तो अद्भुत फल मिलता है। चंद्रमा की अशुभ दशा से पीड़ित लोगों को भी लाभ होगा।

 

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