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25 वर्ष में भी नहीं पूरी हुई सीबीआई की जांच

बेटी की शादी, सुंदर घर और बच्चों की अच्छी पढ़ाई के संजोए सपनों को दफन हुए पूरे 25 वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन सीबीआई अब तक यह पता नहीं लगा पायी है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के उन 275 खाताधारियों की गाढ़ी...

25 वर्ष में भी नहीं पूरी हुई सीबीआई की जांच
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 29 May 2017 05:00 AM
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बेटी की शादी, सुंदर घर और बच्चों की अच्छी पढ़ाई के संजोए सपनों को दफन हुए पूरे 25 वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन सीबीआई अब तक यह पता नहीं लगा पायी है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के उन 275 खाताधारियों की गाढ़ी कमाई के 40 लाख रुपए किन बैंक कर्मियों ने गबन किये। फरवरी 1993 में समस्तीपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाहपुर उण्डी शाखा में हुए इस गबन मामले में बैंक प्रशासन ने शाखा प्रबंधक व अन्य दोषी कर्मियों को निलंबित करने के बाद जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया था। वहीं संबंधित खाताधारियों का खाता सील कर दिया था। मामले में कथित आरोपी शाखा प्रबंधक व कर्मी जेल गए और फिर जमानत पर छूट गए, पर पीड़ित खाताधारियों की राशि का कोई पता नहीं चला।

कई उपभोक्ताओं के सपने रह गये अधूरे : इस बीच शाहपुर उण्डी निवासी कल्पू दास एवं उसकी विवाहिता बेटी मेघिया देवी सदमे से काल-कलवित हो गई। दर्जनों की मौत राशि के अभाव में इलाज नहीं होने से हो गयी। वहीं कई बेटियां पैसे के अभाव में अच्छे घरों में नहीं ब्याही जा सकी तो कई बच्चों के उच्च शिक्षा के सपने अधूरे रह गए। आश्चर्य यह कि इस 25 वर्ष में भी सीबीआई की जांच पूरी नहीं हुई है। साक्ष्य के अभाव का लाभ गबनकर्ताओं को मिला। सीबीआई जांच की आड़ में लाख प्रयासों के बावजूद खाताधारी अपनी ही जमा राशि निकाल पाने में भी विफल हो दर-दर की ठोकरें खा रहें हैं। प्रसिद्घ स्वतंत्रता सेनानी स्व़ पंडित सत्यनारायण तिवारी की पत्नी जगतमणि देवी स्वर्ग सिधार गई परन्तु चाहकर भी अपने 18 हजार रुपए नहीं निकाल सकी। पुरानी बाजार निवासी रामशंकर चौधरी, विधवा जुवैदा खातून, आरती जगदीश महिला महाविद्यालय आदि अपनी ही राशि नहीं निकाल पा सके।

बदल गया बैंक की शाखा का नाम : इस घटना के बाद समस्तीपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाखा शाहपुर उण्डी को चुपचाप चकसलेम पंचायत में स्थानांतरित कर दिया गया। हद तो तब हो गयी जब इस शाखा को एक बार फिर पटोरी बाजार ले जाया गया। रातों-रात शाखा का नाम शाहपुर उण्डी की जगह पटोरी कर दिया गया। उपभोक्ता परेशान हैं कि आखिर उसी शाखा का नाम क्यों बदल दिया गया। जब गबनकर्ता बैंक की वह शाखा रही ही नहीं तो वे अपनी शिकायत या राशि की मांग किससे करें? समस्तीपुर स्थित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की प्रधान शाखा जो अब बिहार ग्रामीण बैंक के नाम से जानी जाती है, उसके अधिकारी आज भी सीबीआई जांच की दुहाई देकर मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं।

वैसे पटना की सीबीआई कोर्ट समय-समय पर खाताधारियों को बुलाकर उनका बयान ले रही है। खाताधारियों के मूल कागजात भी बैंक ने सीबीआई को सांैप दिया है। खाताधारी अनिर्णय की स्थिति में हैं। आखिर कब पूरी होगी सीबीआई जांच की प्रक्रिया और अब कौन सा द्वार खट-खटाएंगे उपभोक्ता?

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