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मेरी सरस्वती मेरे सामने थीं

मुंबई पहुंचने के बाद मैं शुरुआत में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थी। इसी दौरान मेरे पिताजी की पोस्टिंग भारत से बाहर हो गई। उन्हें स्विट्जरलैंड भेजा गया। पापा ने जाने से पहले मुंबई में एक घर खरीदा। हम...

मेरी सरस्वती मेरे सामने थीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 24 Sep 2016 09:52 PM
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मुंबई पहुंचने के बाद मैं शुरुआत में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थी। इसी दौरान मेरे पिताजी की पोस्टिंग भारत से बाहर हो गई। उन्हें स्विट्जरलैंड भेजा गया। पापा ने जाने से पहले मुंबई में एक घर खरीदा। हम अपने घर में ‘शिफ्ट’ हो गए। मैंने सेंट जेवियर ज्वॉइन कर लिया। वहां मैं गाने लगी। इसी दौरान मेरे भैया के कुछ दोस्तों से, जो अक्सर दिल्ली में हमारे घर आते थे, मुलाकात हुई। वे सब ‘एडवर्टाइजिंग’ की दुनिया में आ गए थे। उनमें से एक का नाम विजय था, जो गुरुदत्त के सबसे छोटे भाई थे। मैं उन्हें राखी बांधती थी और विजय अन्ना बुलाती थी। उन्होंने ही सेंट जेवियर्स में मेरे एडमिशन में मदद की। उन्होंने कहा कि तुम मेरे लिए जिंगल्स गाओ। इससे तुम्हें पैसे भी मिलने लगेंगे। पहला जिंगल जो मैंने गाया, उसे हिंदी में गीता दत्त गा रही थीं, जो उनकी भाभी भी थीं। उसी को मुझे तमिल में गाना था। वह अमूल का जिंगल था। मुझे याद है कि गीता दत्त जी कितनी कमाल की महिला थीं। जितनी बड़ी कलाकार, उतनी ही नेकदिल इंसान। मैं नर्वस हो रही थी कि इनके सामने कैसे गाऊंगी। वह मेरी हालत समझ रही थीं। उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया, जिसके बाद मैंने गाया। यहीं से मेरे प्रोफेशनल जिंगल गाने की शुरुआत हुई। 

हमारे कॉलेज में तमाम फिल्मी कलाकारों के बच्चे पढ़ते थे। अनगिनत लोग वहां कार्यक्रमों में चीफ गेस्ट बनकर आते थे। कभी हेमंत कुमार आ रहे हैं, तो कभी वहीदा रहमान आ रही हैं। वहीदा जी के बच्चे तो हमारे साथ ही पढ़ते थे। हेमंत दा की बेटी मेरे साथ पढ़ती थी। एक बार कॉलेज के एक कार्यक्रम में मैं गा रही थी। उस रोज अमीन सयानी और हेमंत कुमार चीफ गेस्ट थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद हेमंत दा मेरे पास आए और बोले कि मैं स्टेज शो करता हूं और मेरी बेटी को गाने का शौक नहीं है, तो क्या तुम मेरे साथ स्टेज शो करने चलोगी? मैं खुशी से झूम गई। मैंने तुरंत कहा- बिल्कुल दादा, मैं आपके साथ गाऊंगी। तब तक अमीन सयानी भी आ गए। उन्होंने मुझसे अगले दिन कॉलेज के बाद अपने दफ्तर आने को कहा। 

अगले दिन मामुनी मुझे उनके ऑफिस लेकर गईं। अमीन सयानी ने साफ-साफ पूछा कि आप अपनी बेटी को गवाकर क्या बहुत सारे पैसे कमाना चाहती हैं? मामुनी ने कहा बिल्कुल नहीं। मुंबई आने का मकसद पैसे कमाना नहीं था। मेरी तरफ इशारा करके उन्होंने कहा कि यह लता मंगेशकर को भगवान मानती है। मैं चाहती हूं कि इसके अंदर भी कुछ वैसा ही ‘परफेक्शन’ आए। अमीन सयानी बोले- मैं आपको एक आदमी का पता बताता हूं। आप उनके पास जाएं। देखिए, वह क्या कहते हैं। उन्होंने मुझे सी रामचंद्र्र जी पास भेजा। उन दिनों सी रामचंद्र्र का नाम बहुत बड़ा था। मैं उनके पास गई। उन्होंने बोला- बेटा, कुछ सुनाओ। मैंने डरते-डरते उनको कुछ सुनाया। सुनने के बाद वह बोले कि तुम गाती तो अच्छा हो, लेकिन मेरे पास 10 साल बाद आना। अभी तुम बहुत छोटी हो। 

इधर कॉलेज में मेरी पढ़ाई चलती रही। इसी बीच हेमंत दा ने एक रोज सीधा मन्ना डे को फोन कर दिया। उन्होंने कहा कि देखो, एक लड़की है, जिसका बैकग्राउंड क्लासिकल म्यूजिक का है और मुझे लगता है कि वह तुम्हारे साथ बहुत अच्छा ‘ड्यूइट’ गा सकती है। आप इस लड़की को अपने प्रोग्राम में ‘ट्राई’ करो। एक रोज हेमंत दा ने फोन करके पूछा कि मैं अगले दिन क्या कर रही हूं? मैंने उन्हें बताया कि मैं कॉलेज जाऊंगी। वह बोले- तुम कल राजकमल स्टूडियो पहुंच जाओ। मैं और मामुनी सही समय पर पहुंच गए। वहां हेमंत दा पहले से ही थे। उन्होंने मुझे टैगोर गीत सिखाया... मतलब दो लाइनें सिखाईं। फिर बोले- अब इंतजार करो। मैं और सारे संगीतकार स्टूडियो में इंतजार करने लगे। 

थोड़ी देर बाद स्टूडियो का दरवाजा खुला और उससे लता मंगेशकर अंदर आईं। उनको देखकर मेरी तो हालत खराब हो गई। हेमंत दा मेरी हालत समझ रहे थे। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि तुम्हें लता जी के साथ ये दो लाइनें गानी हैं। वही दो लाइन जो उन्होंने मुझे सिखाई थी। मेरी सरस्वती साक्षात मेरे सामने खड़ी थीं। मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं सपना देख रही हूं। थोड़ी ही देर में एक माइक लता जी के लिए लगाया गया और एक मेरे लिए। मैं बहुत डरी हुई थी। डर के मारे रिहर्सल में मैं अपनी लाइन तक भूल गई। लता जी मेरी तरफ देखा और मुस्करा दिया। तभी कान में दादा की आवाज आई- क्या हुआ, तुम भूल गई या डर गई? मैं जवाब तक नहीं दे पा रही थी। फिर हेमंत दादा बोले अब फाइनल टेक करेंगे। ‘टेक’ हो भी गया। वह एक बांग्ला फिल्म का गाना था। मैं आज तक यकीन नहीं कर पाती हूं कि माइक के सामने मेरा पहला गाना लता जी के साथ था। 

(जारी...)

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