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भाजपा के लिए अभेद्य रह गया झामुमो का लिट्टीपाड़ा

लिट्टीपाड़ा उपचुनाव के परिणाम ने साबित कर दिया कि यह झामुमो का अभेद्य किला है, जिसे भेद पाना अभी किसी किसी दल के बूते की बात नहीं। साइमन मरांडी पांचवीं बार यहां से विधायक बने और हेमलाल मुर्मू भाजपा की...

भाजपा के लिए अभेद्य रह गया झामुमो का लिट्टीपाड़ा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 14 Apr 2017 01:33 AM
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लिट्टीपाड़ा उपचुनाव के परिणाम ने साबित कर दिया कि यह झामुमो का अभेद्य किला है, जिसे भेद पाना अभी किसी किसी दल के बूते की बात नहीं। साइमन मरांडी पांचवीं बार यहां से विधायक बने और हेमलाल मुर्मू भाजपा की ओर से दूसरी बार विधानसभा चुनाव हार गये। वोटरों की दुआओं का असर भी साफ दिखा और एक बार फिर झामुमो के सिर पर जीत का सेहरा सज गया।

हारे हुए प्रत्याशी के लिए हेमलाल मुर्मू के लिए भाजपा अभी तक भाग्यशाली नहीं रही। झामुमो छोड़ जब से वह भाजपा में आए हैं, एक भी चुनाव (लोकसभा या विधानसभा) नहीं जीत पाए। गुरुवार सुबह आठ बजे से शुरू हुई और शाम चार बजे तक मतगणना की समाप्ति तक भाजपा और झामुमो के वोट चढ़ते-उतरते रहे। कभी भाजपा को बढ़त मिलती दिखाई देती, तो कभी झामुमो को। लेकिन एक बात अंतिम तक दिखायी दी कि झामुमो राउंड दर राउंड घटते-बढ़ते निरंतर जीत की ओर बढ़ता गया।

लिट्टीपाड़ा में सूबे के दो बड़े नेताओं मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा दांव पर थी। मुख्यमंत्री पूरी शिद्दत से चुनाव लड़े, कैंप कर गये। वहीं झामुमो के हेमंत सोरेन के अलावा झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने भी इस बार लिट्टीपाड़ा में काफी वक्त दिया। इस चुनाव में झाविमो के बाबूलाल मरांडी भी लगातार बने रहे। लेकिन चुनावी लड़ाई का तीसरा कोण नहीं बना पाए। पूरी लड़ाई आमने-सामने की रही।

लिट्टीपाड़ा चुनाव परिणाम सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन के खिलाफ वोटरों का करारा जवाब था या राज्य सरकार के विकास मॉडल को नकारने की मुहर, राजनीतिक हलके में यह निर्ष्कष निकाला जा रहा है। भाजपा का यह नारा भी फुस्स साबित हुआ कि संताल परगना को झामुमो मुक्त किया जायेगा। भाजपा जरूर अपनी पीठ थपथपायेगी कि इस बार उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि यह उपचुनाव था। जिसमें पूरी पार्टी और सरकार की पूरी ताकत लगी हुई थी। आम चुनाव में भी बढ़त का यही प्रतिशत बने रहे तभी वाहवाही की बात होगी।

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