सीएनटी-एसपीटी में संशोधन आदिवासियों के साथ अन्याय : नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन करना आदिवासियों के साथ घोर अन्याय है। ये दोनों एक्ट आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा के लिए बनायी गई थी। इसमें संशोधन कर...
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन करना आदिवासियों के साथ घोर अन्याय है। ये दोनों एक्ट आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा के लिए बनायी गई थी। इसमें संशोधन कर आदिवासियों के साथ अन्याय किया गया है। एक तरह से यह आदिवासियों की गला दबा कर हत्या करने जैसी है। नीतीश बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से आयोजित सरकार गिराओ-झारखंड बचाओ महारैली को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज शासन में आदिवासियों की जमीन को बचाने के लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट बनाया गया था। इसके लिए भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, नीलाम्बर-पीताम्बर सहित दर्जनों लोगों ने शहादत दी थी। आदिवासी का मूल पेशा खेती है। खेती की जमीन को व्यावसायिक प्रकृति में बदल देने पर कानूनी कवच समाप्त हो जाएगा। लगान जमा नहीं करने पर सरकार जमीन को नीलाम कर देगी।
नीतीश ने कहा कि 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून बना है, जिसमें प्रावधान किया गया है कि 70 प्रतिशत लोगों की सहमति होने पर ही जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। सीएनटी-एसपीटी में जो संशोधन हुआ है, उससे सरकारी परियोजनाओं के लिए सीधे जमीन हस्तांतरित कर दी जाएगी। इस मामले पर झारखंड में रहने वाले सभी लोगों को एकमत होने की जरूरत है।
नीतीश ने कहा कि जल, जंगल और जमीन सभी से जुड़ा हुआ है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करनेवालों का जीना दूर्भर हो जाता है। विकास का मतलब होता है, न्याय के साथ विकास। हर क्षेत्र और तबके का विकास। झारखंड में दर्जनों फैक्ट्रियां बंद पड़ी। खनन क्षेत्र उजड़े पड़े हैं। जो पहले हो रहा था सरकार पहले उसे ही ठीक करे। पुराने उद्योग को तो चालू कर नहीं रहे हैं, नये को बुला रहे हैं। झारखंड में पूंजीपति आएंगे, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलेगा।