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हड्डी और नसों की बीमारियों में कारगर है एक्युप्रेशर

गठिया, मधुमेह, साटिका, सरवाइकल, बैकपेन, माइग्रेन, साइनोसाइटिस, हड्डी और नसों की बीमारियों का एक्यूप्रेशर विधि से उपचार काफी कारगर है। ट्रामा और सर्जरी को छोड़ अन्य बीमारियों का इस विधि से उपचार किया...

हड्डी और नसों की बीमारियों में कारगर है एक्युप्रेशर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 26 May 2017 06:33 PM
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गठिया, मधुमेह, साटिका, सरवाइकल, बैकपेन, माइग्रेन, साइनोसाइटिस, हड्डी और नसों की बीमारियों का एक्यूप्रेशर विधि से उपचार काफी कारगर है। ट्रामा और सर्जरी को छोड़ अन्य बीमारियों का इस विधि से उपचार किया जा सकता है। यही कारण है कि राज्य सरकारें एक्यूप्रेशर या एक्यूपंक्चर विधि से उपचार को बढ़ावा दे रही हैं। पटना में भी तीन सरकारी अस्पतालों में एक्यूप्रेशर विधि से उपचार शुरू हो गया है। शुक्रवार को तारामंडल सभागार में भारतीय एक्युप्रेशर योग परिषद द्वारा 24 वां राष्ट्रीय एक्यूप्रेशर/ एक्यूपंक्चर योग कांग्रेस 2017 के अवसर पर विशेषज्ञों ने ये बातें कही। इस अवसर पर एक्यूप्रेशर विधि से उपचार पर एक स्मारिका का भी लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर ने कहा कि बिहार एक्यमप्रेशर एक्ट के प्रति राज्य सरकार काफी गंभीर है। एक्युप्रेशर विधि से सभी सरकारी अस्पतालों में उपचार हो सरकार की यही मंशा है। एमएलसी गंगा प्रसाद ने कहा कि यह एक ग्रामीण स्तर का उपचार है। इसकी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए इसके काफी लाभ होते हैं। एमएलसी रामबचन राय ने कहा कि एक्यूप्रेशर बिहार की खोज है। सबसे पहले इस विधि से उपचार बिहार में ही किया गया । मौर्य काल में यह विधा चीन में चली गई जब वहां के कुछ यात्री भ्रमण के लिए आए थे। विधायक उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि समाज को एक्यूप्रेशर की जरूरत है। यह सहज और आसान भी है। विधायक अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि अगले सत्र में इस विषय को लाया जाएगा। बीएचयू के डा.एनबी शुक्ला ने एक्यूप्रेशर के विज्ञानिक महत्व की जानकारी दी। एक्युप्रेशर विशेषज्ञ सर्वदेव प्रसाद गुप्ता ने कहा कि ब्लडप्रेशर, मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग तेजी से बढ रहा है। इसका मुख्य कारण लोगों की दिनचार्या और खानपान है। इन बीमारियों पर नियंत्रण बीमारी की बजाय एक्यूप्रेशर और योग से होना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक दस साल पर दवाएं बेकार हो जाती हैं। 70 साल पहले देश में एंटीबायोटिक की शुरूआत हुई थी। आज इसका पूरा बाजार है। एंटीबायोटिक अपने आप में एक समस्या बनती जा रही है। आयुर्वेदिक विधि से उपचार को बढ़ावा देने की जरूरत है। सेमिनार में 16 राज्यों से आए विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय दी। कार्यक्रम का संचालन भारतीय एक्यूप्रेशर योग परिषद के राज्य सचिव डा.अजय प्रकाश ने की।

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