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‌BOGSCON : गर्भ में ही हटाए जा सकेंगे जुड़वां बच्चे

गर्भ में पल रहे बच्चों के उपचार की सुविधा देश में बढ़ रही है। अब देश के कई शहरों में ऐसी सुविधा हो गई है कि बिना कोई नुकसान के गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों में से एक को हटाया जा सकता है लेकिन यह 15...

‌BOGSCON : गर्भ में ही हटाए जा सकेंगे जुड़वां बच्चे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 18 Nov 2016 04:22 PM
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गर्भ में पल रहे बच्चों के उपचार की सुविधा देश में बढ़ रही है। अब देश के कई शहरों में ऐसी सुविधा हो गई है कि बिना कोई नुकसान के गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों में से एक को हटाया जा सकता है लेकिन यह 15 सप्ताह के भीतर होना चाहिए।

वैसे सामान्य बीमारियों से गर्भ में पीड़ित बच्चों का उपचार 30 सप्ताह के भीतर किया जा सकता है। शुक्रवार को बिहार ऑब्सट्रेक्टिव गायनोकोलाजी सोसायटी सम्मेलन 2016 में भाग लेने आए कटक के डा.हरा पटनायक ने ये बातें कही।

उन्होंने कहा कि पेट में बच्चे के उपचार को फिटल मेडिसिन कहते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चों के परीक्षण और उपचार की सुविधा देश के प्राय सभी बडे महानगरों में हो गई है। पटना में भी ऐसी सुविधा प्रदान करने पर संगठन विचार कर रहा है। 15 से 30 सप्ताह के अंदर बच्चे के उपचार और सर्जरी की जा सकती है। इसके बाद कठिन हो जाता है। ऐसे उपचार में प्राय 50 हजार से एक लाख रुपये खर्च आते हैं। कभी कभी बच्चे के पेट के अगले हिस्सा नहीं रहता है। ऐसे बच्चे जन्म लेते ही दम तोड़ देते हैं या गर्भावस्था में ही मौत हो जाती है। इस बीमारी को एक्सोफ्लोअस कहते हैं। यह बीमारी जीन में गड़बडी के कारण होती है। ऐसे बच्चों का उपचार इसी विधि से ही किया जाता है।

सेमिनार में नई दिल्ली की डा.मोनिका ने टेस्ट टयूब बेबी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली स्थित उनके सेंटर में अब तक लगभग सात हजार बच्चे पैदा हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि 70 ऐसे बच्चों का गर्भ में ही उपचार किया गया। ऐसे बच्चों को हृदय, पेट, आंत आदि में परेशानी थी। अगले साल पटना में भी ऐसी सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। कार्यक्रम में डा. अनिता सिंह, डा. कुसूम कपूर, डा.शिवम, डा.एसएन उपाध्याय, डा. पीसी महापात्रा आदि ने भी महिलाओं की बीमारियों के बारे में जानकारी दी।

गंभीर बीमारियों के लिए कारगर है प्लेसेंटा का खून

कोलकता के डा. मोलीनाथ मुखर्जी का कहना है कि प्रसव के बाद अक्सर प्लेसेंटा को फेंक दिया जाता है जबकि इसमें औसतन 80 से सौ मिलीग्राफ खून होता है। इस खून में 17 से 18 प्रतिशत हीमोग्लोबिन होती है। किड़नी, लीवर, हृदय आदि से पीड़ित मरीजों के लिए यह खून वरदान साबित होता है। प्लेसेंटा के खून को फिटल ब्लड कहते हैं। यह खून ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए काफी कारगर होता है।

व्यायाम नहीं करने वाली महिलाओं को बच्चेदानी निकलने का खतरा

डा. मोलीनाथ ने कहा कि सामान्य प्रसव के दौरान 40 प्रतिशत महिलाओं को बचचेदानी बाहर आ जाता है। इसका मुख्य कारण शारीरिक व्यायाम नहीं करना है। अधिक बच्चे, मोटापा खांसी,अस्थमा आदि से पीड़ित महिलाओं को प्रसव के दौरान बच्चेदानी बाहर आने का खतरा रहता है। ऐसी महिलाओं की मांसपेशियां ढीली हो जाती है जिससे ऐसी समस्या होती है।

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