फोटो गैलरी

Hindi Newsमंच पर औरत की कहानी औरत की जुबानी

मंच पर औरत की कहानी औरत की जुबानी

राजा दशरथ तीन शादियां किए तो कोई दोष नहीं...और मैंने उनके बेटे को आई लव यू बोल दिया, तो मेरी नाक काट दी...यह कहां का न्याय है... जब यह संवाद शूर्पनखा की भूमिका निभा रही अभिनेत्री बोली,तब पूरा हॉल...

मंच पर औरत की कहानी औरत की जुबानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 08:48 AM
ऐप पर पढ़ें

राजा दशरथ तीन शादियां किए तो कोई दोष नहीं...और मैंने उनके बेटे को आई लव यू बोल दिया, तो मेरी नाक काट दी...यह कहां का न्याय है... जब यह संवाद शूर्पनखा की भूमिका निभा रही अभिनेत्री बोली,तब पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। ऐसा एक बार नहीं बल्कि बार-बार हुआ।

अभिनेत्रियां सीता, द्रौपदी, चित्रांगदा बन कर आती रहीं और मुंबईया अंदाज में औरत की कहानी औरत की जुबानी सुनाती रही। गुरुवार शाम ‘म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर नाटक करके मुंबई से आए बीइंग एसोसिएशन के कलाकारों ने दिल जीत लिया। और इसी नाटक के साथ कोरस के तीन दिवसीय ‘पहला नाट्योत्सव का की शुरुआत भी हो गई। औरत की बात तीन दिनों तक चलनेवाला यह नाट्योत्सव शहीद-ए-आजम भगत सिंह और कवि मुक्तिबोध,त्रिलोचन और पाश की स्मृति में है और महिलाओं पर केंद्रित है। नाट्योत्सव का यह पहला नाटक दर्शकों को खूब प्रभावित किया। सुमेधा लिखित यह नाटक रसिका अगाशे के निर्देशन में हुआ। पौराणिक काल से लेकर आज तक भारतीय समाज में कैसे औरत को हमेशा कटघरे में खड़ा किया गया, कैसे उसका लगातार शोषण होता रहा, कैसे कभी पत्नी के नाम पर,कभी प्रेमिका के नाम, पर तो कभी बेटी के नाम पर। खास बात यह रही कि अपनी बात कहने के लिए कलाकारों ने अलहदा अंदाज अपनाया। फिल्मी गीतों से लेकर अंग्रेजी शब्द तक,जैसे चित्रांगदा को देखकर अर्जुन के दिल में यह गाना बजने लगता है कि एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...। एक-एक चरित्र की बात को बारी-बारी से मंच पर उभारा गया। दर्शक आखिर तक बंधे रहे। इसके पहले उद्घाटन सत्र में अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर काम करनेवाली दस महिलाएं मंच पर थी। वरिष्ठ आलोचक रामजी राय की अध्यक्षता में उद्घाटन सत्र चला। इसका संचालन समता राय ने की। बॉक्सआज का नाटकसमझौताप्रस्तुति- द फैक्ट रंगमंडल, बेगूसरायनिर्देशन-प्रवीण गुंजनसमय- शाम 6 बजे से

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें