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निर्गुण से चैता गायन तक, रंजना ने यादगार बनायी शाम

इलाहाबाद की चर्चित गायिका डॉ. रंजना त्रिपाठी ने अपने गायन से राजधानी वाटिका (इको पार्क) में जुटे लोगों की शाम यादगार बना दी। बिहार सरकार के कला संस्कृति युवा विभाग और तथा बिहार संगीत नाटक अकादमी ने...

निर्गुण से चैता गायन तक, रंजना ने यादगार बनायी शाम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 19 Mar 2017 09:22 PM
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इलाहाबाद की चर्चित गायिका डॉ. रंजना त्रिपाठी ने अपने गायन से राजधानी वाटिका (इको पार्क) में जुटे लोगों की शाम यादगार बना दी। बिहार सरकार के कला संस्कृति युवा विभाग और तथा बिहार संगीत नाटक अकादमी ने यहां ‘संगीत संध्या का आयोजन किया था। मौके पर अकादमी के सचिव तारानंद महतो वियोगी ने डॉ. त्रिपाठी और उनके साजिंदों को सम्मानित किया।

गायिका डॉ. रंजना ने बिहार में अपनी कला को प्रदर्शित करने का अवसर देने के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार जताते हुए सुगम संगीत के सभी प्रकारों की दिलकश प्रस्तुति की। दरभंगा घराने के साथ ही श्रीकांत वैश्य और रामाश्रय झा से तालीम पाने वाली इस गायिका ने निर्गुण गायिकी से आरंभ किया। फिर तुलसीदास के चर्चित भजन की प्रस्तुत की-जननी मैं न जीयूं बिनु राम। विदित हो कि जेपी इस भजन के मुरीद थे।

डॉ. रंजना ने अपनी सधी हुई आवाज में गीत, गजल, लोकगीतों के साथ ही चैता की शानदार प्रस्तुति से लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर किया। डॉ. त्रिपाठी ने नारी मनोभावों से जुड़े कई गीत पेश किये। तबले पर सुशांशु प्रकाश, हारमोनियम पर सुधीर कुमार, ढोलक पर देवकुमार लाल, सिंथेसाइजर पर रविरंजन और बांसुरी पर मास्टर सलीम ने इनका साथ दिया। संगीत नाटक अकादमी के सचिव ने संगीत प्रेमियों को बताया कि संगीत विहान और संगीत संध्या के तहत राजधानी वाटिका में सरकार ऐसे ही चुनिंदा कलाकारों के कार्यक्रम आगे भी कराती रहेगी। मौके पर पटना के डीएफओ मिहिर कुमार झा, पूर्व आईएएस धीरेन्द्र कुमार झा, अकादमी की सहायक सचिव विभा सिन्हा, गायिका डॉ. पूनम सिन्हा, रंगकर्मी सुमन कुमार, लेखक अशोक व लक्ष्मीकांत सजल, रेंजर सुबोध गुप्ता समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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