गया के डिप्टी मेयर श्रीवास्तव की रिहाई का रिकार्ड खोज रही है सीआईडी
दो नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में त्रुटिपूर्ण अनुसंधान करने के मामले में अनुसंधानकर्ता दारोगा मंजुबाला पोद्दार के खिलाफ सीआईडी के अधिकारी ने जांच शुरू कर दी है। अनुसंधानकर्ता को नामजद...
दो नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में त्रुटिपूर्ण अनुसंधान करने के मामले में अनुसंधानकर्ता दारोगा मंजुबाला पोद्दार के खिलाफ सीआईडी के अधिकारी ने जांच शुरू कर दी है। अनुसंधानकर्ता को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
उसके खिलाफ प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉस्को) एक्ट और आईटी के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले का अनुसंधान कर रही सीआईडी अधिकारी बुधवार को पटना सिविल कोर्ट पहुंची और उस अदालती अभिलेख की खेजबीन शुरू कर दी। जिसमें नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी गया के डिप्टी मेयर ओंकार नाथ श्रीवास्तव उर्फ मोहन श्रीवास्तव समेत आठ आरोपित साक्ष्य के अभाव में सेशन कोर्ट से बरी हुए थे।
इसी मामले में आरएच बंसल ने राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग में इस कांड की अनुसंधानकर्ता महिला दारोगा मंजुबाला पोद्दार द्वारा अभियुक्तों के खिलाफ सही ढंग से अनुसंधान नहीं करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।
इस मामले में अनुसंधानकर्ता द्वारा लापरवाही और दो नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी। जिसमें कहा गया कि आरोपितों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और उनके पदनाम और व्यवसाय को दर्ज नहीं किया गया। इसके अलावे अनुसंधानकर्ता ने कई नियमों व कानून का उल्लंघन करने के आरोप हैं।
अनुसंधानकर्ता ने दोनों नाबालिग, जो पीड़िता हैं उनको मुआवजा के लिए सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं दिया। इसकी वजह से इस कांड की दोनों पीड़िता को आर्थिक मदद नहीं मिली। अनुसंधानकर्ता पर आरोप है कि उसने पीड़िता को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से कानूनों व नियमों का उल्लंघन किया है।