बटाईदारी कानून से परती जमीन का हो सकता है उपयोग
देश में 26 लाख मिलियन हेक्टयर जमीन परती रह जाती है। वहीं बिहार में एक मिलियन यानी 10 लाख हेक्टेयर जमीन परती रह जाती है। अगर इसमें खेती हो तो किसानों की आय बढ़ेगी। इसके लिए यह जरूरी है कि जमीन मालिकों...
देश में 26 लाख मिलियन हेक्टयर जमीन परती रह जाती है। वहीं बिहार में एक मिलियन यानी 10 लाख हेक्टेयर जमीन परती रह जाती है। अगर इसमें खेती हो तो किसानों की आय बढ़ेगी। इसके लिए यह जरूरी है कि जमीन मालिकों का डर दूर किया जाए और बटाईदारी कानून को सही तरीके से लागू किया जाए।
सोमवार को नीति आयोग के मॉडल कृषि भूमि पट्टेदारी कानून 2016 पर एक होटल में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह विचार रखे। नीति आयोग के स्पेशल लैंड सेल के अध्यक्ष डॉ. टी हक ने कहा कि कृषि भूमि की पट्टेदारी पर मॉडल कानून बनाया गया है। इसमें कुछ संशोधन कर मध्यप्रदेश, उत्तराखंड व यूपी सरकार ने अपने यहां लागू किया। ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों में इस पर विमर्श चल रहा है।
डॉ. हक ने कहा कि देश के सभी राज्य सरकारों को यह कानून सौंपा गया है। सरकार इसमें संशोधन कर लागू कर सकती है। डॉ. हक ने कहा कि परती जमीन का उपयोग हो तो देश में कम से कम 52 लाख मिलियन टन अनाज उत्पादन बढ़ जाएगा। लाखों श्रमिकों को रोजगार मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी। इस कानून में किसी भी स्तर पर मालिकों की जमीन नहीं छीनी जाएगी। साथ ही बटाईदारों को बैंक से कर्ज मिलेगा। फसल बीमा कंपनियों या आपदा आने पर सरकार से लाभ भी मिलेगा।
दम के कपिलेश्वर राम ने कहा कि कृषि पट्टेदारी को लेकर बंदोपाध्याय कमेटी गठित हुई पर उसकी सिफारिशों को लागू करने में ठोस प्रयास नहीं हुए। अंतरराष्ट्रीय संस्था लैंडेसा की भारतीय निदेशक मंजरी जरुहार ने कहा कि उम्मीद है कि निकट भविष्य में इस कानून के उपयोग में लाने की गति तेज होगी। कार्यशाला में सेवानिवृत्त आईएएस रामउपदेश सिंह,अजय कुमार सिंह, रामजीवन सिंह, कीर्ति, आरती कुमार, सौरभ कुमार, रंजना दास सहित कई विशेषज्ञों व किसानों ने विचार रखे।