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रिक्शा चालक के बेटे ने मिसाल कायम की, आईआईएम से एमबीए किया

आईआईएम लखनऊ से एमबीए कर पुणे में जॉब शुरू करने की तैयारी में जुटा पलामू का युवा योगेन्द्र सिंह अपना पैतृक गांव सुआ सहित पूरे पलामू प्रमंडल की तस्वीर बदलना चाहता है। उसने प्लानिंग भी कर ली है बस...

रिक्शा चालक के बेटे ने मिसाल कायम की, आईआईएम से एमबीए किया
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Mar 2017 10:22 PM
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आईआईएम लखनऊ से एमबीए कर पुणे में जॉब शुरू करने की तैयारी में जुटा पलामू का युवा योगेन्द्र सिंह अपना पैतृक गांव सुआ सहित पूरे पलामू प्रमंडल की तस्वीर बदलना चाहता है। उसने प्लानिंग भी कर ली है बस इंतजार है पढ़ाई के लिए गये ऋण को चुकाने तक का है। बकौल योगेन्द्र गांव में भी काफी हुनर है जरूरत उसे निखारने और बाजार अर्थात मांग को उनतक पहुंचाने की है।

पलामू के मेदिनीनगर सदर प्रखंड के सुआ गांव का रहने वाला योगेन्द्र के पिता जीतन सिंह मेदिनीनगर में ही दशक भर पहले तक रिक्सा चलाते थे। है। फिलहाल मानसिक रूप से बीमार हो जाने के कारण वे घर पर रहते हैं। परिवार के पास थोड़ी जमीन भी है परंतु रिश्तेदारों से विवाद के कारण जमीन का लाभ भी नहीं मिल पाता है। इन आर्थिक मजबुरियों के बीच योगेन्द्र ने हौसला दिखाते हुए सरकार के सहयोग से पहले जमशेदपुर से डिप्लोमा, फिर बीआईटी सिंदरी से बीटेक और अंतत: लखनऊ के आईआईएम से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर स्मार्ट पैकेज पर जॉब के लिए कैंपस से ही गत फरवरी में चुन लिया गया है। योगेन्द्र ने कहा कि उसने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी तीन बहनों की शादी की और अब दो छोटे भाई और एक बहन को भी साथ रखकर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास करेंगे। परंतु यही आखिरी मुकाम नहीं है, प्रयास पलामू की प्रतिभा को मौका देने का है ताकि आर्थिक अड़चनों के कारण वे पीछे नहीं रह जाए। योगेन्द्र बताते हैं कि आर्थिक संसाधन को जीवन में कमजोरी नहीं बनने देना चाहिए, दृढ इच्छा शक्ति और मेहनत से सफलता हासिल की जा सकती है। निराशा को कभी भी साथ नहीं आने देना चाहिए।

कई रात भूखे गुजारा परंतु हिम्मत नहीं हारी

योगेन्द्र बताते हैं कि कई रात उन्होंने भूखे रह कर गुजारी लेकिन हिम्मत नहीं हारा। उन्होंने बताया कि इंटर की पढाई के दौरान उनके पिता की मानसिक स्थिति खराब हो गई थी जिस कारण कई रात भूखों रहना पड़ा था। बाद में उन्होंने गांव के स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। ट्यूशन से होने वाले आय से खुद की पढाई की और पारिवारिक दायित्व को निभाया। योगेन्द्र बताते हैं कि बीआईटी से इलेक्ट्रॉनिक में डिग्री लेने बाद उन्होंने कैट का परीक्षा दी। 2015 में उन्होंने आईआईएम लखनऊ में दाखिला लिया। इसके लिए उन्होंने लगभग 15 लाख का एजुकेशन लोन भी लिया। फरवरी-2017 में आईआईएम लखनउ में आयोजित कैंपस सलेक्शन में पुणे के माइक्रो फाइनांस के क्षेत्र में काम करने वाली एक कंपनी ने स्मार्ट पैकेज दिया है।

गांव के तस्वीर के बदलने के लिए बनाया है प्लान

अपने गांव सुआ समेत पूरे पलामू की तस्वीर बदलने की चाह रखते हैं योगेन्द्र। उन्होंने बताया कि नौकरी के बाद वे गांव और पलामू के विकास के लिए काम करेंगे। फिलहाल बैंक का ऋण को वे चुकता करेंगे। उन्होंने बताया कि सिर्फ दस लाख रूपए में गांव के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने और सरकारी स्कूल में स्मार्ट शिक्षा दिया जा सकता है। नौकरी से होने वाली आय से वह इस प्लान पर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके तीन छोटे-छोटे भाई-बहन है, वे सभी को पढाई के लिए अपने साथ ले जाएंगे।

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