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पाकुड़िया के दुग्ध उत्पादकों को नहीं मिला रहा योजनाओं का लाभ

पाकुड़िया एसं। भले ही कागजी दावे लाख हों परंतु सरजमीनी स्तर पर प्रखंड के दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को वो सरकारी सुविधाएं अबतक नसीब नहीं हो पाई है। जिसके वे असली हकदार है। ज्ञात हो कि प्रखंड के सिंहपुर,...

पाकुड़िया के दुग्ध उत्पादकों को नहीं मिला रहा योजनाओं का लाभ
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 Jan 2017 02:20 AM
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पाकुड़िया एसं। भले ही कागजी दावे लाख हों परंतु सरजमीनी स्तर पर प्रखंड के दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को वो सरकारी सुविधाएं अबतक नसीब नहीं हो पाई है। जिसके वे असली हकदार है। ज्ञात हो कि प्रखंड के सिंहपुर, बेनाकुडा, बन्नोग्राम, पाकुड़िया, गणपुरा जैसे दर्जनों गांवों में लोग पशुपालन सहित दुध का कारोबार करते है। लेकिन उन्हें आजतक गव्य विकास के मिली डेयरी, कॉमर्शियल डेयरी या मोडर्न डेयरी का लाभ नहीं मिल पाया है। जिसमें 20 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक ऋण में छूट सरकार की ओर से दिया जाता है। साथ ही उन्हें सरकार चारा काटने की मशीन, पशुओं के निवास हेतु शेड भी प्रदान करती है। प्रखंड के पाकुड़िया निवासी पशुपालक विभाष साहा, बाम साहा आदि अन्य ने बताया कि वे लाल कार्डधारी गरीब व भूमिहीन है। पड़ोसी से उधार लेकर सात-आठ गाय खरीदकर दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करते हैं। हाल ही में अचानक तीन गायों के मर जाने से उनके उपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। मैं वर्षों से गव्य विकास विभाग द्वारा योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश में हॅूं पर सफलता नहीं मिल पा रही है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए मिनी डेयरी या कॉमर्शियल डेयरी का लाभ दिलाने की अपील की है। ताकि दूग्ध उत्पादन को बढ़ाकर तथा इसे बेचकर वे अपनी माली हालत में सुधार ला सके। हालांकि कई पशुपालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार की इन महात्वाकांक्षी योजनाओं में बैंकों का अपेक्षित सहयोग कभी भी पशुपालकों को नहीं मिलता है। जिला गव्य विकास पदाधिकारी धमेंद्र प्रसाद विद्यार्थी ने प्रतिक्रिया स्वरूप बताया कि पशुपालकों के उत्थान के लिए हमें हमेशा तत्पर हॅूं। पाकुड़ आकर सीधे मिले, उन्हें सभी प्रकार की दुग्ध उत्पादक सरकारी सुविधाओं का लाभ निश्चित रूप से दिया जाएगा।

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