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Hindi News..जब डर था कि एक दूसरे को गोली न मार दें भारत-पाक खिलाड़ी

..जब डर था कि एक दूसरे को गोली न मार दें भारत-पाक खिलाड़ी

साल 1972 के जर्मनी में हुए म्यूनिख समर ओलंपिक को लोग 'ब्लैक सेप्टेम्बर' के आतंकी हमले के लिए ज्यादा याद करते हैं। आपको बता दें कि जब इजरायली टीम पर हमला हुआ तो उसी स्पोर्ट्स विलेज में भारत और...

..जब डर था कि एक दूसरे को गोली न मार दें भारत-पाक खिलाड़ी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 Jul 2016 01:33 PM
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साल 1972 के जर्मनी में हुए म्यूनिख समर ओलंपिक को लोग 'ब्लैक सेप्टेम्बर' के आतंकी हमले के लिए ज्यादा याद करते हैं। आपको बता दें कि जब इजरायली टीम पर हमला हुआ तो उसी स्पोर्ट्स विलेज में भारत और पाकिस्तान की टीम भी मौजूद थीं। जर्मन पुलिस को सुरक्षा के बाकी इंतजाम के साथ इस बात का भी ख्याल रखना पड़ रहा था कि कहीं भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक दूसरे को गोली न मार दें। 

जानिए क्या था मामला
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान दोनों में ही ग्रुप्स में उनकी शूटिंग टीम मौजूद थीं। अप क्योंकि वो सभी शूटर्स थे तो साथ अपनी बंदूकें और प्रैक्टिस के लिए अन्य बंदूकें भी लाए थे। अभी भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध थमे कुछ ही महीने बीते थे और दोनों देशों के बीच काफी अशांति थी। पाकिस्तान अपनी हार से काफी आहत था और किसी भी तरह की बुरी घटना की आशंका लगातार बनी हुई थी। जर्मन सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की ख़ुफ़िया सूचना मिली थी कि दोनों ही टीमों में बतौर खिलाड़ी कुछ इंटेलीजेंस के लोग शामिल कर भेजे गए हैं। दोनों ही टीमों के पास बंदूकें थीं और कभी भी कुछ हो सकता है इसकी आशंका लगातार बनी हुई थी। 

क्या बताते हैं शूटर परिमल चटर्जी
उस वक़्त भारत की तरफ से शूटिंग टीम में शामिल खिलाड़ी परिमल बताते हैं कि माहौल में बहुत तनाव था जिसके चलते हमारे कमरों के बाहर हमेशा पुलिस के जवान तैनात रहते थे। पुलिस ने कभी कुछ कहा नहीं लेकिन वे रात भर भी कमरे के बाद पहरा देते थे। शूटर्स अपनी बंदूकें अपने कमरे में रख सकते थे और उन्हें डर था कि कुछ ही दूर रुके पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हमारी कोई खटपट न हो जाए। हालांकि ऐसी कोई घटना नहीं हुई और ये ओलंपिक इजरायली खिलाडियों पर हुए आतंकी हमले के लिए जाना गया। 

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