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भारतीयों गोल्फरों के पास इतिहास रचने का मौका

भारत के अनिर्बाण लाहिडी, एसएसपी चौरसिया और अदिति अशोक के पास इस बार ओलंपिक खेलों में दुनिया के कई दिग्गज और नामी खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में 112 सालों के लंबे अर्से बाद वापसी कर रहे गोल्फ की स्पर्धा...

भारतीयों गोल्फरों के पास इतिहास रचने का मौका
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 04 Aug 2016 03:23 PM
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भारत के अनिर्बाण लाहिडी, एसएसपी चौरसिया और अदिति अशोक के पास इस बार ओलंपिक खेलों में दुनिया के कई दिग्गज और नामी खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में 112 सालों के लंबे अर्से बाद वापसी कर रहे गोल्फ की स्पर्धा में इतिहास रचने का मौका है।

पुरुष वर्ग में लाहिडी, चौरसिया और महिला वर्ग में अदिति को ओलंपिक खेलों में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल है। सबसे बड़ी बात यह है कि गोल्फ ओलंपिक खेलों में एक सदी के बाद वापसी कर रहा है। लाहिडी को अंतरराष्ट्रीय गोल्फ फेडरेशन(आईजीएफ) की ताजा रैंकिंग में 20वां तथा चौरसिया को 45वां स्थान जबकि महिलाओं में अदिति को 57वां स्थान मिला था जिसकी बदौलत उन्होंने रियो के लिये क्वालीफाई किया।

ओलंपिक खेलों में खिलाड़ियों को आईजीएफ रैंकिंग में शीर्ष 60 में होना अनिवार्य है जिससे भारतीय गोल्फरों की रैंकिंग अच्छी है। वहीं लाहिडी और चौरसिया दोनों ही भारत के शीर्ष और अनुभवी गोल्फर हैं जो बड़े टूर्नामेंटों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

महिला वर्ग में अदिति के पास लेडीज यूरोपियन टूर के संपूर्ण सत्र के लिये कार्ड मौजूद है और वह अच्छे फॉर्म के साथ रियो में उतर रही हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारतीय गोल्फरों के लिये जो 31वें ओलंपिक खेलों में सबसे बड़ा फायदे का सौदा साबित हो सकता है वह है दुनिया के शीर्ष गोल्फरों की इन खेलों में गैरमौजूदगी।

यह सच है कि एडम स्कॉट और जेसन डे जैसे नामी चेहरों ने रियो ओलंपिक खेलों से विभिन्न कारणों से नाम वापस लेकर गोल्फ की स्पर्धा को बिल्कुल फीका कर दिया है लेकिन ऐसे में भारतीय गोल्फरों के पास पहली बार इन ओलंपिक खेलों में कम प्रतिस्पर्धा और कम दबाव से बेहतर परिणाम निकालकर इतिहास रचने का मौका भी है।

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