नगर निगम काल सेंटर पर नहीं हो रहा शिकायतों का समाधान
नगर निगम के कॉल पर भी लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से एक बार फिर निगम की कार्यप्रणाली के प्रति लोगों में रोष बन रहा है। पिछले महीने सात जून को शुरू हुए कॉल सेंटर पर अब तक...
नगर निगम के कॉल पर भी लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से एक बार फिर निगम की कार्यप्रणाली के प्रति लोगों में रोष बन रहा है। पिछले महीने सात जून को शुरू हुए कॉल सेंटर पर अब तक करीब साढ़े तीन सौ शिकायतें आ चुकी हैं, जिनमें 90 फीसदी से ज्यादा शिकायतों का समाधान नहीं हुआ है। कॉल सेंटर पर अपडेट लेने वालों को यही जवाब मिलता है कि अभी उनकी समस्या पर काम चल रहा है, जैसे ही समाधान हो जाएगा तो उनको बता दिया जाएगा, जबकि निगम ने हर समस्या का समाधान करने के लिए सिटीजन चार्जर के रूप में समय निर्धारित किया था। निगम कर्मचारियों का तकनीकी ज्ञान और स्टाफ का अभाव इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने किया था शुभारंभ
खुद को हाईटैक बनाने के लिए नगर निगम ने अपना कॉल सेंटर शुरू किया था। जिसका शुभारंभर पिछले महीने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर ने किया था। इस अवसर पर एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया था। जिस पर फोन करके लोग अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते थे। इसके अलावा वेबसाइट, सार्वजनिक सुविधा केंद्र का शुभारंभ भी निगम प्रशासन ने मुख्यमंत्री से ही करवाया था। मुख्यमंत्री ने निगम की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा था कि अब वक्त आ गया है खुद को हाईटैक बनाने का। वक्त के साथ कदमताल करना जरूरी हो गया है। उन्होंने ई-गवर्नेंस पर जोर दिया था। भाजपा सरकार की तरफ से कई ऐसी योजनाओं का जिक्र भी मुख्यमंत्री ने किया जिनको प्रदेश में शुरू किया जा चुका है। सीएम विंडो, आनलाइन रजिस्ट्री आदि इनमें शामिल थी।
काल सेंटर पर हर महीने सवा लाख का खर्च
कॉल सेंटर चलाने के लिए नगर निगम ने पांच सीटें फिक्स की हैं। जहां निगम से जुड़ी शिकायतों को दर्ज किया जाता है। प्रत्येक सीट पर करीब 23 हजार रुपये प्रति महीना फीस निगम को अदा करनी होती है। दो साल का एग्रीमेंट निगम ने कंपनी के साथ किया है। कॉल सेंटर का काम शिकायत दर्ज करके निगम की वेबसाइट पर डालना और निगम अधिकारियों के मोबाइल पर एसएमएस करना है। इसके साथ शिकायतकर्ता को शिकायत नंबर देना। जैसे ही निगम की तरफ से शिकायत पर काम किया जाता है, उसका अपडेट देना भी कॉल सेंटर की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन यह तभी संभव हो पाता है जब निगम की तरफ से कॉल सेंटर को इनपुट मिलेगा।