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कंडम बसें बन रही बीमारियों का अड्डा

रोडवेज के लिए कंडम हो चुकी या किसी दुघर्टना में क्षतिग्रस्त हो चुकी बसें स्टैंड परिसर में बीमारियां फैलाने का काम कर रही हैं। रोडवेज कर्मचारियों के साथ-साथ बस स्टैंड पर आने वाले यात्राियों को भी...

कंडम बसें बन रही बीमारियों का अड्डा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 18 May 2015 07:05 PM
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रोडवेज के लिए कंडम हो चुकी या किसी दुघर्टना में क्षतिग्रस्त हो चुकी बसें स्टैंड परिसर में बीमारियां फैलाने का काम कर रही हैं। रोडवेज कर्मचारियों के साथ-साथ बस स्टैंड पर आने वाले यात्राियों को भी बीमारियों का डर सताता है, लेकिन इस ओर रोडवेज प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

कंडम या फिर किसी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो चुकी बसें पिछले कई वर्षो से स्टैंड परिसर में पड़ी है। उनमें कचरा भी जमा हो चुका है। वहीं बारिश के मौसम में तो बसों के अंदर मक्खी, मच्छर व अन्य बीमारियां फैलाने वाले जीवाणु पैदा होते हैं।

रोडवेज कर्मियों के साथ-साथ बस स्टैंड के आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी बीमारियों का सबब बनते हैं। लापरवाही से नहीं हो पाती सफाई :- रोडवेज परिसर में सफाई के लिए सफाई कर्मी भी नियुक्त है।

लेकिन सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जाती है। बसों के अंदर के हालात ऐसे हैं कि उनके पास से निकलते वक्त भी बदबू महसूस की जा सकती है। कंडम हो चुकी बसों के पीछे लोग मल-मूत्र त्याग करने से गुरेज नहीं करते।

इसके चलते बसों के आसपास के हालात बदतर हो चुके हैं। रोडवेज प्रबंधन न भी ऐसा न करने की चेतावनी दीवार पर लिख अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। कोई ठोस कार्रवाई न होने से गंदगी का आलम दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

परिसर से बसें उठवाने की हो चुकी है मांग :- हरियाणा सर्व कर्मचारी हरियाणा रोडवेज के जिला प्रधान कुलवीर देशवाल का कहना है कि इसके लिए रोजवेज प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों को इस बारे में कई बार अवगत करवाया गया है। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इससे कर्मचारियों में बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। जल्द से जल्द कचरा बन चुकी बसों को हटवाना चाहिए।

बस अड्डा जैसे सार्वजनिक स्थान पर कंडम बसों व उनके आसपास पड़ी गंदगी तथा कबाड़ में मच्छर मक्खी पैदा होते हैं। जिससे संक्रमित रोगों के फैलने का डर ज्यादा रहता है।
डॉ. लोकवीर सिंह, डिप्टी सीएमओ, सिविल अस्पताल पलवल
पुरानी बसें कारीगरों की कमी के चलते कंडम हो जाती हैं। जबकि कुछ बसें दुर्घटना का शिकार होने के बाद यहां खड़ी की गई हैं। जब तक इन बसों के केस पूरे नहीं हो जाते तब तक नियमों के अनुसार इनकी बोली भी नहीं लग सकती है। कंडम बसों की बोली के लिए लिखा गया है।
पलटूराम रावत, डय़ूटी इंस्पेक्टर, बस अड्डा पलवल

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