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मेट्रो हादसों में 5 साल में 59 अपाहिज, गार्ड ने 200 से ज्यादा को बचाया

अपने परिवार के कमाई करने वाले एकमात्र सदस्य पटेल उन 59 लोगों में शामिल हैं, जो पिछले पांच सालों के दौरान मेट्रो के सामने छलांग लगाकर खुदकुशी करने की कोशिश में अपाहिज हो गए। पटेल को दिल्ली मेट्रो...

मेट्रो हादसों में 5 साल में 59 अपाहिज, गार्ड ने 200 से ज्यादा को बचाया
एजेंसीTue, 29 Sep 2015 04:16 PM
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अपने परिवार के कमाई करने वाले एकमात्र सदस्य पटेल उन 59 लोगों में शामिल हैं, जो पिछले पांच सालों के दौरान मेट्रो के सामने छलांग लगाकर खुदकुशी करने की कोशिश में अपाहिज हो गए।

पटेल को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के अधिकारियों की त्वरित प्रतिक्रिया के कारण बचा लिया गया।

आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर इस अवधि में 450 से अधिक लोगों ने चलती मेट्रो के सामने कूदकर जान देने की कोशिश की, जिनमें से 50 की मौत भी हो गई।

सीआईएसएफ के आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो सालों के दौरान ही मेट्रो पर खुदकुशी की 200 कोशिशों को नाकाम किया गया।

पेशे से मजदूर पटेल की जान तो बच गई, हालांकि उनका जीवन पहले से और दूभर ही हो गया, क्योंकि हादसे में उन्हें अपना दाहिना पैर गंवाना पड़ा।

पारिवारिक कलह से परेशान पटेल 17 मई की दोपहर उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन गए और चलती ट्रेन के आगे कुदकर खुदकुशी की कोशिश की।

अब उनकी पत्नी को सात सदस्यों वाले परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरों के घर बर्तन मांजना पड़ता है। पटेल ने कहा कि खुदकुशी की कोशिश करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। अपने परिवार को कमाकर लाने वाला मैं एकमात्र व्यक्ति था। मेरी इस गलती के कारण अब मेरी पत्नी को दूसरों के घर बर्तन मांजना पड़ता है।

सीआईएसएफ के आंकड़ों के मुताबिक इसी साल जनवरी से सितंबर के बीच मेट्रो परिसर के अंदर आत्महत्या की 70 कोशिशें की गईं। इन घटनाओं में 14 व्यक्तियों की मौत हो गई, जबकि 18 लोगों को गंभीर चोटें आईं और अपना कोई न कोई अंग गंवाना पड़ा। हालांकि 13 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा भी लिया गया।

मेट्रो परिसर के भीतर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ पर ही है। सीआईएसएफ ने बताया कि उन्होंने अपने जवानों को ऐसे लोगों की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया गया है, जो खुदकुशी करने के बारे में सोच रहे हों।

सीआईएसएफ के जनसंपर्क अधिकारी हेमेंद्र सिंह ने से कहा कि हम स्टेशन में आने वाले यात्रियों पर लगातार नजर रखते हैं। हमारे अधिकारियों को ऐसे लोगों की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया गया है। हम सुरक्षा के लिहाज से चौकसी बरतते हैं और इसी साल अब तक 13 लोगों की जान बचा चुके हैं।

इसके अलावा 25 अन्य ऐसे व्यक्तियों की भी पहचान कर ली गई, जो खुदकुशी की कोशिश भी नहीं कर पाए थे। हेमेंद्र ने बताया कि खुदकुशी की कोशिश करते हुए बचा लिए गए सभी 13 लोगों को दिल्ली मेट्रो रेल पुलिस (डीएमआरपी) के हवाले कर दिया गया।

उन्होंने यह भी बताया कि निगरानी रखने के लिए सीआईएसएफ सीसीटीवी कैमरों और सादी वर्दी में चौकसी करने वाले अपने जवानों पर निर्भर हैं।

उन्होंने बताया कि स्टेशन के आकार के आधार पर हर स्टेशन पर एक सीसीटीवी कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां सीआईएसएफ के जवान तैनात रहते हैं।

खुदकुशी की सर्वाधिक कोशिशें नोएडा से द्वारका के बीच ब्लू लाइन मेट्रो ट्रैक पर की गईं, जबकि जहांगीरपुरी से हुडा सिटी सेंटर और गुड़गांव के बीच येलो लाइन पर ऐसी आठ कोशिशें हुईं।

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