मेलों का प्रगति मैदान बनने की दिशा में बढ़ रहा ‘सूरजकुंड’
अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच बने सूरजकुंड की पहचान यूं तो यहां प्रतिवर्ष फरवरी में एक पखवाड़े के लिए लगने वाले कला के महाकुंभ से अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले से विश्वभर में कायम हो चुकी है, लेकिन...
अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच बने सूरजकुंड की पहचान यूं तो यहां प्रतिवर्ष फरवरी में एक पखवाड़े के लिए लगने वाले कला के महाकुंभ से अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले से विश्वभर में कायम हो चुकी है, लेकिन राज्य सरकार की दिलचस्पी को अगर अधिकारियों ने अमलीजामा पहना दिया तो आने वाले वर्षों में सूरजकुंड मेलो के लिहाज से एनसीआर का प्रगति मैदान हो जाएगा।
एक दिन पहले संपन्न हुए यहां कृषि मेले में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने प्रतिवर्ष कृषि मेला सूरजकुंड में आयोजित करने की घोषणा की और इस पर अधिकारियों को योजना तैयार करने के दिशा-निर्देश भी किए गए। इसी प्रकार बीते दिनों गुरुग्राम में संपन्न हुई प्रदेश के उद्योगपतियों की बैठक में उद्योगमंत्री विपुल गोयल ने सूरजकुंड में प्रतिवर्ष औद्योगिक-व्यापार मेला आयोजित करने का सुझाव अधिकारियों को दिया। मंत्रालय के अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं। जिला उद्योग केंद्र ने इस संबंध में राज्य सरकार को बताया कि अक्तूबर-नवंबर में इस मेले का आयोजन प्रतिवर्ष किया जा सकता है। पिछले महीने यहां गैर सरकारी संगठन डिजिटल मेला लगा चुकी हैं। करीब चौदह साल पहले औद्योगिक-व्यापार मेला अक्तूबर में लगता था। दरअसल, शहरों में आधुनिकता की चकाचौंध से हटकर शांतिपूर्ण माहौल में कुछ पल गुजारने की तमन्ना सभी में होती है। इसके चलते यहां शांत वातावरण में अपने शिविर और आयोजन करने की दिलचस्पी बढ़ रही है। केंद्र सरकार भी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना के तहत हस्तशिल्प मेले में सहयोग करती है। जहां विदेशी पर्यटक भी भारतीय कला-संस्कृति से रूबरू होते हैं।
राजनीति की पाठशाला भी बनती है ‘सूरजकुंड’
मेले ही नहीं बल्कि सूरजकुंड राजनीति और प्रशासन की पाठशाला भी यदाकदा बनती है। दसवीं शताब्दी से यहां रणनीति बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। सबसे पहले रजवाड़ों की आपसी जंग के लिए तोमर वंश के राजा सूरजपाल ने इसे अपना गढ़ बनाया था। अब राजनीतिक प्रशिक्षण शिविर और विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर भी यहां आयोजित किए जाते हैं। यहां कांग्रेस, युवा कांग्रेस, जनतादल, भाजपा जैसे राजनीतिक दलों के अधिवेशन हो चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव, विश्वनाथ प्रताप सिंह और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो बार यहां बतौर प्रधानमंत्री आ चुके हैं। रेलवे के अधिकारियों की बड़ी कार्यशाला और स्काउड एंड गाइड्स के शिविर भी यहां आयोजित किए जा चुके हैं।
राजेश जून, मंडलाधिकारी, हरियाणा पर्यटन निगम: राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में सूरजकुंड में अपने सालाना कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बन रही है। हरियाणा पर्यटन निगम के पास अभी तक संस्कृति विभाग, कृषि विभाग, उद्योग विभाग और शिक्षा विभाग के मेलों के प्रस्ताव हैं। अधिकारी इन विचार विमर्श कर रहे हैं। मेलों से सूरजकुंड को प्रसिद्धी और पर्यटन निगम को लाभ होगा। साथ ही पूरे साढ़े ग्यारह महीने खाली रहने वाला मेला परिसर का उपयोग हो सकेगा।