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ज्यादातर स्कूल कर रहे मनमानी फीस वसूली

ज्यादातर निजी स्कूल नियमों का उल्लंघन करते मिले हैं। अभिभावकों को विश्वास में लिए बगैर हर साल मनमानी फीस वृद्धि की जा रही है। शासन की ओर से निर्धारित मदों के अलावा वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क,...

ज्यादातर स्कूल कर रहे मनमानी फीस वसूली
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 11 May 2016 09:37 PM
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ज्यादातर निजी स्कूल नियमों का उल्लंघन करते मिले हैं। अभिभावकों को विश्वास में लिए बगैर हर साल मनमानी फीस वृद्धि की जा रही है। शासन की ओर से निर्धारित मदों के अलावा वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क, छात्रवृति फंड के नाम पर वसूली हो रही है। सीबीएसई के मानकों के अनुसार स्कूल सुविधाओं लिए शुल्क निर्धारित कर सकते हैं, लेकिन इसका आधार तय नहीं होने के कारण स्कूल मनमानी वसूली कर रहे हैं। यह तथ्य डीएम की समिति की जांच के बाद सामने आए हैं।

डीएम एनपी सिंह ने बुधवार को सीबीएसई के चेयरमैन को समिति की रिपोर्ट पत्र के माध्यम से भेज दी है। बताया है कि स्कूलों का अभिभावकों से विकास शुल्क के नाम पर वसूली तर्क संगत नहीं है। स्कूल ऐसी सुविधाओं के लिए भी फीस वसूल रहे हैं जो छात्रों को उपलब्ध ही नहीं कराए गए हैं। ऐसा भी हो रहा है कि स्कूल कुछ छात्रों को उपलब्ध सुविधाओं की एवज में सभी छात्रों से शुल्क वसूल रहे हैं।

डीएम ने पत्र के माध्सम से बताया है कि फीस वृद्धि का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण स्थानीय प्रशासन के स्तर से कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उन्होंने अभिभावकों के लगातार प्रदर्शन और आंदोलन उल्लेख करते हुए कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सीबीएसई चेयरमैन से मामले में उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच और ऑडिट कर इस्तक्षेप करने को कहा है। डीएम की जांच समिति सिटी मजिस्ट्रेट, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी (संस्थागत) को शामिल कर बनाई गई। समिति ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों और अभिभावकों से वार्ता करने के बाद तथ्यों प्रस्तुत किए।

दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को प्रवेश नहीं
ज्यादातर निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत दुर्बल आय वर्ग के लिए निर्धारित 25 प्रतिशत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। स्कूलों ने समिति को बताया है कि उनके स्तर से प्रयास करने के बावजूद दुर्बल आय वर्ग के बच्चे नहीं मिल रहे। लेकिन इसके लिए वह समिति के समक्ष कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए।

शासन की शर्तों का खुलकर उल्लंघन
स्कूल संचालन के लिए शासन की ओर से निर्धारित शर्तों पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है। ज्यादातर स्कूल इन शर्तों का उल्लंघन करते मिले हैं। बतौर उदाहरण स्कूल के प्रबंध समिति में शिक्षा निदेशक का नामित सदस्य रखे जाने की शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है। 10 प्रतिशत सीट पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के मेधावी बच्चों का प्रवेश नहीं लिया जा रहा है।

परिसर में निजी प्रकाशकों की पुस्तक और यूनिफार्म की दुकान
स्कूल परिसर में नियमों की अवहेलना कर पुस्तक और यूनिफार्म की दुकान खोली गई हैं। परिसर में एनसीईआरटी की पुस्तकें नहीं निजी प्रकाशकों की पुस्तकें बेची जा रही हैं। इस सवाल के जवाब में ज्यादातर स्कूलों ने बाजार में एनसीईआरटी की पुस्तकों की अनुपलब्धता को कारण बताया है। इस साथ ही बगैर किसी मानक के स्कूलों में यूनिफार्म बेचे जा रहे हैं।

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