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मर्सिडीज हिट एंड रन केस: कोर्ट ने कहा, नाबालिग की जमानत के लिए किसी आवेदन की जरुरत नहीं

दिल्ली की एक कोर्ट ने मर्सिडीज कार से 32 साल के एक व्यक्ति को कथित रूप से कुचलने के मामले में एक नाबालिग को मिली जमानत को बरकरार रखा है। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि किशोर अपराधी की रिहाई के लिए...

मर्सिडीज हिट एंड रन केस: कोर्ट ने कहा, नाबालिग की जमानत के लिए किसी आवेदन की जरुरत नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 25 May 2016 08:57 PM
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दिल्ली की एक कोर्ट ने मर्सिडीज कार से 32 साल के एक व्यक्ति को कथित रूप से कुचलने के मामले में एक नाबालिग को मिली जमानत को बरकरार रखा है। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि किशोर अपराधी की रिहाई के लिए किसी जमानत आवेदन की जरुरत नहीं है। उसे सुधार गह में रखने के बारे में फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का विवेकाधिकार है।

कोर्ट ने बोर्ड द्वारा उस किशोर की जमानत मंजूर करने के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की जिसने चार अप्रैल को उत्तरी दिल्ली के एक स्कूल के पास अपने पिता की मर्सिडीज कार से सिद्धार्थ शर्मा को कथित रूप से कुचल दिया था।

तीस हजारी स्थित एडिशनल सेशन जज अरविंद कुमार की अदालत ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड बच्चों की देखभाल व संरक्षण अधिनियम के अनुसार नाबालिग से जुड़े मामले को निपटाते समय उसके कल्याण को भी ध्यान में रखता है।

अदालत ने पीड़ित के परिवार और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी याचिका बेवजह है। अदालत ने कहा कि कानून की धारा-12 पढ़ने से साफ है कि नाबालिग को रिहा करने के लिए किसी आवेदन की जरूरत नहीं है और उसे रिहा करने के संबंध में विवेकाधिकार बोर्ड के पास है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला करना बोर्ड का काम है कि बच्चे को कितने समय तक सुधार गृह में रखना है। इसलिए पीड़ित के परिवार के वकील की इन दलीलों में दम नहीं है कि किशोर को जमानत पर रिहा करने के लिए जमानत का आवेदन जरूरी शर्त है।

अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें बोर्ड के 26 अप्रैल के आदेश में कोई अनियमितता, कमी या अवैधता नहीं मिली। अपील में कोई दम नहीं है और इसलिए उसे खारिज किया जाता है।

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