फोटो गैलरी

Hindi Newsछोटे बच्चों पर बुखार के साथ त्वचा संक्रमण बढ़ा

छोटे बच्चों पर बुखार के साथ त्वचा संक्रमण बढ़ा

डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के बीच बच्चों में बुखार के साथ त्वचा का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। शुरूआत में परिजन इसका इलाज डेंगू की तरह ही करा रहे हैं, लेकिन त्चचा में खुजली और चकत्ते लंबे समय तक बने...

छोटे बच्चों पर बुखार के साथ त्वचा संक्रमण बढ़ा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 05 Oct 2016 08:26 PM
ऐप पर पढ़ें

डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के बीच बच्चों में बुखार के साथ त्वचा का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। शुरूआत में परिजन इसका इलाज डेंगू की तरह ही करा रहे हैं, लेकिन त्चचा में खुजली और चकत्ते लंबे समय तक बने हुए है, दिल्ली एनसीआर में ऐसे अब तक दो दर्जन से अधिक मामले देखे जा चुके हैं। हालांकि विशेषज्ञ इसे मच्छर जनित बुखार ही मान रहे हैं। 

वैशाली गाजियाबाद के यशोदा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में ऐसे अब तक एक दर्जन बच्चों को देखा जा चुका है। तीन दिन पहले 18 महीने की शाहीन को पीठ सहित हाथ बड़े चकत्ते और खुजली के साथ बुखार की शिकायत के चलते ओपीडी में लाया गया था, शाहीन को तीन दिन पहले ही सिर में दर्द हुआ और शाम तक वह तेज बुखार में तपने लगी, इसी बीच उसके हाथ और पीठ पर बड़े लाल चकत्ते के घेरे बनने लगे। शुरूआत में परिजनों ने इसे डेंगू समझ कर घर पर इलाज शुरू कर दिया, लेकिन दो दिन बार असर बढ़ने पर शाहीन को अस्पताल लाया गया। एक बच्चे शामी दीक्षित को भी यही समस्या थी, डेढ़ साल के सामी को शुरूआत में उल्टी हुई इसके बाद उसे रूक-रूक कर तेज बुखार हो गया। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू केसरी ने बताया कि शुरूआत में एंटीबायोटिक दवाओं की एक डोज दी गई, लेकिन आराम न होने पर बच्चों का खून जांच के लिए भेजा गया। आईजीजी और आईजीएम जांच से खून में संक्रमण की पुष्टि हुई है, इसके लिए बच्चों को एंटीबायोटिक दवाओं की जगह साबुन का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई हैं, हालांकि बुखार मच्छर जनित है, लेकिन त्वचा संक्रमण की वजह पानी की गंदगी को भी माना जा सकता है। 

संक्रामक हो सकते है चकत्ते
त्वचा की बाहरी सतह (एपिडर्मिल) पर उभरे हुए चकत्ते संक्रामक हो सकते हैं, क्योंकि यह डेंगू और चिकनगुनिया बुखार के रैशेज से अलग है, इसलिए बच्चों का तौलिया और साबुन अलग रखने सलाह दी जा रही है। जिन बच्चों को अपेक्षाकृत बड़े चकत्ते देखे गए हैं, उन्हें अन्य बच्चों के साथ न रहने की सलाह दी गई है। चार से छह दिन तक असर रहने के बाद लाल चकत्ते काला निशान छोड़कर जाते हैं खून में मौजूद बैक्टीरिया को इसकी प्रमुख वजह माना गया है। 

क्या बरतें सावधानी
- पानी में एंटीबायोटिक डाल कर नहलाए
- चकत्ते वाली जगह को खुला न छोड़े
- बच्चे के लिए अलग साबुन व तौलिया इस्तेमाल करें
- खुजली न करने दें, साथ ही चकत्ते के घेरे पर ट्यूब न लगाएं
- एलोवेरा जैल का किया जा सकता है प्रयोग
- बच्चों को खिचड़ी और तरल पेय अधिक दें

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें