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यूपी के पूर्व मंत्री डी.पी. यादव को मकोका मामले में दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव को मकोका के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यादव पर एक ऑन लाइन सट्टा रैकेट को संरक्षण देने के बदले रकम लेने का आरोप है। इस बात का खुलासा तब हुआ...

यूपी के पूर्व मंत्री डी.पी. यादव को मकोका मामले में दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 27 Jul 2016 10:45 PM
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उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव को मकोका के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यादव पर एक ऑन लाइन सट्टा रैकेट को संरक्षण देने के बदले रकम लेने का आरोप है। इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब उत्तर पूर्वी जिले की भजनपुरा-गोकुलपुरी पुलिस ने इस सट्टा रैकेट का पर्दाफाश किया था। यह जानकारी स्पेशल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर- एस.बी.के. सिंह ने दी।  

उन्होंने बताया कि यादव को यूपी पुलिस ने अन्य आराधिक मामलों में गिरफ्तार किया था। भजनपुरा पुलिस ने मकोका के एक मामले में हुई पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर यह गिरफ्तारी की है। तफ्तीश को आगे बढ़ाने के लिए यादव को दस दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पुलिस टीम यादव से पूछताछ कर रही है।

गौरतलब है कि भजनपुरा पुलिस ने पिछले साल दिसम्बर महीने में10 सट्टेबाजों को रंगेहाथ पकड़ा था। इस दौरान पुलिस ने रैकेट के सरगना रोशन लाल वर्मा व अमरनाथ बजाज को भी गिरफ्तार किया था। आरोपियों से हुई पूछताछ के बाद पुलिस को इस पूरे गिरोह में शामिल संदिग्धों के नेटवर्क का पता चला था। चेन को पूरी तरह खंगालने पर दोनों आरोपियों ने यह खुलासा किया था कि वे अपने तीसरे पार्टनर योगेश्वर के साथ मिलकर डीपी यादव के संरक्षण में  सट्टा चला रहे थे।

दिल्ली पुलिस ने इसे एक संगठित अपराध मानते हुए आरोपियों पर मकोका लगा दिया था। पुलिस ने मकोका कोर्ट में दायर चार्जशीट में डीपी यादव समेत इस पूरे नेटवर्क से जुड़े करीब 12 से 15 लोगों की संलिप्तता का खुलासा किया था। जांच में यह बात सामने आई थी कि यादव संरक्षण में चलने वाले इस रैकेट में शामिल बड़े नाम हमेशा बचते रहे। इक्का-दुक्का छुटभैया लोगों की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे नेटवर्क को नहीं खंगाला जाता था।

दस साल से चल रहा था रैकेट
आधिकारिक पुलिस सूत्रों की माने तो यह ऑन लाइन सट्टा रैकेट वर्ष-2005 से चल रहा था। खासबात यह है कि इस रैकेट का मकड़ जाल यूपी, दिल्ली के अलावा हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ और मध्यप्रदेश तक फैला हुआ था।

पंजाब में 24 करोड़ का धंधा
इस गिरोह को वर्ष 2010 में लुधियाना पुलिस ने पकड़ा था तो यह खुलासा हुआ था कि पंजाब में प्रतिदिन यह गिरोह ऑनलाइन सट्टे से 24 करोड़ की कमाई करता है। हालांकि उस वक्त पकड़े गए गिरोह के सदस्य कुछ दिनों के बाद छूटकर बाहर आ गए थे।

कंपनी का रूप दे चलाते थे रैकेट
आरोपी कंपनी का रूप देकर इस रैकेट का संचालन करते थे। नेटवर्क से जुड़े आरोपी आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में काम करते थे। एक से सौ नंबरों पर दांव लगाया जाता है। नंबर आने पर जीतने की रकम की हिस्सेदारी तय होती थी। दांव पर लगने वाले नंबर दिन में तीन बार निकाले जाते थे।

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