फरीदाबाद में बैंक के सामने नाश्ता करने को मजबूर हैं ग्रामीण
शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों से लेन-देन प्रक्रिया पूरी तरह चरमराई हुई है। सुबह सात बजे से ही गांव के लोगों की लंबी कतार बैंक के सामने लग जाती है। इनमें महिलाओं की संख्या भी कम...
शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों से लेन-देन प्रक्रिया पूरी तरह चरमराई हुई है। सुबह सात बजे से ही गांव के लोगों की लंबी कतार बैंक के सामने लग जाती है। इनमें महिलाओं की संख्या भी कम नहीं। इसके चलते दूर दराज के गांवों से आने वाले लोग नाश्ता भी लाइन में बैठे हुए ही कर पाते हैं।
बघौला गांव के सिंडिकेट बैंक में यह नजारा देखने को मिला। बुधवार जबरदस्त कोहरा और कड़ाके की ठंड थी। बावजूद महिलाएं चूल्हा चौका छोड़ कतार में लगी हुई थी। सुबह सात बजे से ही ये महिलाएं कतार में लग गई। आल्हापुर गांव में पहुंची महिला शीला ने बताया कि उसे अपने बच्चे की फीस जमा करनी है। पुराने 500 के नोट से फीस नहीं ले रहे हैं। इसके चलते उसे स्कूल से निकाल दिया गया।
इसके चलते वह सुबह 7 बजे से लाइन में लगी है,बावजूद उसे उम्मीद नहीं कि पैसा मिलेगा भी या नहीं। बैंक की ओर से कोई सटीक जानकारी इस बारे में नहीं दी जाती है। इसी तरह कतार में ऐसे बुजुर्ग भी लगे रहे, जो बुढ़ापा पैंशन लेने के लिए 3 से 4 किलोमीटर दूर गांवों से चलकर बैंक पहुंचे। लाइन में लगे ग्राहकों का कहना है कि बैंक अधिकारियों को बैंक प्रक्रिया दुरुस्त करनी होगी, अन्यथा इस तरह से व्यवस्था सुधरने वाली नहीं।