दिवाली पर दिल्ली खतरे में, खतरनाक स्तर तक पहुंचा प्रदूषण
इस वर्ष दिवाली पर राजधानी की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार 29 अक्तूबर तक हवा की गति घट कर चार से पांच किलोमीटर प्रति घंटा तक रह सकती है। हवा में प्रदूषण का...
इस वर्ष दिवाली पर राजधानी की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार 29 अक्तूबर तक हवा की गति घट कर चार से पांच किलोमीटर प्रति घंटा तक रह सकती है। हवा में प्रदूषण का स्तर पहले से मानकों से कई गुना तक अधिक बढ़ चुका है। यदि अधिक मात्रा में पटाखे जलाए जाते हैं तो दिवाली की शाम और अगले दिन प्रदूषण का स्तर खतरनाक तक बढ़ जाएगा।
दिल्ली की हवा में शुक्रवार को पीएम 2.5 का हवा में स्तर 219 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज हुआ। मानकों के तहत हवा में इसकी मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं हवा में पीएम 10 की मात्रा 377 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। मानकों के तहत हवा में इसकी मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी के आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर की तुलना में सितम्बर महीने में हवा में मौजूद पीएम 2.5 की मात्रा दो गुना तक बढ़ चुकी है। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट की रिपोट के अनुसार सितम्बर सितम्बर महीने में 23 प्रतिशत दिनों में हवा में प्रदूषण का स्तर खराब स्तर तक व 13 प्रतिशत दिनों में बेहद खराब स्तर तक बढ़ चुका था। जबकि अक्तूबर में 27 प्रतिशत दिनों में प्रदूषण का स्तर खराब स्तर तक दर्ज किया गया। जबकि 57.7 प्रतिशत दिनों में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब स्तर तक दर्ज किया गया।
3.8 प्रतिशत दिनों में हवा में प्रदूषण का स्तर खरतरनाक स्तर तक बढ़ा हुआ दर्ज किया गया। सीएसई की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया कि ऐसे हालात में यदि पटाखों के जलाए जाने से हालात बिगड़ सकते हैं। हवा में प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है तो ये सांस के मरीजों व बच्चों के लिए घातक हो सकता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो हर वर्ष दिवाली के मौके पर हवा में प्रदूषण का स्तर पहले की तुलना में काफी अधिक बढ़ जाता है। वर्ष 2010 में हवा में प्रदूषण का स्तर 11 प्रतिशत तक बढ़ गया था। जबकि वर्ष 2013 में यह आठ से नौ गुना तक अधिक दर्ज किया गया।
अधिक पटाखे जले तो बढ़ेगी मुश्किल
सीएसई के अनुसार यदि इस वर्ष अधिक पटाखे जलाए गए तो यह सेहत के लिए घातक होगा। पटाखों को बनाने में जो कैमिकल प्रयोग किए जाते हैं उनसे बड़े पैमाने नाइट्रोजन डॉई ऑक्साइड , सल्फर डॉई ऑक्साइड व कई अन्य कैंसर जनक तत्व निकलते हैं। वहीं पटाखों से कई कलर पैदा करने के लिए कई धातुओं का पटाखों में प्रयोग होता है। पटाखे जलाए जाने से हवा में इनकी मात्रा काफी अधिक बढ़ जाती है। हवा में सल्फर अधिक होने से फेफडे का कैंसर व त्वचा की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाता है। वहीं विभिन्न धातुओं के सांस के जरिए शरीर में जाना कैंसर होने की आशंका को बढ़ाता है।
दुनिया से लेना चाहिए सबक
बीजिंग व शंघाई में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। बीजिंग में इमर्जेंसी प्लान बनाया गया है। इसके तहत धुंध के दौरान पटाखे जाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। वहीं यदि कोई व्यक्ति पांच से अधिक पटाखे के डिब्बे खरीदता है तो उसे अपनी ऑफीसियल आईडी देनी होती है। प्रदूषण बढ़ने पर पटाखों की बिक्री बंद कर दी जाती है।
यूके में भी नियम
वर्ष 2004 में यूके में पटाखों पर नियंत्रण के लिए एक नियम बनाया गया। इसके तहत वहां रात 11 बजे से सुबह 07 बजे सुबह तक पटाखे नहीं जलाए जा सकते। यदि कोई नियमों का पालन नहीं करता है तो उस पर 5000 पाउंड का जुर्माना है।
दिल्ली में शुक्रवार को हवा में प्रदूषण का स्तर
इलाका पीए 10 पीएम 2.5
धीरपुर 240 365
पीतमपुरा 362 398
डीयू 361 396
पूसा 356 400
लोधी रोड 286 345
मथुरा रोड 331 388
एयरपोर्ट 319 383
आयानगर 244 352
(सभी आंकड़े सफर की रिपोर्ट के अनुसार हैं। ये आंकड़े एक्यूआई में हैं। एक्यूआई के तहत हवा में प्रदूषण का स्तर 100 से अधिक नहीं होना चाहिए।)