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तीन माह में 35 लोगों ने नजीब के मिलने का दावा किया

छह माह से लापता जेएनयू छात्र नजीब अहमद को तलाशने में भले ही अपराध शाखा के 80 पुलिसकर्मी नाकाम रहे हो, मगर बीते तीन माह में 35 लोगों ने उसके अपने पास होने का दावा किया है। इनमें 16 वर्षीय छात्र से...

तीन माह में 35 लोगों ने नजीब के मिलने का दावा किया
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 15 Apr 2017 01:45 AM
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छह माह से लापता जेएनयू छात्र नजीब अहमद को तलाशने में भले ही अपराध शाखा के 80 पुलिसकर्मी नाकाम रहे हो, मगर बीते तीन माह में 35 लोगों ने उसके अपने पास होने का दावा किया है। इनमें 16 वर्षीय छात्र से लेकर सीबीआई के सेवानिवृत्त अधिकारी तक शामिल हैं। हालांकि, सारे दावे गलत निकले और पुलिस का अमला अब भी उसे तलाशने में एडी-चोटी का जोर लगाए हुए है। नजीब की सूचना देने वाले को दस लाख रुपये का इनाम देने की पुलिस की घोषणा के बाद से उसके बारे में जानकारी देने वालों की बाढ़ सी आ गई है। 

नजीब के लापता होने के बाद उसकी सूचना देने वाले को 50 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा दिल्ली पुलिस ने की थी। बीते जनवरी माह में इनाम राशि को बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दिया गया था। इसके बाद से 35 से अधिक लोगों ने पुलिस को नजीब के बारे में जानकारी दी, हालांकि इनमें से कोई भी सूचना सही नहीं निकली। 

उड़ीसा से भी आई कॉल 
उड़ीसा में रहने वाले एक शख्स ने पोस्टर पर लिखे मोबाइल नंबर पर फोन करके दिल्ली पुलिस को बताया कि नजीब उसके पास है। इनाम की राशि अगर उसे मिलेगी तो वह पुलिस को नजीब तक पहुंचा सकता है। इसके बाद पुलिस की एक टीम उड़ीसा पहुंची। वहां पता चला कि कॉल करने वाला 16 वर्षीय किशोर है। उसने इनामी राशि पाने के लिए झूठी कॉल की थी।

सीबीआई के सेवानिवृत्त अधिकारी ने भी दावा किया 
8 फरवरी 2017 को सीबीआई के सेवानिवृत्त अधिकारी ने कापसहेड़ा रेलवे स्टेशन पर नजीब के होने का दावा करते हुए पुलिस को कॉल की। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वह शख्स नजीब नहीं निकला। इसी तरह राजस्थान के रहने वाले एक शख्स ने भी सड़क किनारे एक भिखारी को देखकर उसके नजीब होने का दावा किया। पुलिस ने जब व्हाट्सएप पर उसकी तस्वीर मंगवाई तो पता चला कि वह नजीब नहीं था। 

बदला लेने के लिए भी झूठी सूचना  
कुछ लोगों ने रंजिशन अपने दुश्मन को फंसाने के लिए भी नजीब के बारे में झूठी सूचना दी। किसी ने पत्र लिखकर तो किसी ने फोन करके बताया कि नजीब को उसने देखा है। उन्होंने अपने दुश्मन के पास नजीब के होने की जानकारी दी। मगर वहां पुलिस को नजीब का कोई सुराग नहीं मिला। जांच में पता चला कि केवल अपने दुश्मन को परेशान करने के लिए अपराध शाखा को यह जानकारी दी गई। 

परिजनों से भी फिरौती मांगी
नजीब के लापता होने का लाभ उठाते हुए एक युवक ने उसके परिजनों से 15 लाख रुपयों की फिरौती मांग ली। उसने नजीब को बंधक बनाकर रखने का दावा किया। अपराध शाखा ने इस बाबत मामला दर्जकर रुपये मांगने वाले शख्स को यूपी से गिरफ्तार कर लिया। उसने पुलिस को बताया कि नजीब उसके पास नहीं है। वह तो केवल उसके लापता होने का फायदा उठाकर वसूली करना चाहता था। 

नजीब की तलाश में जुटे पुलिसकर्मी
एक डीसीपी, एक एसीपी, 6 इंस्पेक्टर, 10 सब इंस्पेक्टर, 12 एएसआई, 20 हवलदार, 30 सिपाही।

क्या हुआ था उस रात 
पुलिस के अनुसार, बीते वर्ष 14 अक्तूबर की रात को नजीब लापता हुआ था। नजीब के लापता होने से एक दिन पूर्व जेएनयू में कुछ छात्रों से उसका झगड़ा हुआ था। अपराध शाखा की छानबीन में यह भी सामने आया कि 14 अक्तूबर की रात लगभग 9 बजे नजीब अपने कमरे में सो रहा था। उसी समय चुनाव प्रचार कर रहे कुछ छात्रों ने उसके कमरे पर दस्तक दी। 

नजीब ने जब दरवाजा खोला तो बाहर खड़े छात्रों ने देखा कि उसकी आंख काफी लाल थी और वह नींद में था। छात्रों ने उससे माफी मांगी और चले गए। इसके बाद रात लगभग 11 बजे एबीवीपी के कुछ छात्र प्रचार करने पहुंचे और दरवाजे पर दस्तक दी। दरवाजा खोलते ही नजीब ने उनमें से एक छात्र को थप्पड़ मार दिया। इस पर उन्होंने नजीब की पिटाई कर दी। शोर सुनकर वार्डन वहां पहुंचे और उन्हें शांत कराया। 

वह सभी को लेकर नीचे जाने लगे। इस दौरान बत्ती गुल करके छात्रों ने दोबारा नजीब की पिटाई की। वार्डन उसे अपने साथ ले गए। दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बातचीत की गई। इसमें एबीवीपी के छात्रों ने नजीब पर मारपीट का आरोप लगाया। वहीं, नजीब ने कोई शिकायत नहीं की, बल्कि माफी मांगते हुए मामला खत्म करने की अपील की थी। इस पर जेएनयू प्रशासन ने उसे नोटिस दिया था। 

नजीब की तलाश में पुलिस की कवायद 
13 नवंबर 2016 को लापता नजीब को तलाशने की जिम्मेदारी अपराध शाखा को सौंपी गई।
17 नवंबर 2016 को पुलिस ने उस ऑटो चालक को तलाश लिया, जो  नजीब जेएनयू से जामिया ले गया था। 
अपराध शाखा ने देश की बड़ी-बड़ी मजारों पर जाकर नजीब को तलाशा।
दिल्ली के सभी अस्पतालों में पुलिस ने उसे तलाशा और वहां उसके पोस्टर चिपकाए।
पुलिस नजीब अहमद की सभी ईमेल आईडी और फेसबुक पेज पर अपनी नजर रखती है।
पुलिस नजीब की तलाश में चेन्नई, उड़ीसा, मुंबई, पुणे, राजस्थान, अलीगढ़, बदायूं, आगरा आदि जगहों पर जा चुकी है। 
भारत के सभी एयरपोर्ट को एफआरआरओ के जरिए अलर्ट कर नजीब के वहां पहुंचने को लेकर जानकारी जुटाई गई।
सभी राज्यों के डीजीपी को नजीब के बारे में जानकारी मुहैया कराने और अज्ञात शवों पर नजर रखने को कहा गया।
देश के सभी मानसिक उपचार संस्थानों में पत्र लिखकर नजीब के बारे में जानकारी दी गई और उसकी तस्वीर भी भेजी गई। 
नजीब को तलाशने के लिए साइबर सेल से पुलिस लगातार मदद ले रही है।
परिजनों से मिली जानकारी पर तत्काल पुलिस छानबीन कर रही है।

स्थानीय पुलिस ने लापरवाही बरती 
नजीब की तलाश शुरू के एक महीने तक वसंतकुंज पुलिस ने की। मगर वह  यह भी पता नहीं लगा पाई कि नजीब किस ऑटो में कैंपस से जामिया गया था। वहीं, अपराध शाखा ने महज तीन दिन में ही उस ऑटो का पता लगा लिया। हालांकि, एक माह से अधिक समय बीतने के कारण उन्हें जामिया विश्वविद्यालय से इसकी सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल सकी। वह फुटेज सीएफएसएल द्वारा भी हासिल नहीं की जा सकी। अगर वसंतकुंज पुलिस ने समय रहते यह जांच की होती तो उन्हें यह फुटेज मिल सकती थी। 

पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं  
नजीब की तलाश में पुलिस शुरू से कोताही बरतती रही है। छह माह में नजीब को तलाश नहीं कर पाना दिल्ली पुलिस की विफलता को दर्शाता है। पुलिस ने नजीब की पिटाई करने वाले छात्रों पर अब तक कार्रवाई नहीं की है। पुलिस यदि गंभीरता से नजीब को तलाशती तो आज वह हमारे साथ होता। काफी लोग हमें फोन करके नजीब के बारे में बताते हैं। हम उसकी जानकारी पुलिस को देते हैं, लेकिन पुलिस हमें कोई जवाब नहीं देती।
मुजीब, नजीब का छोटा भाई
 

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