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पैसेंजर ट्रेन से 45 मिनट का सफर करने में लग गए सवा तीन घंटे

केजी रेलखंड मुसीबतों का सफर बन कर रह गया है। इनदिनों इस रेलखंड की सभी सवारी गाड़ियां लेटलतीफ हो कर चल रही हैं। यूं तो इस रेलखंड पर समय पर कोई गाड़ी नहीं चलती और वैसे भी इस रेलखंड पर चलने वाली सवारियां...

पैसेंजर ट्रेन से 45 मिनट का सफर करने में लग गए सवा तीन घंटे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Apr 2017 06:22 PM
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केजी रेलखंड मुसीबतों का सफर बन कर रह गया है। इनदिनों इस रेलखंड की सभी सवारी गाड़ियां लेटलतीफ हो कर चल रही हैं। यूं तो इस रेलखंड पर समय पर कोई गाड़ी नहीं चलती और वैसे भी इस रेलखंड पर चलने वाली सवारियां घंटे-दो घंटे के लेट को सामान्य बात ही समझती है। पर रविवार को यह हाल रहा कि पैसेंजर ट्रेन से मंझवें से नवादा आने में सवा तीन घंटे लग गए, जबकि सफल मात्र 45 मिनट का ही है।

वहीं गया से चलकर जमालपुर तक जाने वाली 53404 सवारी गाड़ी दो घंटे नौ मिनट लेट गंतव्य तक पहुंची तो झाझा तक जाने वाली 53624 तीन घंटे दस मिनट लेट पहुंची। हद तो किऊल तक जाने वाली 53626 ने कर रखा है जो छह घंटे ग्यारह मिनट लेट हो कर शाम 4:01 बजे वारिसलीगंज ही पहुंच सकी थी। मजे की बात है कि अब तक इसे 53629 बन वापस हो कर नवादा पहुंच जाना था। समझा जा सकता है कि इसकी वापसी ऐसी स्थिति में कब होगी। यह तो हाल रहा गया से खुलने वाली गाड़ियों का जबकि किऊल से गया के लिए जाने वाली 53627 सवारी गाड़ी भी तीन घंटे चालीस मिनट लेट हो कर अपने गंतव्य तक पहुंच सकी। रविवार को ट्रेन यात्रा का कष्ट झेलने वाले कई सवारियों ने तो केजी रेलखंड पर सफर को अपनी बहुत बड़ी गलती तक मान लिया जबकि कई ने तो कान पर हाथ रख कर कह डाला- ना बाबा ना, अब इस रूट से ट्रेन का सफर कभी नहीं।

एक्सप्रेस को लाइन देने का झंझट है बड़ी सिरदर्दी

रविवार का दिन सभी सवारी गाड़ियों की सवारियों के लिए सिरदर्दी भरा रहा। गर्मी के कारण बच्चे और महिलाओं समेत सभी का हाल बेहद बुरा रहा। हालांकि सिर्फ 53625 सवारी गाड़ी ऐसी रही जो 19 मिनट पहले ही गया पहुंच गयी। दरअसल 53625 सवारी गाड़ी के निकल जाने के बाद ही हावड़ा-गया एक्सप्रेस को लाइन देने के चक्कर में सारी सवारी गाड़ियों को लटका कर रखा गया। देखा जाए तो रोज का यही चक्कर है।

मालगाड़ी रुला रही इनदिनों

रेलसूत्रों से पता चला है कि इनदिनों लगातार मालगाड़ी की आवाजाही के कारण स्थिति ज्यादा परेशानीदायक हो गयी है। रविवार को हाल यह रहा कि करजरा और वजीरगंज में मालगाड़ी खड़ी थी और वारिसलीगंज व काशीचक में सवारी गाड़ी खड़ी थी। इसलिए सिर्फ मानपुर, तिलैया और नवादा में ही मेल हो पा रहा था। बताया गया कि बाढ़ थर्मल पावर हाउस को कोयला भेजे जाने के कारण लगातार चार से पांच जोड़ी तक मालगाड़ी प्रतिदिन इस रेलखंड से हो कर गुजर रही है। एक्सप्रेस और मालगाड़ी के कारण कोढ़ में खाज वाली स्थिति बनी हुई है। रेलसूत्रों की मानें तो अभी यही हाल रहने वाला है।

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