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सबका साथ, सबका विकास में PM मोदी ने सबका न्याय भी जोड़ा

सभी संस्थानों में समयानुकूल बदलाव की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोई भी संस्थान एक ही ढर्रे पर नहीं चल सकता और उनमें आवश्कता एवं समय के अनुरूप बदलाव...

सबका साथ, सबका विकास में PM मोदी ने सबका न्याय भी जोड़ा
एजेंसीMon, 09 Nov 2015 03:01 PM
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सभी संस्थानों में समयानुकूल बदलाव की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोई भी संस्थान एक ही ढर्रे पर नहीं चल सकता और उनमें आवश्कता एवं समय के अनुरूप बदलाव आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने यह बात विधि संकाय से संबंधित एक कार्यक्रम में कही जब हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त आयोग को निरस्त करके कॉलेजियम प्रणानी को बहाल किया है।

मोदी ने सुझाव दिया कि गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना न्यायाधीशों की नियुक्ति के मापदंड होने चाहिए।

उन्होंने कहा, कोई भी संस्थान एक ही ढर्रे पर नहीं चल सकत है। उनमें समयानुकूल बदलाव आवश्यक है । सोचने के तरीके में बदलाव होना चाहिए । पुरानी चीजें उत्तम है, इसलिए उसमें हाथ नहीं लगायेंगे, यह रास्ता नहीं है। 

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (एनएएलएसए) के स्थापना दिवस पर शीर्ष न्यायाधीशों, विधि अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों को संबोधित कर रहे थे जिसमें न्यायमूर्मि टीएस ठाकुर भी मौजूद थे जो भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश बनेंगे ।

लाखों लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एनएएलएसए की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने को न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया के मानदंडों में शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वह न्यायमूर्ति ठाकुर से बातचीत के दौरान उनसे कह रहे थे कि क्या हम नियुक्ति (न्यायाधीशों) के दौरान यह पूछ सकते हैं कि उन्होंने कितना समय गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने में दी है।

मोदी ने कहा, आपने संस्थाओं को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रत्येक प्रणाली के दायरे में निरंतर विस्तार किये जाने की जरूरत है, उसका रूप रंग बदलना चाहिए और उनकी ताकत बढ़ते रहनी चाहिए। यह काम निश्चित रोडमैप के साथ होना चाहिए।

देश के सम्पूर्ण विकास के लिए गरीबों को न्याय सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास हमारा मंत्र है।

सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका न्याय भी
उन्होंने कहा,  मैं मानता हूं कि सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका न्याय भी होना चाहिए, तो हमारा मंत्र है सबका साथ, सबका विकास और सबका न्याय। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं भाग्यशाली हूं कि पुराने लोगों ने बहुत से अच्छे काम मेरे लिए बाकी रखे हैं और अच्छे काम करने का मौका भी मैं नहीं छोड़ता हूं।

कानूनी जागरूकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है । कानूनी जागरूकता के साथ न्याय का वितरण जरूरी है। लोगों को पता चले कि क्या हो रहा है और व्यवस्था क्या है। इस दिशा में सरकार के जिम्मे जो काम है, वह हो रहा है।
 
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि हमारे विशेष और विधि विश्वविदयालयों को एक काम करना चाहिए । विधि के छात्रों को यह काम देना चाहिए, वे देश की लोक अदालतों पर रिसर्च करें और प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपे।

इससे हमारे विधि छात्रों को पढ़ाई करते समय ही यह पता चल जायेगा कि लोक अदालतें क्या है, वे निरपेक्ष, आधुनिक एवं विधिक मस्तिष्क से इसकी पड़ताल कर सकेंगे। एक विश्वविदयालय एक राज्य को लेकर ऐसा कर सकते हैं, तो कितना बड़ा काम होगा।

लोक अदालतों के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि सामान्य व्यक्ति कोर्ट के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता, उसे लगता है कि इसमें पड़ गया तो कब निकलूंगा। लोक अदालतों ने कम समय में प्रतिष्ठा हासिल की है जहां लोगों को प्रक्रिया और उसके परिणाम पर भरोसा है।

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