ऐतिहासिक दिन: लंबी लड़ाई के बाद महिलाओं ने हाजी अली में जियारत की
लंबी कानूनी लड़ाई और विरोध-प्रदर्शनों के बाद आखिरकार मंगलवार को मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं ने प्रवेश किया और जियारत की। इसे लैंगिक समानता के अभियान की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।&n
लंबी कानूनी लड़ाई और विरोध-प्रदर्शनों के बाद आखिरकार मंगलवार को मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं ने प्रवेश किया और जियारत की। इसे लैंगिक समानता के अभियान की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की सदस्यों का प्रवेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है। इसमें हाजी अली दरगाह ट्रस्ट को मजार तक महिलाओं को जाने की अनुमति देने के लिए कहा गया था। कुछ साल पहले महिला श्रद्धालुओं के इसमें प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
चादर भी चढ़ाई
बीएमएमए सह-संस्थापक जकिया सोमन ने कहा, बीएमएमए की तकरीबन 400 महिलाएं दरगाह में गईं। हमने वहां चादर भी चढ़ाई और पीर की दरगाह पर दुआ मांगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दरगाह ट्रस्ट ने भी विशेष इंतजाम किए। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रवेशद्वार बनाए गए।
ऐतिहासिक दिन: लंबी लड़ाई के बाद महिलाओं ने हाजी अली में जियारत की
कोई मजार नहीं छू सकेगा
अब कोई भी व्यक्ति हाजी अली की मजार को नहीं छू सकेगा। अब महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही मजार से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा होना पड़ेगा।
यह बड़ी जीत है: तृप्ति
शनि शिंगणापुर मंदिर और हाजी अली दरगाज में महिलाओं के प्रवेश के लिए अभियान चलाने वाली भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने इसे बड़ी जीत बताया है।
ऐतिहासिक दिन: लंबी लड़ाई के बाद महिलाओं ने हाजी अली में जियारत की