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फड़नवीस सरकार का बड़ा फैसला, महाराष्ट्र में मदरसों को नहीं माना जाएगा स्कूल, विपक्ष ने सरकार को घेरा

महाराष्ट्र में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे प्राथमिक विषय न पढ़ाने वाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा। इसमें पढ़ने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। महाराष्ट्र...

फड़नवीस सरकार का बड़ा फैसला, महाराष्ट्र में मदरसों को नहीं माना जाएगा स्कूल, विपक्ष ने सरकार को घेरा
एजेंसीThu, 02 Jul 2015 06:25 PM
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महाराष्ट्र में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे प्राथमिक विषय न पढ़ाने वाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा। इसमें पढ़ने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को सभी जिलों को ये निर्देश दिए।

धर्म की शिक्षा दे रहे मदरसे
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा, 'मदरसे छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा दे रहे हैं। वे औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। जबकि हमारे संविधान में सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार देने की बात कही गई है।' बकौल खडसे अल्पसंख्यक मामलों की मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी ने इस बारे में स्कूली शिक्षा एवं खेल मामलों के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है।

दूसरे विषय पढ़ाने को कहा
खडसे ने कहा, 'अगर एक हिंदू या ईसाई बच्चा मदरसे में पढ़ना चाहता है तो उन्हें वहां पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसलिए एक स्कूल नहीं, बल्कि धार्मिक शिक्षा का स्रोत है। इसलिए हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय पढ़ाने के लिए भी कहा है। अन्यथा इन मदरसो को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा।'

1890 मदरसे पंजीकृत हैं महाराष्ट्र में
1.48 लाख बच्चे पढ़ते हैं राज्य में
550 मदरसे 4 विषय पढ़ाने को तैयार

4 जुलाई को सर्वे होगा
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने बताया कि स्कूली शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई को छात्रों का सर्वे करने की योजना बनाई है। इसमें उन छात्रों की गिनती की जाएगी, जो औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं।
- एकनाथ खडसे, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, महाराष्ट्र

क्या है इसका मकसद
खडसे के मुताबिक, इसके पीछे हमारा मकसद है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक बच्चों को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले। उसे अच्छी नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो।

भुगतान के लिए भी तैयार
महाराष्ट्र सरकार बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने पर मदरसों को भुगतान करने को भी तैयार है। जिन मदरसों में औपचारिक शिक्षा प्रदान नहीं दी जाती, उन्हें स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा।

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