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हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं देंगे : बादल

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुरुवार को सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले निराशा जताई। उन्होंने कहा, मामले पर हम राष्ट्रपति से अपील करेंगे। पंजाब हरियाणा...

हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं देंगे : बादल
एजेंसीThu, 10 Nov 2016 10:23 PM
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पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुरुवार को सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले निराशा जताई। उन्होंने कहा, मामले पर हम राष्ट्रपति से अपील करेंगे। पंजाब हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं देगा और न ही एसवाईएल नहर का निर्माण करेगा। हम अपने हक के लिए लोकतांत्रिक तरीके से हर लड़ाई लड़ेंगे। बादल सरकार ने 16 नवंबर को इस मामले पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। 

कैबिनेट की बैठक बुलाई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब सरकार ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सीएम ने कहा कि मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि हम एसवाईएल मामले में अपने पुराने रुख पर कायम हैं और आगे भी रहेंगे। इस मामले पर अकाली-भाजपा सरकार राज्य की जनता और किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे। बादल ने कहा कि इस मामले पर मोगा में 8 दिसंबर को ‘पंजाब बचाओ महारैली’ करेंगे। इसके साथ अकाली दल राज्य में ‘पानी बचाओ पंजाब बचाओ’ अभियान चलाएगा। 

कैप्टन अमरिंदर नाटक कर रहे
बादल ने कोर्ट के फैसले के बाद सांसद पद से पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह के इस्तीफे और उनकी पार्टी के विधायकों द्वारा उनका अनुपालन किए जाने को महज एक नाटक करार दिया। उन्होंने कहा कि उनका और अन्य का इस्तीफा नाटक है। विधानसभा चुनाव दो महीने में होने हैं। क्या वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह महज एक नाटक है। 

केंद्र ने कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील
सतलुज युमना लिंक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है। केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार से कहा है कि वह प्रदेश की कानून वयवस्था नहीं बिगड़ने दे। गृहमंत्रालय लगातार पंजाब सरकार के संपर्क में है। गृहसचिव राजीव महर्षि की पंजाब के मुख्य सचिव से बात हुई है। गृहमंत्रालय ने राज्य सरकार को कहा है कि वे प्रदेश में कानून का राज बनाए रखने के लिए सभी संभव उपाय करें।

मनोहर लाल ने फैसले का स्वागत किया
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में पारित कानून को असंवैधानिक करार देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा है कि फैसले को लागू करने की जिम्मेदारी अब दोनों राज्यों की सरकारों की है। इस फैसले पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति अब पंजाब सरकार को वह टर्मिनेशन एक्ट वापस लेने के लिए कह सकते हैं जो 2004 में पंजाब विधानसभा में हरियाणा के खिलाफ पारित किया गया था। इस एक्ट में तमाम जल समझौते रद्द कर दिए गए थे। मनोहर लाल ने कहा कि पानी के बंटवारे का निर्णय पहले ही हो चुका है। हरियाणा को उतना ही पानी मिलेगा जितना निर्णय पहले हो चुका। अब इस निर्णय को लागू किया जाना बाकी है।

पांच दशक में हरियाणा झेल चुका है 35 हजार करोड़ का नुकसान 
हरियाणा को अस्तित्व में आए पचास वर्ष बीत चुके हैं। इस अवधि के दौरान हरियाणा को कभी भी मांग के अनुरूप पानी नहीं मिला। जिसके चलते हरियाणा को अब तक 35 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। कृषि विभाग द्वारा कुछ समय पहले विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। इस नहर के लिए अब तक लड़ी गई लड़ाई पर हरियाणा अधिकृत रूप से करीब 20 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। हरियाणा के हिस्से में अधिगृहित जमीनों के लिए पंजाब को 191 करोड़ 75 लाख रुपये मिले थे, जिसे पिछले दिनों पंजाब ने हरियाणा को लौटा दिया था। हरियाणा ने यह चेक वापस पंजाब को भेजते हुए सवाल पूछा था कि यह राशि किस बात की है। पंजाब ने तब इसका कोई जवाब नहीं दिया था।

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