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उत्तराखंड में 70 फीसदी जंगल की आग पर काबू

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को काबू में करने के विभिन्न एजेंसियों के प्रयास रंग ला रहे हैं। इसी का नतीजा है कि रविवार को जिन 427 स्थानों पर आग लगी थी, उनमें से 70 फीसदी को बुझा दिया गया है। बता...

उत्तराखंड में 70 फीसदी जंगल की आग पर काबू
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 02 May 2016 10:04 PM
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उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को काबू में करने के विभिन्न एजेंसियों के प्रयास रंग ला रहे हैं। इसी का नतीजा है कि रविवार को जिन 427 स्थानों पर आग लगी थी, उनमें से 70 फीसदी को बुझा दिया गया है। बता दें कि इस काम में 6000 वनकर्मियों के अलावा एनडीआरएफ के 135 कर्मियों को भी लगाया है। 

एनडीआरएफ के महानिदेशक ओपी सिंह ने सोमवार को कहा कि सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर हम कह सकते हैं कि आग को तेजी से काबू में लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रविवार की तस्वीरों में 427 स्थानों पर आग दिख रही थी, वहीं सोमवार को यह संख्या 115 रह गई है। सिंह ने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनकी संख्या 50 से 60 होगी। उन्होंने कहा कि वनकर्मियों और एनडीआरएफ की 13 टीमों की मेहनत रंग ला रही है। हमारे जवान बेहतर उपकरणों से लैस हैं। 

सिंह ने कहा कि जवान जंगलों में लगी आग को बुझाने के प्रयास के साथ उसमें फंसे जानवरों को भी सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा और चमोली सबसे अधिक प्रभावित हैं। 

सात साल की सबसे भीषण आग 
उत्तराखंड के जंगलों में बीते सात सालों की सबसे भीषण आग लगी है। अब तक प्रदेश में 3,185 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं। इससे पहले 2009 में 4,115 हेक्टेयर जंगल जले थे। फायर सीजन में अभी एक महीना बाकी है। ऐसे में आग पुराने रिकाॠर्ड तोड़ सकती है। 

आग लगाने वाले चार गिरफ्तार
जंगल में जानबूझकर आग लगाने वाले तीन लोगों को वन विभाग ने गिरफ्तार कर लिया है। अब तक आग लगाने के आरोप में 46 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। रामास्वामी ने बताया कि आग लगाने पर नैनीताल में दो व पिथौरागढ़ और हरिद्वार में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो चुकी है। आरोप सिद्ध होने पर इन्हें तीन साल की सजा हो सकती है। 

आग बुझाते वक्त सिपाही शहीद 
चमोली जिले में जंगल की आग बुझाते समय सिर पर चट्टान गिरने से पुलिस के जवान पंकज चौहान शहीद हो गए। यह दर्दनाक हादसा नंदप्रयाग रेंज में लगी आग बुझाने के दौरान हुआ। जिलाधिकारी वीके सुमन ने बताया कि राज्यपाल ने शहीद सिपाही के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और परिवार को तात्कालिक मदद के रूप में चार लाख रुपये प्रदान करने की मंजूरी दी है। 

कानून ही जंगल के सबसे बड़े दुश्मन: डा.जोशी 
पद्मश्री डा. अनिल जोशी ने कहा है कि उत्तराखंड के जंगल आग से धधक रहे हैं। पशु-पक्षी और लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। वन विभाग इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम हो रहा है। इसका मुख्य कारण मौजूदा वन अधिनियम है। वन अधिनियम ने गांव का वनों से रिश्ता खत्म कर दिया। इसलिए अब समय आ गया है कि वन अधिनियम की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और समीक्षा हो। उन्होंने कहा, पहले ग्रामीण खरपतवार के साथ ही जंगलों में घास के लिए जाते थे। इसलिए जब कभी जंगलों में आग लगती थी, तो वे सामूहिक रूप से इसे बुझा देते थे। लेकिन वन अधिनियम 1980 ने लोगों का वनों में दखल खत्म कर दिया। इस कारण आजकल वनों में लगने वाली आग को बुझाने में स्थानीय लोगों की भागीदारी नहीं है और वन विभाग अकेले जंगलों की आग नहीं बुझा सकता। 

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