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रक्षा समझौताः अमेरिकी विमानों को बेस के इस्तेमाल की मंजूरी आंख मूदकर नहीं

अमेरिका के साथ हाल में हुए रक्षा समझौते के क्रियान्वयन को लेकर रक्षा मंत्रालय द्वारा आवश्यक तैयारियां शुरू की जा रही हैं। हालांकि समझौते को लेकर प्रमुख विपक्षों दलों की आलोचना से सरकार सतर्क है। इसके...

रक्षा समझौताः अमेरिकी विमानों को बेस के इस्तेमाल की मंजूरी आंख मूदकर नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 08 Sep 2016 07:04 AM
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अमेरिका के साथ हाल में हुए रक्षा समझौते के क्रियान्वयन को लेकर रक्षा मंत्रालय द्वारा आवश्यक तैयारियां शुरू की जा रही हैं। हालांकि समझौते को लेकर प्रमुख विपक्षों दलों की आलोचना से सरकार सतर्क है। इसके चलते रक्षा मंत्रालय की तरफ से ऐसी व्यवस्था किए जाने की संभावना है जिससे ऐसे मामले में निर्णय से पहले कैबिनेट और जरूरत पड़े तो विपक्ष की भी राय लेने के बाद फैसला किया जाए।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि समझौते में अमेरिकी लड़ाकू विमानों या पोतों को बेस के इस्तेमाल की मंजूरी आंख मूदकर दी जाएगी। 

जब भी ऐसी स्थिति आएगी, उस स्थिति के महत्व को देखते हुए उस पर विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा। यदि ऐसी स्थितियां बनती हैं कि इस पर व्यापक विमर्श की जरूरत है तो इसे कैबिनेट कमेटी ऑन सुरक्षा के पास भी भेजा जा सकता है।

युद्ध आदि की स्थिति में अमेरिकी विमानों को सुविधा देने के मसले पर यदि अन्य विपक्ष और राजनीतिक दलों से परामर्श की नौबत आएगी तो वह कदम भी उठाया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने इस मामले में दो और बातें साफ की हैं। एक इस समझौते पर रूस समेत किसी सहयोग राष्ट्र ने कोई आपत्ति प्रकट नहीं की है।

दूसरे, इस समझौते से भारत को रक्षा उपकरणों के निर्माण में अमेरिकी लाइसेंसिंग की जटिल प्रक्रियाओं का हल निकलने की उम्मीद है।

भारत रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के लिए दरवाजे खोल रहा है लेकिन निवेश और खरीद के लिए कई मामलों में खासकर अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां की सरकार की अनुमति जरूरी है। इस समझौते के बाद ऐसी अनुमति मिलने की प्रक्रिया आसान होने की उम्मीद है।

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