निगरानीः छत्तीसगढ़ के जंगलों में नक्सलियों को खोज रहे हैं मानवरहित टोहीविमान
नक्सलियों खोजने के लिए उनकी दो मानवरहित टोही विमानों से निगरानी की जा रही है। इजराइल निर्मित इन छोटे टोही विमान (यूएवी) को छत्तीसगढ़ के जंगलों से लेकर सीमावर्ती उड़ीसा और झारखंड के नक्सली प्रभावित...
नक्सलियों खोजने के लिए उनकी दो मानवरहित टोही विमानों से निगरानी की जा रही है। इजराइल निर्मित इन छोटे टोही विमान (यूएवी) को छत्तीसगढ़ के जंगलों से लेकर सीमावर्ती उड़ीसा और झारखंड के नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में उड़ाया जा रहा है। उनकी उपयोगिता को देखते हुए जल्द ही 10 अत्याधुनिक यूएवी इस काम के लिए लाए जा सकते हैं।
यूएवी की उड़ान की उड़ान को खुफिया सूचनाओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है। खास इनपुट मिलते ही यूएवी को उस क्षेत्र में मौका मुआयना के लिए भेजा जाता है। वहां पर वे अपने खास कैमरों की मदद से जानकारी एकत्रित करते हैं। यूएवी एक बार में 900 से एक हजार किमी तक उड़ान भर सकते हैं। ये साढ़े तीन घंटे में करीब 500 किमी का एरिया कवर कर लेते हैं। इन यूएवी में सिंथेटिक अपर्चर लगे हैं। ये एक बार काफी एरिया कवर कर लेते हैं जिससे ये काफी उपयोगी हो गए हैं। क्योंकि इन इलाकों में जवान नहीं जा सकते हैं लेकिन उनको हर गतिविधि की खबर मिलती रहती है। इन्हीं सूचना के आधार पर फोर्स अपनी कार्रवाई करती है।
यूएवी काफी बड़े नक्सल प्रभावित क्षेत्र की निगरानी करते हैं। इन दो यूएवी को छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड, उड़ीसा और महाराष्ट्र सीमा से लगे नक्सली क्षेत्रों में भेजा जाता है। इनसे यह जानने में मदद मिलती है कि इन तीनों राज्यों के नक्सली किस तरीके से अपने ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं।
10 यूएवी और आएंगे
खुफिया सूत्रों का कहना है कि तीन राज्यों में फैले नक्सलियों के विशाल क्षेत्र पर नजर रखने 10 नए एडवांस टेक्नालॉजी वाले यूएवी खरीदने की योजना है। जल्द ही ये नए यूएवी आसमान से नक्सलियों की चौकसी करते नजर आएंगे। नए यूएवी काफी आधुनिक है और इनके कैमरे और सेंसर भी शानदार हैं जो कि रात में काम करते हैं और हल्की सी आहट को भी रिकार्ड कर लेते हैं।
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सूचनाओं का कैसे होता है उपयोग
किसी भी स्तर की गोपनीय सूचना जो पैरामिलिट्री फोर्स- राज्य या केंद्रीय गुप्तचर सेवा विभाग से मिलती है। उसी के आधार पर जमीनी हालात जानने के लिए यूएवी को निर्देश दिए जाते हैं और वे प्रभावित क्षेत्र के लिए उड़ान भरते हैं। मौके पर जाकर हाई तकनीक से वस्तुस्थिति का आकलन भेजते हैं। इस सूचना में तस्वीरें और वॉयस रिकॉर्डिंग भी शामिल होती है। फिर यूएवी द्वारा रिकॉर्ड किया गया डाटा बेस सेंटर पर डिकोड किया जाता है।
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