दोषी कौन : कमजोर पटरियों पर दौडेंगी ट्रेन तो ऐसे ही होंगे हादसे
हरदा के पास उफनती माचक नदी और लगातार बारिश से ट्रैक कमजोर हो गए और बीती रात कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने हादसे की वजह पटरी के नीचे मिट्टी धसक जाने से...
हरदा के पास उफनती माचक नदी और लगातार बारिश से ट्रैक कमजोर हो गए और बीती रात कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने हादसे की वजह पटरी के नीचे मिट्टी धसक जाने से कमजोर पटरी पर ट्रेन के गुजरने को बताया है। अब सवाल ये उठता है कि इस हादसे का दोषी कौन है। बारिश और नदियां अपने हिसाब से बहेंगी ही। पर क्या हमने रेल ट्रैक को मजबूत और लगातार बढती ट्रेनों की संख्या के अनुरूप बनाया है। रेल संरक्षा और लगातार हो रहे हादसों पर बनाई गई काकोदकर कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लगातार बढ रही ट्रेनों की संख्या और पटरियों की मजबूती के लिए कुछ नया न कर पाने की वजह से रेलवे की हालत बहुत खराब हो चुकी है। मानवीय चूक को नकार भी दिया जाए तो ढांचागत विकास रेलवे का न होना ऐसे हादसों की बडी वजह माना जा सकता है।
पूरे देश में आज 6500 किमी का रेलवे ट्रैक है जोकि आजादी के बाद से सिर्फ 1500 किमी ही बढा है। जबकि इसपर ट्रेनें लगातार बढती जा रही हैं। आज कुल 1000 से ज्यादा ट्रेन इन्हीं पुरानी रेल ढांचे पर चल रही हैं। सोचकर आश्चर्य नहीं लगता जिस ट्रैक पर साधारण पैसेंजर ट्रेन 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है उसी ट्रैक पर शताब्दी और राजधानी जैसी वीआईपी ट्रेन दोगुनी से ज्यादा रफ्तार से दौडती हैं।
सबसे व्यस्त और ज्यादा ट्रेनें चलने वाला रूट माना जाता है दिल्ली.हावडा रूट। यह रूट अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत ज्यादा वहन कर रहा है। अन्य रूट भी तकरीबन 120 से 130 प्रतिशत तक क्षमता से अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन वहन कर रही हैं।
हरदा के पास दोहरे ट्रेन का हादसा पटरियों के कमजोर होने से हुआ। वहां काली मिट्टी है और नदी का उफान बढने या तेज बारिश की स्थिति में यह मिट्टी कमजोर हो जाती है। ऐसे में यदि ट्रैक को आधुनिक तकनीक से और मजबूत नहीं किया जाएगा तो इस तरह के हादसे तो देश में कहीं भी हो सकते हैं।
रेलवे के आधुनिकीकरण पर कम है सरकार का ध्यान
11वीं पंचवर्षीय योजना में जहां हर सेक्टर को आधुनिकता की ओर दोगुनी या तिगुनी रफ्तार से बढाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं रेलवे को साधारण चाल से ही चलाने की योजना है। इस पंचवर्षीय योजना के तहत रेल के आधुनिकीकरण के लिए मात्र 8000 करोड देने का प्रस्ताव है। जबकि सडक परिवहन को 60000 करोड और वायु मार्ग के विकास के लिए 30000 करोड देने का प्रस्ताव दिया गया है। ये स्थिति तब है जबकि रेल यातायात आम आदमी के लिए सबसे सस्ती और सुविधाजनक मानी जाती है।
2011 में सैम पित्रोदा कमिटी भी चेता चुकी है
आठ सदस्यों की सैम पित्रोदा कमिटी ने भी सितंबर 2011 में सरकार को रेलवे ट्रैक दुरुस्त करने संबंधी चेतावनी जारी की थी। यह कमिटी बनी थी रेलवे की सुरक्षा पर अध्ययन करने के लिए। रिपोर्ट में कहा गया था कि देश के चार बडे शहरों को जोडने वाले 19000 किमी के रेल ट्रैक को दुरुस्त करने और अतिरिक्त ट्रैक बनाने की जरूरत है। इसमें खासतौर पर रेल ओवर ब्रिज और रेलवे पुलों की बात कही गई है।