खुलासा: गांव की तुलना में शहरों की सेहत 63 फीसदी बेहतर
शहर और गांव में दो अलग-अलग भारत बसते हैं! नई स्वास्थ्य नीति के साथ जारी स्थिति विश्लेषण रिपोर्ट तो कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश करती है। चिकित्सा सुविधाओं की बात करें तो शहर और गांव के बीच गहरी खाई दिखाई...
शहर और गांव में दो अलग-अलग भारत बसते हैं! नई स्वास्थ्य नीति के साथ जारी स्थिति विश्लेषण रिपोर्ट तो कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश करती है। चिकित्सा सुविधाओं की बात करें तो शहर और गांव के बीच गहरी खाई दिखाई देती है। ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति अब भी बेहद खराब बनी हुई है। गांवों में शहरों जैसी स्वास्थ्य स्थिति लाने में अभी लंबा समय लगेगा। इस पर पेश है मदन जैड़ा की एक रिपोर्ट...
गांवों में शिशु मृत्यु दर ज्यादा
शहरों में शिशु मृत्यु दर घट कर 27 प्रति एक हजार तक आ गई है। इसमें तेजी से गिरावट का रुझान है। इसलिए साल 2025 तक इसे 23 तक लाने का राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का लक्ष्य भी शहरों में हासिल हो जाएगा। मगर गांवों में यह दर अब भी 44 प्रति एक हजार बनी हुई है।
बड़े राज्यों की स्थिति जस की तस
बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में कुल प्रजनन दर के मामले में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। बिहार में यह 3.4, उत्तर प्रदेश में 3.1, मध्य प्रदेश में 2.9 तथा राजस्थान में 2.8 बनी हुई है। इन राज्यों में देश की क रीब आधी आबादी रहती है।
बदहाल स्थिति
- 40-50% के बीच टीकाकरण ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों समेत कई राज्यों में
- 07% खर्च अपने कुल खर्च का इलाज पर करते हैं ग्रामीण
जनसंख्या रोकने को लंबा इंतजार
- 1.8 तक आई शहरों में कुल प्रजनन दर। यह दर विकसित देशों जैसी।
- 2.5 बनी हुई है प्रजनन दर अब भी गांवों में।
मातृ मृत्यु दर अभी लक्ष्य से दूर (प्रति लाख)
राष्ट्रीय लक्ष्य प्रति एक लाख प्रसवों पर 100 से नीचे होना चाहिए। मगर शीर्ष आठ राज्य इस लक्ष्य से काफी पीछे हैं।