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मोबाइल आधारित किट से हो सकेंगे चार किस्म के टेस्ट

जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने देश में कम मूल्य के चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए मैड टैक इनोवेशन कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत अब तक 19 चिकित्सकीय उपकरण तैयार किए गए हैं। विभाग ने उद्योग जगत के...

मोबाइल आधारित किट से हो सकेंगे चार किस्म के टेस्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 12 Jan 2016 05:39 PM
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जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने देश में कम मूल्य के चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए मैड टैक इनोवेशन कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत अब तक 19 चिकित्सकीय उपकरण तैयार किए गए हैं।

विभाग ने उद्योग जगत के साथ मिलकर यह योजना क्रियान्वित की है इसलिए ये उपकरण स्टार्टअप प्रोजेक्ट के जरिये अब बाजार में आने को तैयार हैं। इनमें सबके अनोखा उपकरण आईना है। इस डिवाइस को मोबाइल में फिट करके चार तरह के खून के टेस्ट हो सकते हैं। यह इस किस्म की पहली डिवाइस है।

जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की मदद से जनाकेयर सोल्यूशन ने यह डिवाइस तैयार किया है। जनाकेयर स्टार्टअप कंपनी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) तथा नारायण ह्रदयालय में इसके परीक्षण किए गए हैं। यह डिवाइस मधुमेह, इसी से जुड़े एक अन्य टेस्ट एचबीएआईसी, लिपिड प्रोफाइल, क्रेटीनाइन तथा हेमोग्लोबिन की जांच करती है। डिवाइस को सीधे एंड्रराइड मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है। इसमें एक स्ट्रिप लगती है जिसमें रक्त का एक कतरा रखना होता है तथा मिनटों में जांच का नतीजा मोबाइल की स्क्रीन पर आ जाता है। परिणाम को मोबाइल पर सुरक्षित किया जा सकता है तथा कहीं भेजा भी जा सकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्यौगिक मंत्री डा. हर्षवर्धन ने प्रेस कांफ्रेस में इस तकनीक का ब्यौरा देते हुए कहा कि यह दुनिया की पहली डिवाइस है जो एक साथ चार किस्म के टेस्ट कर सकती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं अस्पतालों के लिए यह बेहतरीन तकनीकी है। साथ ही घरों में इस्तेमाल के लिए भी उपयुक्त है। जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की सलाहकार रेनु स्वरूप ने कहा कि इसमें इस्तेमाल होने वाली स्ट्रिप की कीमत दस रुपये से भी कम रहेगी। इस प्रकार दस रुपये में चार टेस्ट हो सकते हैं।

हर्षवर्धन ने अन्य तकनीकों का ब्यौरा देते हुए कहा कि जांच के लिए मल के नमूने लेने के लिए अभी तक कोई तकनीक ही नहीं थी। पहली बार जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने यह तकनीक भी विकसित की है। इसी प्रकार दुर्घटना में पैर टूटने पर इस्तेमाल होने वाले उपकरण का भी निर्माण किया गया है। भारत में यह उपकरण 265 रुपये में बन रहा है जबकि विदेशों से सात-आठ हजार में आ रहा था। इसी प्रकार डेंगू एवं मलेरिया की जांच किटें भी विकसित की गई हैं। दिल की जांच के उपकरण भी तैयार हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई उपकरणों को अमेरिकी ड्रप प्रशासन ने भी मंजूरी प्रदान कर दी है।

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