तल्ख टिप्पणी : आप काम करते नहीं, फिर कहते हैं हम देश चला रहे- SC
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार खुद कुछ करना नहीं चाहती, ऐसे में अगर हम कोई निर्देश देते हैं तो कहा जाता है कि कोर्ट देश चला रहा है। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल...
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार खुद कुछ करना नहीं चाहती, ऐसे में अगर हम कोई निर्देश देते हैं तो कहा जाता है कि कोर्ट देश चला रहा है। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रलय पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वृंदावन समेत देश के अन्य शहरों में विभिन्न आश्रयों में रह रही विधवाओं के पुनर्वास को लेकर केंद्र सरकार के रवैये पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा कि विधवाओं को लेकर आप गंभीर क्यों नहीं हैं।
आपको विधवाओं की चिंता क्यों नहीं है। आप हलफनामा दायर कर कहिए कि आपको विधवाओं से कोई लेना देना नहीं है। हमारे निर्देश के बावजूद आपने कुछ नहीं किया। ऐसा लगता है कि आप कुछ करना ही नहीं चाहते।
गत 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलय के अधिकारियों को नालसा समेत अन्य के साथ बैठक पर इस मुद्दे को लेकर महिला आयोग की सिफारिशों पर विचार करने को कहा था। पीठ ने सभी को 10 अप्रैल तक यह बताने के लिए कहा था कि किन दो-तीन मसलों पर फिलहाल निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
10 अप्रैल को मंत्रलय ने पीठ को बताया कि इसे लेकर 12 और 13 अप्रैल को बैठक होने वाली है। इसके बाद सुनवाई 21 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई थी। शुक्रवार को मंत्रलय की ओर से पेश हलफनामे में किसी तरह का सुझाव न होने पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताई। अपने हलफनामे में मंत्रलय ने सरकार द्वारा कई योजनाओं का जिक्र किया था।
पीठ ने कहा कि आपने कहा था कि 12 व 13 अप्रैल को बैठक है लेकिन आपने बैठक नहीं की और अब स्पष्टीकरण दे रहे हैं। कोर्ट का सख्त रुख देखते हुए मंत्रलय की ओर से पेश वकील ने पीठ से और वक्त मांगा। इस पर पीठ ने मंत्रलय को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त तो दिया लेकिन उसके रवैये पर एक लाख रुपये का जुर्माना कर दिया। कोर्ट पर्यावरण एवं उपभोक्ता संरक्षण फाउंडेशन द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है।