फोटो गैलरी

Hindi Newsगंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट आज खुलेंगे

गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट आज खुलेंगे

करीब छह महीने तक अपने मायके में रहने के बाद मां गंगा और यमुना मंगलवार को अपने धामों गंगोत्री और यमुनोत्री में विराज रही हैं। सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए दोनों धामों के कपाट खोले जा रहे...

गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट आज खुलेंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Apr 2015 12:16 PM
ऐप पर पढ़ें

करीब छह महीने तक अपने मायके में रहने के बाद मां गंगा और यमुना मंगलवार को अपने धामों गंगोत्री और यमुनोत्री में विराज रही हैं। सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए दोनों धामों के कपाट खोले जा रहे हैं। गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12.30 और यमुनोत्री धाम के कपाट सुबह 11.30 पर खोले जाएंगे। इस पावन घड़ी का साक्षी बनने के लिए देशी-विदेशी श्रद्धालु तीर्थस्थलों में पहुंच रहे हैं।

गंगा और यमुना की डोलियां अपने मायके से धामों के लिए निकल पड़ी हैं। करीब छह महीने अपने मायके मुखबा में रहने के बाद मां गंगा की डोली सोमवार दोपहर डेढ़ बजे गंगोत्री के लिए रवाना हुई और मंगलवार को अपने अपने गद्दीस्थल पर विराजमान होगी। यमुना जी की डोली मंगलवार को अपने मायके खरसाली से चलकर उसी दिन धाम में विराजेंगी। दोनों धाम छह महीनों के लिए भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।

गंगा को चढ़ता है हलवे और मिश्री का भोग: उत्तरकाशी। पतित पावनी मां गंगा को हलवे और मिश्री का भोग चढ़ता है। गंगोत्री में श्रद्धालु इलायची सहित हलवे और मिश्री का भोग मां को चढ़ाते हैं।

गंगोत्री धाम में श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद मंदिर के आसपास की दुकानों से इलाचयी, श्रीफल, मिश्री का प्रसाद खरीदते हैं और उसके बाद तुलसी के साथ मां को भोग लगाते हैं। शाम को आरती के बाद मंदिर के पंडे श्रद्धालुओं को हलवे का प्रसाद वितरित करते हैं।

गंगोत्री यात्रा के खास पड़ाव: गंगोत्री धाम के मुख्य पड़ावों में पहला पड़ाव है चिन्यालीसौड़। यहां पर लोग होटलों में रुक सकते हैं। उसके बाद  उत्तरकाशी में जीएमवीएन गेस्ट हाउस में यात्री रह सकते हैं।

होटल और काली कमली धर्मशाला के साथ अन्य धर्मशालाओं में लोग सस्ती दरों पर रुक सकते हैं। उससे आगे गंगोरी नेताला के बाद भटवाड़ी मुख्य पड़ाव है। यहां पर लोग होटलों पर्यटन आवास गृह में रुकने की व्यवस्था है। इसके बाद मुख्य पड़ाव हर्षिल है, जहां बर्फीली चोटियों का नजारे के साथ स्टे किया जा सकता है। यहां होटल और जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में रुक सकते हैं। उसके बाद धराली में भी होटल की व्यवस्था है। गंगोत्री में आश्रम सहित होटलों और जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में रुकने की सुविधा है।

कहां से निकलती गंगा-यमुना
गंगा का उद्गम गंगोत्री से करीब 20 किमी दूर गोमुख से माना जाता है। हालांकि कुछ इतिहासकार गंगा का उद्गम गोमुख बांक से मानते हैं। यमुना का उद्गम 4421 मीटर की ऊंचाई पर कालिंद पर्वत से माना जाता है। इसी के चलते यमुना को कालिंदी भी कहा गया है।

कौन हैं गंगा और यमुना
गंगा का जिक्र विभिन्न धर्म ग्रंथों में है। रामायण में गुरु विश्वामित्र श्री राम को गंगा के बारे में बताते हैं। इसके अनुसार हिमालय और मैना की दो पुत्रियां गंगा और उमा थीं। उमा का विवाह भगवान शिव से हुआ। देवों के अनुष्ठान के लिए गंगा तीनों लोकों की भलाई की खातिर भूलोक पर बहने लगीं। राजा भगीरथ की तपस्या से खुश होकर गंगा गंगोत्री में अवतरित हुईं। केदारखंड में यमुना की उत्पत्ति का उल्लेख है। इसके मुताबिक यमुना भगवान सूर्य की पुत्रि और यमराज की बहन हैं। ये दोनों सूर्य की दूसरी पत्नी छाया की संतान हैं। सूर्य ने यमुना को तीनों लोकों के कल्याण के लिए भूलोक पर भेजा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें