फोटो गैलरी

Hindi Newsजानिए कैसे तैयार होते हैं नक्सलियों से गुरिल्ला यु्द्ध करने वाले जवान

जानिए कैसे तैयार होते हैं नक्सलियों से गुरिल्ला यु्द्ध करने वाले जवान

नक्सलियों के खिलाफ यु्द्ध के मैदान में उतरने से पहले किसी भी सशस्त्र जवान को 45 दिन के प्रशिक्षण में 14 रातें तथा 16 दिन घने जंगल में बिताने पड़ते हैं। वहां सांपों से तो सामना होता ही है, जंगली...

जानिए कैसे तैयार होते हैं नक्सलियों से गुरिल्ला यु्द्ध करने वाले जवान
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 19 Jul 2016 09:12 PM
ऐप पर पढ़ें

नक्सलियों के खिलाफ यु्द्ध के मैदान में उतरने से पहले किसी भी सशस्त्र जवान को 45 दिन के प्रशिक्षण में 14 रातें तथा 16 दिन घने जंगल में बिताने पड़ते हैं। वहां सांपों से तो सामना होता ही है, जंगली जानवरों से मुठभेड़ भी वहां आम बात है। कैसे जहरीले सांप को काबू करके दूर उछाल फेंकना है,और कैसे भूखे जानवरों के बीच रातें गुजारना है, यह सब उनके गुरिल्ला युद्धकला के प्रशिक्षण का हिस्सा होता है।
 
आर्म्ड फोर्स को इस गुरिल्ला युद्धकला को सिखाने के लिए 2005 में छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरे कस्बे कांकेर में जंगलवार फेयर कॉलेज शुरू किया गया था। 300 एकड़ में फैले काऊंटर टेररिज्म एंड जंगलवार फेयर कालेज के नाम से जाने जाने वाले इस गुरिल्ला प्रशिक्षण कालेज में 11 वर्षो के दौरान अब तक 31 हजार से अधिक जवानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
 
कॉलेज के प्रमुख, गुरिल्ला युद्धकला एक्सपर्ट ब्रिगेडियर बीके पोनवार बताते हैं कि कॉलेज में सीआईएसएफ, एसएसपी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, पुलिस, आईपीबीपी समेत केंद्र सरकार की सभी सैन्य विभाग की टुकड़ियों को यहां प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जवानों के साथ बड़ी संख्या में आईपीएस आफिसरों को भी यहां प्रशिक्षण दिया जा चुका है, इनमें से 6 अफसरों ने बहादुरी का राष्ट्रपति पुरस्कार जीता।

जंगलवार कॉलेज की अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि वर्ष 2005 के पूर्व तक नक्सली जवानों के पीछे भागते थे, अब जवान नक्सलियों का पीछा करते हैँ। कॉलेज में युद्ध कला की बारीकियों को 45 दिन के सत्र के दौरान सिखाया जाता है। यहां सटीक फायरिंग के अलावा जंगल में रहना, जंगल में एक से दूसरे स्थान पर जाना, नए इलाकों में प्रवेश से पहले सावधानियां बरतना आदि भी सिखाया जाता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें