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मोदी दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने पाक नहीं जाएंगे

उरी हमले को लेकर सख्त संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षेस सम्मेलन के लिए नवंबर में इस्लामाबाद नहीं जाने का फैसला किया। सरकार ने प्रधानमंत्री के सम्मेलन में भाग नहीं लेने की मंगलवार को...

मोदी दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने पाक नहीं जाएंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 27 Sep 2016 10:53 PM
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उरी हमले को लेकर सख्त संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षेस सम्मेलन के लिए नवंबर में इस्लामाबाद नहीं जाने का फैसला किया। सरकार ने प्रधानमंत्री के सम्मेलन में भाग नहीं लेने की मंगलवार को घोषणा कर दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत ने इसकी जानकारी दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान पहले ही क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद और इसमें एक देश की भूमिका का हवाला देते हुए सम्मेलन में भागीदारी से असमर्थता जता चुके हैं। भारत के इस फैसले के बाद दक्षेस सम्मलेन का रद्द होना तय हो गया है। दक्षेस के संविधान के मुताबिक, एक भी सदस्य देश यदि शामिल होने में असमर्थता जताए तो शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता।

गौरतलब है कि उरी हमले को लेकर भारत ने कठोर रुख अपनाया है। सभी स्तरों पर पाकिस्तान को अलग थलग करने का प्रयास चल रहा है। सिंधु नदी समझौते की समीक्षा की जा रही है। वहीं पाकिस्तान को सर्वाधिक तरजीही वाले देश का दर्जा देने पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विश्व के देशों से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को अलग थलग करने की अपील कर चुकी हैं। भारत ने कहा कि वह क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। वह चाहता है कि दक्षेस देशों के बीच जुड़ाव और आपसी संबंध बेहतर बनें। लेकिन यह आतंक से मुक्त वातावरण में ही संभव हो सकता है।

मौजूदा हालात अनुकूल नहीं
भारत ने कहा कि सीमापार आतंकवाद और सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में एक देश के बढ़ती दखलंदाजी से ऐसा माहौल बना है, जो दक्षेस सम्मेलन की सफलता के लिहाज से अनुकूल नहीं है। लिहाजा इस समय की परिस्थितियों में भारत सम्मेलन में भागीदारी नहीं कर सकता। 

पाक ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, बल्कि भारतीय विदेश मंत्रालय के ट्वीट से यह पता चला है। लेकिन भारत का ऐसा फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। 

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